Jyotishshyamsangrah Book/ज्योतिषश्यामसंग्रह पुस्तक: This is an important book of jyotish, in which information about jyotish shastra.
Jyotishshyamsangrah Book About:
It includes the Sanskrit root and language quotation cycle, example and also revealed to the place where the Guru was the target, so that those who know a little mode or do not know the esoteric goal of this science, well wisely describe their fate, birth certificate, past, future, present, and the man will be able to receive the knowledge by reading this book, so that only through this one scripture, one can say the whole message of the person. The linguistic version of this text is illustrated in simple verse with illustrated examples. – Jyotishshyamsangrah Book.
This book is beautified in twenty-six chapters, in which the Japdaan method is the first chapter. In this, Mangalacharan, Venus Bhrigu’s question, what method should be adopted to chant, how can the host be chanted with Brahmin, what kind of donation should be given to the Brahmin, all these things are contained. Chapter second – There is Chalisa Yoga in these formulas, some of the prejudices of last birth have said recently that the results of those pre-eminent actions have been described and in order to overcome the misery, mischief and charity have decided to do so, due to those efforts, the evil result of man is removed, the auspicious fruit is attained. Chapter third- In this, the example of Rajyogas is made with the horoscope. In this way, a separate methods have been given in every chapter, which are solutions to many mysteries. – Jyotishshyamsangrah Book
ज्योतिषश्यामसंग्रह पुस्तक /Jyotishshyamsangrah Book
ज्योतिषश्यामसंग्रह, ज्योतिष विज्ञान की एक महत्वपूर्ण पुस्तक है, जिसमें ज्योतिष के बारे में जानकारी दी गई है।
ज्योतिषश्यामसंग्रह पुस्तक के बारे में..
इसमें संस्कृत मूल और भाषा टीका चक्र उदाहरण सहित है और जिस जगह गुरु लक्ष्य थे उनको भी खुलासा कर दिया कि जिससे जो लोग थोड़ी विद्या भी जानते हैं अथवा इस शास्त्र का गूढ़ लक्ष्य नहीं जानते हैं उनके लिए अच्छी तरह से सुगमतापूर्वक फलादेश जन्मपत्रिका भूत भविष्यत् वर्तमान कहने के लिए इस ग्रन्थ के पढ़ने से मनुष्य को प्राप्त होगा सो केवल इस एक ही ग्रन्थ के द्वारा जातक का सम्पूर्ण फलादेश कह सकेंगे। इस ग्रन्थ की भाषा टीका सचित्र उदाहरण सहित सरल वाणी में की गयी है। -Jyotishshyamsangrah Book.
इस पुस्तक को छब्बीस अध्याय में सुशोभित किया गया है जिसमें जपदान विधि पहला अध्याय है। इसमें मंगलाचरण, शुक्र भृगुजीका प्रश्नोत्तर, जप करने वाले को क्या विधि करनी चाहिए, यजमान कौन विधि से कैसे ब्राह्मण से जप करवाए, दान किस प्रकार के ब्राह्मण को दे, यह सब बातें निहित है। अध्याय दूसरा- इसमें चालीसा योग हैं इन योगों में पूर्वजन्म का भी कुछ संक्षेप हाल कहा है उन पूर्वजन्मार्जित कर्मों का फल वर्णन किया है और निःसंतानादि दुर्योगों के दूर करने के लिए तंत्रोक्त मंत्र और दान भली भांति निर्णय किया है, उन यत्नों के करने से मनुष्य का दुष्ट फल दूर हो जाता है, शुभ फल की प्राप्ति होती है। अध्याय तीसरा- इसमें राजयोग सहित उदाहरण को कुंडलियों सहित बनाया है। इस तरह हरेक अध्याय में ज्योतिषी का अलग अलग निर्णय दिया गया है जिसे पढ़ने से अनेक रहस्य का समाधान होता है। – Jyotishshyamsangrah Book.
Jyotishshyamsangrah Book Details:
Book Publisher: Khemraj Books
Book Author: Khemraj Shrikrishnadas
Language: Hindi
Weight: 0.363 gm Approx.
Pages: 380 Pages
Size: “22” x “14” x “2” cm
Edition: 2016
Shipping: Within 4-5 Days in India
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