Kalsarp Yog Book/कालसर्प योग पुस्तक : Kalsarp Yog Book is an important book of astrology, in which information about jyotish shastra.
Kalsarp Yog Book About:
Life is a long story of ups and downs and another name for this fluctuation is Kalsarp Yoga. Kalsarp Yoga means that the rest of the planets exist between Rahu and Ketu and there is no planet in the mouth of the other. Those people who have Kalsarp Yoga in their birth time are lacking in stability in their lives and they keep changing jobs, business, and residence. According to astrology, because of the curved pace of Rahu, he passes through the houses like Dvadash, Ekadash, Dasam, Navam etc. in the horoscope. Kalsarp Yog Book is more intense in the birth chart of all the planets in the face of Rahu. -Kalsarp Yog Book.
Many of us get scared by the name of Kalsarp Yoga in such way, as we are scared of Saturn, Manglik Dosh, Vishakanya, Ganda Mool etc. Astrology believes Rahu-Ketu’s “axis to be a person’s pivot” and it shows our ancestors, its effect depends on the state of living, quote, zodiac, and other planets, its combination, vision etc. -Kalsarp Yog Book.
कालसर्प योग पुस्तक/Kalsarp Yog Book
कालसर्प योग, यह एक महत्वपूर्ण पुस्तक है, जिसमें ज्योतिष शास्त्र के बारे में बताया गया है।
कालसर्प योग पुस्तक के बारे में
जीवन उतार चढ़ाव की एक लम्बी कहानी है और उतार-चढ़ाव की इस कहानी का एक अन्य नाम कालसर्प योग है। कालसर्प योग का अर्थ है राहू व केतु के मध्य शेष ग्रहों का स्थित होना और दूसरे राहू के मुख में किसी भी ग्रह का न होना। ऐसे जातक जिनकी जन्म पत्रिका में कालसर्प योग होता है उनके जीवन में स्थिरता की कमी सर्वथा रहती है और वे बार बार नौकरी, व्यवसाय,निवास बदलते रहते है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार राहू की गति वक्री होने के कारण वह जन्म पत्रिका मे द्वादश, एकादश, दशम,नवम आदि भावों से गुजरता है। जिस जन्म पत्रिका में राहू के मुख में सारे ग्रह हो, उसमे कालसर्प योग अधिक तीव्र होता है। हममें से बहुत सारे लोग कालसर्प योग के नाम से इस प्रकार भयभीत हो जाते है जिस प्रकार शनि की साढ़ेसाती, मांगलिक दोष, विषकन्या, गंड मूल आदि से डरते है। ज्योतिष शास्त्र राहू-केतु की “धुरी को कार्मिक धुरी” मानता है और यह हमारे पूर्वजन्मो को दर्शाता है इसका फल जन्मपत्रिका में राहू की स्थिति, भाव, राशि व अन्य ग्रहों से उसकी युति, दृष्टि आदि पर निर्भर करता है। -Kalsarp Yog Book.
Kalsarp Yog Book Details:
Book Publisher: Randhir Prakashan
Book Author: Pt. Shashimohan Behal
Language: Hindi
Weight: 300 gm Approx.
Pages: 192 Pages
Size: “21” x “14” x “1.5” cm
Edition: 2014
Shipping: Within 4-5 Days in India
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