Muhuratchintamani Book/मुहूर्तचिन्तामणि पुस्तक
Muhuratchintamani (मुहूर्तचिन्तामणि पुस्तक) is an important book, Muhuratchintamani Book is not easily available, this book is written by Pt. Vindhyeshwari Prasad Dwivedi Ji. This Muhuratchintamani Book is published by Chaukhamba Prakashan, Varanasi, Uttar Pradesh, in 2017, This book has 271 pages.
Muhuratchintamani Book Content list:
According to the content list of the Muhuratchintamani Book, the contents are duly expressed in a simple language for the convenience of the readers. The matters are mentioned hereunder. Shubhashubha Prakaranam, Nakshatra Prakaranam, Sankranti Prakaranam, Gochar Prakaranam, Sacrament Prakaranam, Vivaha Prakaranam, Vadhu Pravesha Prakaranam, Dwira Gaman Prakaranam, Agnayadhana Prakaranam, Rajabhisheka Prakaranam, Yatra Prakaranam, Vastu Prakaranam, Grahapravesha Prakaranam, Granthakrid Vansavarnanam, Shlokanukramanika in detail, which is an important part of the Muhuratchintamani Book.
Muhuratchintamani Book Benefits:
- Reading the Muhuratchintamani Book provides information about important subjects of astrology.
- By reading the Muhuratchintamani Book you can understand the importance of astrology.
- From the Muhuratchintamani Book you can know the events happening in your life.
Muhuratchintamani Book Descriptions:
Vedic hymns are available in the Vedas for the sun, moon and some other constellations. In Brahman and Aranyaka texts, their form, color, quality and influence etc. have been considered in place of mysticism like Vedic rites towards planetary constellations. Astrology was first accepted only in mathematics and consequent forms, later it came to be known as Skandha Traya, which was divided into three parts Siddhanta, Samhita and Hora. At present, the above division has taken the form of Panchatmak. Today, the field of astrology has become more and more related to many subjects such as biology, material science, chemistry and medical science.
Hora astrology is also called Jataka. It is a matter of horshastra to discuss the auspicious inauspicious results of double houses in the horoscope. Astrologers like Varahamihira, Narachandra, Siddhasen, Keshav, Shripati and Sridhar etc. are considered to be the leading masters of Hora astrology. In mathematical astrology, there is a representation of the census, the rendering of Lunar month, the representation of planetary motions, Q&A and the axes related to the axis, perpendicular, Kujya etc. Samhita astrology includes Bhusodhan, Dikashodhan, Shalyodwar, Melapaka, Aayadayanayan, Grahopakaran, Graharambha, the idea of rising planets and eclipse deliberation etc.
मुहूर्तचिन्तामणि पुस्तक/Muhuratchintamani Book
मुहूर्तचिंतामणि एक महत्वपूर्ण पुस्तक है, मुहूर्तचिंतामणि पुस्तक आसानी से उपलब्ध नही होती, यह पुस्तक पं. विन्ध्येश्वरी प्रसाद द्विवेदी जी के द्वारा लिखी हुई है, इस मुहूर्तचिंतामणि पुस्तक को चौखम्बा प्रकाशन, वाराणसी, उत्तर प्रदेश, ने सन् 2017 में प्रकाशित किया है, इस पुस्तक में 271 पृष्ठ(पेज) है।
मुहूर्तचिंतामणि पुस्तक/Muhuratchintamani Book की विषय सूचि:
मुहूर्तचिंतामणि पुस्तक में विषय सूचि अनुसार- शुभाशुभ प्रकरणम, नक्षत्र प्रकरणम, संक्रान्ति प्रकरणम, गोचर प्रकरणम, संस्कार प्रकरणम, विवाह प्रकरणम, वधूप्रवेश प्रकरणम, द्विरागमन प्रकरणम, अग्न्याधान प्रकरणम, राजाभिषेक प्रकरणम, यात्रा प्रकरणम, वास्तु प्रकरणम, ग्रहप्रवेश प्रकरणम, ग्रन्थकृद वंशवर्णनम, श्लोकानुक्रमणिका के बारे में विस्तार रूप से बताया गया है, जोकि मुहूर्तचिंतामणि पुस्तक के महत्वपूर्ण अंग है।
मुहूर्तचिंतामणि पुस्तक/Muhuratchintamani Book के लाभ:
- मुहूर्तचिंतामणि पुस्तक को पढ़ने से ज्योतिष के महत्वपूर्ण विषयों की जानकारी मिलती है।
- मुहूर्तचिंतामणि पुस्तक को पढ़कर आप ज्योतिष शास्त्र के महत्व को समझ सकते है।
- मुहूर्तचिंतामणि पुस्तक से आप अपने जीवन में होने वाली घटनाओं को जान सकते है।
मुहूर्तचिंतामणि पुस्तक/Muhuratchintamani Book का विवरण:
वेदों में सूर्य, चन्द्रमा तथा दूसरे कतिपय नक्षत्रों के लिए देवत्वरूप में स्तुतिपरक ऋचाएं उपलब्ध होती है। ब्राह्मण और आरण्यक ग्रन्थों में ग्रह नक्षत्रों के प्रति वैदिक ऋचाओं जैसी रहस्यात्मकता के स्थान पर उनके रूप, रंग, गुण और प्रभाव आदि का विचार किया गया है। ज्योतिषशास्त्र को सर्वप्रथम गणित और फलित रूपों में ही स्वीकार किया गया था, बाद में यह स्कन्ध त्रय के नाम से कहा जाने लगा, जिसको सिद्धान्त, संहिता और होरा इन तीन भागों में विभाजित किया गया। सम्प्रति उक्त विभाजन ने पंचात्मक रूप धारण किया है। आज के ज्योतिष का क्षेत्र और भी विस्तृत होकर जीव विज्ञान, पदार्थ विज्ञान, रसायन विज्ञान और चिकित्सा विज्ञान आदि अनेक विषयों से सम्बन्धित हो चुका है। होरा ज्योतिष को जातक भी कहते है। जन्मकुण्डली में द्वादश भावों के शुभ अशुभ फल का विवेचन करना ही होराशास्त्र का विषय है। वराहमिहिर, नारचन्द्र, सिद्धसेन, केशव, श्रीपति और श्रीधर आदि ज्योतिर्विद होरा ज्योतिष के प्रमुख आचार्य माने जाते है। गणित ज्योतिष में कालगणना, सौर चन्द्रमासों का प्रतिपादन, ग्रह गतियों का निरूपण, प्रश्नोत्तर विवेचन और अक्षक्षेत्र सम्बन्धी अक्षज्या, लम्बज्या, कुज्या आदि का निरूपण है। संहिता ज्योतिष के अंतर्गत भूशोधन, दिक्शोधन, शल्योद्धार, मेलापक, आयाद्यानयन, ग्रहोपकरण, ग्रहारम्भ, ग्रहों के उदय अस्त का विचार और ग्रहण विवेचन आदि का समावेश है।
Muhuratchintamani Book Details:
Book Publisher: Chaukhamba Prakashan
Book Author: Shree Vindhyeshwari Prasad Divedi
Language: Hindi
Weight: 0.579 gm Approx.
Pages: 681 Pages
Size: “21” x “14” x “3” cm
Edition: 2018
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