Shreesudarshanshatkam Book/श्रीसुदर्शनशतकम् पुस्तक: This is an important book of Jyotish Shashtra, in which information about jyotish.
ShreeSudarshanshatkam Book About:
ShriKuranarayan Muni composed this ‘Sudarshanshatak Stotra‘ is an unmatched gem for the Vishnav Siddhant and Vedic society. It was composed during a major calamity, Shrikrishna Narayan Muni, a devotee of Shrirangnath Bhagwan and excellent scholar Shrirang area, had lived many centuries before.
Its text and rituals are very quick result oriented. From the pre era till today, the devotees, accomplishers, and the workers of salvation have been successfully performing their rituals. In fact, the importance of Shree Sudarshan Raj and all the wonderful miracles is full of culture.
Asking for more to atheists in this matter, will be like showing the lamp to the sun. Yes! So, the text of any mythology or psalm etc. is not fruitful without being meaningless. So economics is essential substance. This Sudarshanshatak Stotra is extremely difficult and emotional. It should also be such that from time to time the sense of its meaning can be understood in the general sense.
“Such words come in the hearing. Even if one or two Sanskrit and Hindi stereotypes are also visible to the people, however, aspirations are still seen as turbulent. Therefore, with the same perspective, attempts were made to explain in Hindi language, along with the original.
Because of the understanding of the scriptures of the Hindi knowing people. If all the words were not fully tried in the meanings, however, the expressions of today have often come in fair amount. So, if there is any benefit to the lovers, I would be content.
श्रीसुदर्शनशतकम् पुस्तक/Shreesudarshanshatkam Book
यह एक महत्वपूर्ण पुस्तक है, जिसमे ज्योतिष शास्त्र के बारे में जानकारी दी गई है।
श्रीसुदर्शनशतकम् पुस्तक के बारे में..
श्रीकूरनारायण मुनि प्रणीत यह ‘सुदर्शनशतक स्तोत्र’ श्रीवैष्णव सिद्धान्त एवम् वैदिक समाज के लिए एक अनुपम रत्न है। इसकी रचना एक बड़ी विपत्ति के समय श्रीरंगनाथ भगवान के परम भक्त एवम् उत्कृष्ट विद्वान् श्रीरंग क्षेत्र निवासी श्रीकूरनारायण मुनि द्वारा कई शताब्दियों के पूर्व की गयी थी। इसका पाठ एवम् अनुष्ठान अवश्य शीघ्र फलप्रद होता है।
पूर्व से लेकर आज तक भक्त, आराधक, धर्म-अर्थ-काम एवम् मोक्ष की भावनाओं से इसका सफल अनुष्ठान करते चले आ रहे हैं। वस्तुतः श्रीसुदर्शनराज के महत्व एवम् विलक्षण चमत्कारों से सारा संस्कृत भरा हुआ है। इस विषय में आस्तिको के लिए इससे अधिक कुछ कहना सूर्य को दीपक दिखाने के सदृश्य होगा। हां! तो, किसी भी पुराण या स्तोत्र आदि का पाठ अर्थानुसन्धान के बिना किये जाने पर समुचित फलप्रद नहीं होता।
अतः अर्थज्ञान अत्यावश्यक वस्तु है। यह सुदर्शनशतकम स्तोत्र अति कठिन और भावगम्भीर है। इसके आराधको के द्वारा समय-समय पर “इसकी भी एक ऐसी टीका होनी चाहिए; जिससे कि इसका भावार्थ सर्वसाधारण को भी ठीक-ठीक समझ में आ सके” ऐसे शब्द श्रवण में आते हैं।
यदपि इस पर एक-दो संस्कृत और हिन्दी टिकायें भी लोगों के दृष्टीगोचर हैं, तथापि अभी भी आकांक्षायें अशांत देखी जाती हैं। अतः इसी दृष्टीकोण को लेकर कि, स्तोत्र के श्लोकों के भाव संस्कृत न जानने वाले हिन्दी भाषा-भाषी भी समझ कर लाभ ले सकें, इस कारण मूल के साथ-साथ अन्वय सहित हिन्दी भाषा में समझाने का प्रयास किया गया।
यदपि इसमें सभी शब्दों का पूर्णत: अर्थ लेन का प्रयास तो नहीं किया गया तथापि अभी के भाव प्राय: उचित मात्रा में आ गये हैं। इसलिए प्रेमियों को इससे यदि कुछ भी लाभ हुआ तो मुझे संतोष होगा।
Shreesudarshanshatkam Book Details:
Book Publisher : Khemraj Books
Book Author: Khemraj Shreekrishandas
Language: Sanskrit
Pages: 64 Pages Book
Size: “18” x “12” cm.
Weight: 50 gm Approx
Edition: 2016
Shipping: Within 4-5 Days in India
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Raj –
बहुत ही महत्वपूर्ण पुस्तक है