Jyotishratnmala Book/ज्योतिषरत्नमाला पुस्तक
Jyotishratnmala (ज्योतिषरत्नमाला पुस्तक) is an important book, Jyotishratnmala Book is not easily available, this book is written by Pt. Sri Sitaram Jha Ji, Jyotishratnmala Book is published by Chaukhamba Prakashan, Varanasi, in 1997, this book contains 112 pages.
Jyotishratnmala Book Content list:
According to the content list of the Jyotishratnmala Book, it contains the following things duly written in a simple language for the convenience of the readers. The matters are, Mangalacharan, Foreword, Chronology, Almanac Formation, Year form, Pure and Months Chaitra Characteristics, Illusionism, Solar Ritu-Chandra Ritu, Lord of the Ritu, Four Kinds of Months, Darsha and Nakshatra Days, Chaitra etc. Names of Moon months, Kshyamas-Adhikamas, Pure Form of month, Vedic-Smart-mythological month, 2 distinctions of full moon, prohibition in certain dates, names of seven days, simple way to know sunrise period in Lanka, moment wise the number and order, the simple knowledge and form of Ashwini and more stars, Illustrated description of Ashwini Nakshatra, illustrated description of Bharani Nakshatra, pictorial description of Rohini Nakshatra, illustrated description of Ardra Nakshatra, pictorial description of Punarvasu Nakshatra, primacy of birth sign, star thought, importance of star, Lagan Dwadash Bhava chakra, the definition of Dwadash Bhava, chanting, has been explained in detail, which is an important part of the Jyotishratnmala Book.
Jyotishratnmala Book Benefits:
- By reading the Jyotishratnmala Book you get important information of astrology.
- By reading the Jyotishratnmala Book you can change your life.
- By reading the Jyotishratnmala Book you can know the importance of astrology.
Jyotishratnmala Book Description:
According to the Indian Sanatan Dharma in Shadang Vedas – especially astrology and theology – are considered to be the basis of Hinduism and Hindu culture in Indian society. These two parts of the Vedas have been amending, changing and perhaps for the welfare of the people from time to time. It is also natural for human religion to become impure in a pure place. Due to ignorance of planetary movement, especially during the Muslim rule, Indian astrologers also accepted and supported the irrational opinion propagated by illusory winds in astrology. This brought great shock to the direct religions and is still reaching. Where there is only evidence of a favorable sentence in heaven or liberation etc. by karma, there can be different opinions, because the word has many meanings.
ज्योतिषरत्नमाला पुस्तक/Jyotishratnmala Book
ज्योतिषरत्नमाला एक महत्वपूर्ण पुस्तक है, ज्योतिषरत्नमाला पुस्तक/Jyotishratnmala Book आसानी से उपलब्ध नहीं होती, यह पुस्तक पं. श्री सीताराम झा जी के द्वारा लिखी हुई है, इस ज्योतिषरत्नमाला पुस्तक को चौखम्बा प्रकाशन, वाराणसी, ने 1997 में प्रकाशित किया है, इस पुस्तक में 112 पृष्ठ(पेज) है।
ज्योतिषरत्नमाला पुस्तक/Jyotishratnmala Book की विषय सूचि:
ज्योतिषरत्नमाला पुस्तक में विषय सूचि अनुसार– मंगलाचरण, प्राक्कथन, कालनिरूपण, पंचांग निरूपण, वर्षनिरूपण, शुद्ध और अधिक चैत्र का लक्षण, भ्रान्तिदर्शन, सौरऋतु-चान्द्रऋतु, ऋतुओं के स्वामी, चार प्रकार के मास, दर्श और नक्षत्र दिन, चन्द्र मासों के चैत्र आदि नाम, क्षयमास-अधिकमास, शुद्ध मास का स्वरुप, वैदिक-स्मार्त-पौराणिक मास, पूर्णिमा के 2 भेद, कतिपय तिथियों में निषेध, सात वारों के नाम, लंका में सूर्योदय काल जानने का सरल उपाय, क्षण वार की संख्या और क्रम, इसका सरल ज्ञान प्रकार, अश्विनी आदि नक्षत्रों के रूप, अश्विनी नक्षत्र का सचित्र विवरण, भरणी नक्षत्र का सचित्र विवरण, रोहिणी नक्षत्र का सचित्र विवरण, आर्द्रा नक्षत्र का सचित्र विवरण, पुनर्वसु नक्षत्र का सचित्र विवरण, जन्म राशि की प्रधानता, तारा विचार, तारा की महत्वता, लग्नादि द्वादश भाव चक्र, द्वादश भावों की संज्ञा, जप का स्थानानुसार फल के बारे में विस्तार रूप से बताया गया है, जोकि ज्योतिषरत्नमाला पुस्तक के महत्वपूर्ण अंग है।
ज्योतिषरत्नमाला पुस्तक/Jyotishratnmala Book के लाभ:
- ज्योतिषरत्नमाला पुस्तक को पढ़ने से आपको ज्योतिष शास्त्र की महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है।
- ज्योतिषरत्नमाला पुस्तक को पढ़कर आप अपने जीवन में बदलाव ला सकते है।
- ज्योतिषरत्नमाला पुस्तक को पढ़कर आप ज्योतिष के महत्व को जान सकते है।
ज्योतिषरत्नमाला पुस्तक/Jyotishratnmala Book का विवरण:
भारतीय सनातनधर्मानुयायी समाज में षडंग वेद – विशेषतया ज्योतिष तथा धर्मशास्त्र ये दो- हिन्दूधर्म एवं हिन्दू संस्क्रति के आधार माने जाते है। वेद के इन दोनों अंगों में स्वभाव से ही समय समय पर संशोधन, परिवर्तन और कदाचित जनकल्याणार्थ परिवर्तन भी होते आ रहे है। इससे मानव धर्म शुद्ध स्थल में अशुद्ध हो जाना भी स्वाभाविक ही है। विशेषकर मुसलमानी शासन-काल में ग्रहगोलगति की अज्ञानता के कारण भारतीय ज्योतिषग्रन्थकारों ने भी फलित ज्योतिष में भ्रांत पवनों द्वारा प्रचारित युक्तिहीन मत का भी समर्थन कर, उसे ग्रहण किया। इससे प्रत्यक्ष धर्मकृत्यों पर महान आघात पहुंचा और अब भी पहुँच रहा है। जहां कर्म द्वारा स्वर्ग प्राप्ति अथवा मुक्ति आदि में आप्त वाक्य मात्र प्रमाण है, वहां तो शब्द के अनेक अर्थ होने के कारण, विभिन्न मत हो सकते है।
Gyan Mala Book Details:
Book Publisher: Chaukhamba Prakashan
Book Author: Pt. Shree Sitaram Jha
Language: Hindi
Weight: 0.222 gm Approx.
Pages: 112 Pages
Size: “18” x “12” x “2” cm
Edition: 1997
Shipping: Within 4-5 Days in India
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Naveen singh –
nice astrology book