Swapan Phal Vichar Book/स्वपन फल विचार पुस्तक: Swapan Phal Vichar Book is an important book, in which information about dreams is hidden.
Swapan Phal Vichar Book About:
Since ancient times, man has been interested in dreams. It is also right to be interested in human beings, because God has given “dream” only to human life in its entire creation. Perhaps you do not know that only human beings dream in this whole world. No other animal, bird or other organism. Thus, the “dream” given by God can be said to be the best of human beings. This man is active, is alive, so surely he sees the dream sometime. In the dream, man also participates in the same way as in real life. At the time when five doctrines, five doctrines and mind do not act karma or do their own actions and knowledge also gets destroyed, in that time man who sees a different kind of behavior is called “dreaming “. –Swapan Phal Vichar Book.
There are two kinds of such behavior or dream.
1 Dream of awakening 2 Dream of succession
Self-lovers, lovers of awakening, are of poets and philosophical varieties. Just as a girlfriend thinks about her boyfriend and thinks in a few moments she goes to the bonds of the lover’s arms, and all these actions begin to appear in front of him. In all these moments of mingleness, in the moment, all kinds of men and women are clearly visible. Similarly, the poet also looks awake in his senses and in fact, this dream of awakening is the inspiration of the poet’s imagination and pen. -Swapan Phal Vichar Book.
स्वपन फल विचार पुस्तक/Swapan Phal Vichar Book
स्वप्न फल विचार, यह एक महत्वपूर्ण पुस्तक है, जिसमें स्वप्नों के बारे में बताया गया है।
स्वपन फल विचार पुस्तक के बारे में:
प्राचीन काल से ही मनुष्य स्वप्नों के प्रति रूचि रखता आया है। मनुष्य का स्वप्नों के विषय में रूचि रखना सही भी है क्योकि ईश्वर ने अपनी संपूर्ण सृष्टी में “स्वप्न” केवल मानव जीवन को ही प्रदान किये है। शायद आपको ये मालूम न हो की इस सम्पूर्ण जगत में स्वप्न केवल मनुष्य ही देखता है। अन्य कोई पशु, पक्षी या दूसरा जीवधारी नही। इस प्रकार ईश्वर द्वारा प्रदत्त “स्वप्न” मानव की सर्वश्रेष्ठ निधि कही जा सकती है। यही मनुष्य सक्रिय है, जीवित है, तो निश्चय ही वह कभी–न-कभी स्वप्न अवश्य देखता है। स्वप्न में भी मनुष्य उसी प्रकार भाग लेता है जैसे वास्तविक जीवन में। जिस समय पांचो कर्मेन्द्रियाँ, पांचो ज्ञानेन्द्रियॉँ और मन कर्म नहीं करते या अपनी अपनी क्रिया नहीं करते तथा ज्ञान भी नष्ट हो जाता है, उस काल में जो नाना प्रकार का व्यवहार मनुष्य देखता है उसे “स्वप्न देखा” ऐसा कहते है। -Swapan Phal Vichar Book.
इस प्रकार के व्यवहार अथवा स्वप्न दो प्रकार के होते है।
१ जाग्रतावस्था के स्वप्न २ सूषुप्तावस्था के स्वप्न
जाग्रतावस्था वाले स्वपन प्रेमी–प्रेमिकाओं कवियों और दार्शनिक किस्म के होते है। जैसे कोई प्रेमिका अपने प्रेमी के विषय में सोचती है और सोचते-सोचते कुछ ही क्षणों में वह प्रेमी की बाहों के बंधन में पँहुच जाती है और ये सब क्रिया उसके सामने साकार होने लगती है। तन्मयता में लीन इन क्षणों में सब प्रकार के हाव-भाव पुरुष विशेष को स्पष्ट दिखाई देते है। इसी प्रकार कवि भी जाग्रतावस्था में ही भावविभोर होकर अपनी भावना के अनुसार वह दृश्य देखता रहता है और वास्तव में ये जाग्रतावस्था के स्वप्न ही कवि की कल्पना और कलम की प्रेरणा होते है। -Swapan Phal Vichar Book.
Swapan Phal Vichar Book Details:
Book Publisher: Randhir Prakashan
Book Author: Vayovriddh Shrinath Ji
Language: Hindi
Weight: 082 gm Approx.
Pages: 79 Pages
Size: “18” x “12” x “0.5” cm
Edition: 2013
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