Prashna Marg Book/प्रश्न मार्ग पुस्तक : Prashna Marg Book is an important book of Jyotish Shastra, in which information about astrology is hidden.
Prashna Marg Book About:
Prashna Shastra is an important part of astrology, in which case the exact result of all questions of the query is given on the basis of question papers, without elaborate mathematics like birth certificate or year fold. The orderly history of this scripture comes from the time of Varahamihira. Although it has been discussed in the preceding texts, the basic theories of question theory-especially in the scriptures have been included in a chapter of question papers or quizzes. However, this science was fully developed during the time of Acharya Varahmihir and had received respect in the scholars independently. A tradition of evolution of this science began with the famous question of Vrahamihira, Daivaggyavallabha, and his son, Prithuyasha and Acharya Bhattottal, carried forward this tradition with the creation of hexagonal Panchashika and quiz science respectively. – Prashna Marg Book.
Quotation shows a collection of hundreds of original texts, in which a number of useful principles have been given to lecture the various questions, but all these small-scripts are related to the events that occur in daily life or related questions cannot explain in detail, as detailed information is expected for astrologer. Question-path fulfills the stated lack of detailed and scientific explanation of all the questions related to our daily life. – Prashna Marg Book.
The main feature of this book is that in it all the questions of each question are discussed with the expansion. For example, take the question of the disease: In order to determine the disease in other texts of scripture or scripture, some of the summaries are described in some verses. Considering this question in this book, the classical method of various supplementary questions, such as disease, diversity of diseases, disease-causing or incurable, beginning of the disease, due to age-end, yoga, death or liberation from disease and disease measures. This style of elaborate discussion allows us to be seen in the lectures of other questions like age decisions, marriage ideas, and child thoughts, profit loss, defeasance etc. – Prashna Marg Book.
प्रश्न मार्ग पुस्तक/Prashna Marg Book
प्रश्न मार्ग, यह एक महत्वपूर्ण पुस्तक है, जिसमें ज्योतिष शास्त्र के बारे में जानकारी दी गई है।
पुस्तक के बारे में..
प्रश्न-शास्त्र फलित ज्योतिष का वह महत्वपूर्ण अंग है, जिसमें जन्मपत्र या वर्षफल जैसी लम्बी-चौड़ी गणित के बिना मात्र प्रश्नकुण्डली के आधार पर पृच्छक के समस्त प्रश्नों का यथार्थ फल बताया जाता है। इस शास्त्र का क्रमबद्ध इतिहास हमें वराहमिहिर के समय से मिलता है। यद्यपि इससे पूर्ववर्ती ग्रन्थों में भी प्रश्नशास्त्र के आधारभूत सिद्धांतो की चर्चा की गई है-विशेषतः संहिता ग्रन्थों में प्रश्न विद्या या प्रश्नशास्त्र का एक अध्याय में समावेश किया गया है। तथापि यह शास्त्र आचार्य वराहमिहिर के समय में पूर्ण विकसित होकर स्वतंत्र रूप से विद्वत्समाज में आदर प्राप्त हो चुका था। वराहमिहिर के प्रसिद्ध प्रश्न ग्रन्थ दैवज्ञवल्लभा से इस शास्त्र के विकास की एक परम्परा शुरू हुई और उनके पुत्र भी पृथुयशा एवं आचार्य भट्टोत्पल ने क्रमश: षट्पंचाशिका एवं प्रश्नज्ञान की रचना से इस परम्परा को आगे बढ़ाया। प्रश्न-शास्त्र में सैकड़ों मौलिक ग्रन्थों का एक भण्डार दिखलाई देता है, जिनमें विविध प्रश्नों का शास्त्रीय विवेचन करने के लिए अनेक उपयोगी सिद्धान्तों का व्याख्यान दिया गया है, किन्तु ये सभी लघुकाय-ग्रन्थ दैनिक जीवन में घटित होने वाली घटनाओं या उनसे सम्बन्धी प्रश्नों का उतने विस्तार से विवेचन नहीं कर पाते, जितनी विस्तृत जानकारी फलादेश करने वाले ज्योतिषी के लिए अपेक्षित होती है। प्रश्न-मार्ग हमारे दैनन्दिन जीवन से सम्बंधित समस्त प्रश्नों का विस्तृत एवं शास्त्रीय विवेचन करता हुआ उक्त अभाव की पूर्ति करता है। – Prashna Marg Book.
इस ग्रन्थ की प्रमुख विशेषता यह है कि इसमें प्रत्येक प्रश्न के समस्त पहलुओं का विस्तार के साथ विचार किया गया है। उदाहरणार्थ, रोग प्रश्न को लीजिए प्रश्न शास्त्र या जातक शास्त्र के अन्य ग्रन्थों में रोग का निश्चय करने के लिए कतिपय श्लोकों में संक्षेप में कुछ योगों का वर्णन मिलता है जबकि इस ग्रन्थ में इस प्रश्न का विचार करते समय रोग, रोगों के भेद, रोग का साध्य या असाध्य होना, रोग का प्रारम्भ आयर समाप्ति, योग के कारण, रोग से मृत्यु या मुक्ति और रोग शांति के उपाय आदि विविध पूरक प्रश्नों का शास्त्रीय रीती से विचार किया गया है। विस्तृत विवेचन की यही शैली हमें आयु निर्णय, विवाह विचार, सन्तान विचार, लाभ हानि, जय-पराजय आदि अन्य प्रश्नों के व्याख्यान में भी दिखलाई देती है। – Prashna Marg Book.
Prashna Marg Book (Set) Details:
Book Publisher: Ranjan Publications
Book Author: Sukhdev Chaturvedi & Jagannath Bhasin
Language: Hindi
Weight: 633 gm Approx.
Pages: 338, 589 Pages
Size: “21” x “14” x “3” cm
No. of Book: Part 1 & Part 2
Edition: 2009
Shipping: Within 4-5 Days in India
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Preeti –
Very Nice