Krishnamurti Jyotish Rahasya Book/कृष्णमूर्ती ज्योतिष रहस्य पुस्तक
Krishnamurti Jyotish Rahasya (कृष्णमूर्ती ज्योतिष रहस्य पुस्तक) is a significant book, this Krishnamurti Jyotish Rahasya Book is not easily available. This book has been written by Suresh Sahasne, this Krishnamurti Jyotish Rahasya is published by Shri Ganesh Prakashan, Mumbai. There are 542 pages in this book.
Krishnamurti Jyotish Rahasya Book Content List:
According to the Krishnamurti Jyotish Rahasya Book, in contents following citations are enlisted. Astrology, analysis of planetart effects, analusis of Zodiac sign, specialities of Zodiac signs, analysis of houses, drafting horoscope, remedies for the houses, drafting horoscope and writing the positions of planets, Antardasha in Mahadasha, Antardasha in Vinshottari Mahadasha and the Kosthak, Horoscope example 1, Horoscope example 2, Koshthak of number 1 to 249, how to analyse Kosthak number from 1 to 249, Karyesh planet, the house of the Karyesh, significance of ruling planets, details about the compromise on land deal, ways to search the Mangal Sutra in details. All these are the significant part of this Krishnamurti Jyotish Rahasya Book.
Krishnamurti Jyotish Rahasya Book Benefits:
- The reading of the book ‘Krishnamurti Jyotish Rahasya’ reveals important topics of astrology.
- You can understand the importance of astrology by reading this book.
- From this Book you can learn about the events happening in your life.
Krishnamurti Jyotish Rahasya Book Description:
There are many systems of prophesying in astrology for future prediction. Such as numerology, Hastsamudrik, Mukhsamudrik, telling future by mole analysis, Ramal Vidya, tarot cards etc. But in all these ‘Kundli Shastra’ is the oldest system in the form of horoscope. This system has a tradition of thousands of years. Thousands of years ago, our Hindu Rishis started using this system, and continuously inspecting the planets located in the sky, they made many changes in this system. In this way inspection and changes were going on for years and the Kundalis scriptures proved to be proven as well.
Indian astrology was originally ‘nakshatra-perfected’. The Greek people brought the concept of ‘zodiac’ into astrology and in their sight we also began to underestimate the constellations. Nakshatras were seen to fix the relationship or to remove the Muhurt, because these two things were invented originally by our astrologers. But besides knowing about a lot of things, the constellations were ignored when they were analysed.
कृष्णमूर्ती ज्योतिष रहस्य पुस्तक/Krishnamurti Jyotish Rahasya Book
कृष्णमूर्ति ज्योतिष रहस्य एक महत्वपूर्ण पुस्तक है, कृष्णमूर्ति ज्योतिष रहस्य पुस्तक आसानी से उपलब्ध नहीं होती, यह पुस्तक सुरेश शहासने जी के द्वारा लिखी हुई है, इस कृष्णमूर्ति ज्योतिष रहस्य पुस्तक को श्री गणेश प्रकाशन, मुंबई, ने प्रकाशित किया है, इस पुस्तक में 542 पृष्ठ(पेज) है।
कृष्णमूर्ती ज्योतिष रहस्य पुस्तक की विषय सूचि:
कृष्णमूर्ति ज्योतिष रहस्य पुस्तक में विषय सूचि अनुसार – ज्योतिषशास्त्र, ग्रहविचार, राशिविचार, राशियों की विशेषताएं, भावविचार, आओ कुण्डली बनाएं, भावसाधन, कुण्डली बनाकर कुण्डली में ग्रह लिखना, महादशा में स्थित अन्तर्दशा, विशोंतरी महादशा में अन्तर्दशा के कोष्ठक, विदशा की खोज, जन्म कुण्डली उदाहरण 1, जन्म कुण्डली उदाहरण 2, 1 से 249 संख्या के कोष्ठक, 1 से 249 संख्या का कोष्ठक कैसे देखें, कार्येश ग्रह, ग्रहों के कार्येश भाव, रूलिंग प्लैनेट्स का महत्व, जमीन के मामले में समझोता, मंगलसूत्र की खोज के बारे में विस्तार रूप से बताया गया है, जोकि कृष्णमूर्ति ज्योतिष रहस्य पुस्तक/Krishnamurti Jyotish Rahasya Book के महत्वपूर्ण अंग है।
कृष्णमूर्ति ज्योतिष रहस्य पुस्तक के लाभ:
- कृष्णमूर्ति ज्योतिष रहस्य पुस्तक को पढ़ने से ज्योतिष के महत्वपूर्ण विषयों की जानकारी मिलती है।
- कृष्णमूर्ति ज्योतिष रहस्य पुस्तक को पढ़कर आप ज्योतिष के महत्व को समझ सकते है।
- कृष्णमूर्ति ज्योतिष रहस्य पुस्तक से आप अपने जीवन में होने वाली घटनाओं को जान सकते है।
कृष्णमूर्ति ज्योतिष रहस्य पुस्तक का विवरण:
ज्योतिष शास्त्र में भविष्य कथन की कई प्रणालियाँ है। जैसे अंकशास्त्र, हस्तसामुद्रिक, मुखसामुद्रिक, तिल देखकर भविष्य बताना, रमल विद्या, टैरो कार्ड आदि। किन्तु इन सब में ‘कुण्डली शास्त्र’ अर्थात कुण्डली बनाकर भविष्य बताना सबसे प्राचीन प्रणाली है। इस प्रणाली को हजारों सालों की परंपरा है। हजारों सालों पहले हमारे हिन्दू ऋषियों ने इस प्रणाली का प्रयोग शुरु किया और आसमान में स्थित ग्रहों का लगातार निरीक्षण करते हुए इस प्रणाली में कई बदलाव भी किये। इस तरह सालों से निरीक्षण और बदलाव होते होते कुण्डली शास्त्र और भी उपयुक्त सिद्ध प्रमाणित होने लगा। भारतीय ज्योतिष शास्त्र मूलत: ‘नक्षत्राधिष्ठित’ था। ग्रीक लोगों ने ‘राशि’ की संकल्पना ज्योतिष शास्त्र में लाई और उनकी देखादेखी में हम भी नक्षत्रों को कम आंकने लगे। रिश्ता तय करना या मुहूर्त निकालने के लिए ही नक्षत्रों को देखा जाने लगा, क्योंकि इन दोनों ही बातों का अविष्कार मूलत: हमारे ज्योतिर्विदों ने ही किया था। किन्तु इसके अलावा काफी बातों के बारे में जानते समय नक्षत्रों को नजरअंदाज किया जाने लगा।
Krishnamurti Jyotish Rahasya Book Details:
Book Publisher: Ganesh Prakashan
Book Author: Suresh Shahasne
Language: Hindi
Pages: 542, 567 Pages
Size: “18” x “12” cm
Weight: 1034 gm Approx
Edition: 2009 Edition
Parts of Book: 1 & 2 Part
Shipping: Within 4-5 Days in India
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