Varshphal Aivm Bhavishya Book/वर्षफल एवं भविष्य पुस्तक
Varshphal and Bhavishya (वर्षफल एवं भविष्य पुस्तक) is an important book, Varshphal Aivm Bhavishya Book is not easily available, this book is written by Mahendra Nath Kedar Ji, this year and future book is written by K. V.R Publications, New Delhi, published in 2007, it contains 126 pages in this book.
Varshphal Aivm Bhavishya Book Content list:
According to the content list of the Varshphal Aivm Bhavishya Book, the contents are duly expressed in a simple language for the convenience of the readers. The matters are mentioned hereunder. Introduction of different parts of the year horoscope, method of making the yearly horoscope, experimental analysis, friendship thoughts, calculation of the five-dimensional force, Harsha Bal, election of Varshesh, relation and influence of Varshesh to other planets, result of sitting in different house of planets, Arishta Thoughts, interrelationship of year horoscope with birth chart, various yoga, thoughts on family happiness, thoughts on wealth, description and use of yearly conditions, ver. Result of the sum of their effects, special focus point, spontaneous versus results, Triptaki cycle, self-assessment is described in more in detail, which is an important part of the Varshphal Aivm Bhavishya Book.
Varshphal Aivm Bhavishya Book Benefits:
- By reading the Varshaphal and Bhavishya book, you get information about important topics of the year.
- You can get information about the year by reading the Varshaphal and Bhavishya book.
- You can know your future from the horoscope by reading the Varshaphal and Bhavishya book.
Varshphal Aivm Bhavishya Book Description:
The astrologer can only point to future events with his knowledge. The reality is that except the author Brahma, who else can tell for sure. When this is the statement of a scholar of astrology, then we have to believe that we need a full study of scripture as well as Bhagawat grace. Only then the resulting 100 percent can be cured. So far we have enough knowledge of astrology. After getting the knowledge of the mathematics and results of astrology according to Parashari opinion, it is also necessary to have knowledge of other types of astrology. The benefit of this will be that the decision received by the mercury can be confirmed and meticulously determined.
वर्षफल एवं भविष्य पुस्तक/Varshphal Aivm Bhavishya Book
वर्षफल एवं भविष्य एक महत्वपूर्ण पुस्तक है, वर्षफल एवं भविष्य पुस्तक/Varshphal Aivm Bhavishya Book आसानी से उपलब्ध नहीं होती, यह पुस्तक महेन्द्र नाथ केदार जी के द्वारा लिखी हुई है, इस वर्षफल एवं भविष्य पुस्तक को के. वी. आर प्रकाशन, नई दिल्ली, ने सन् 2007 में प्रकाशित किया है, इस पुस्तक में 126 पृष्ठ(पेज) है।
वर्षफल एवं भविष्य पुस्तक/Varshphal Aivm Bhavishya Book की विषय सूचि:
वर्षफल एवं भविष्य पुस्तक में विषय सूचि अनुसार- वर्षफल के विभिन्न अंगों का परिचय, वर्ष कुण्डली बनाने की विधि, प्रयोगात्मक विश्लेषण, मैत्री विचार, पंचवर्गीय बल की गणना, हर्ष बल, वर्षेश का चुनाव, वर्षेश का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध तथा प्रभाव, ग्रहों के विभिन्न भावों में बैठने का फल, अरिष्ट विचार, जन्म कुण्डली से वर्ष कुण्डली का परस्पर सम्बन्ध, विभिन्न योग, पारिवारिक सुखों पर विचार, धनागम पर विचार, वर्षफल की दशाओं का विवरण व प्रयोग, वर्ष फल के योग तथा उनका प्रभाव, विशेष ध्यान देने वाले बिंदु, सहज बनाम फलित, त्रिपताकी चक्र, आत्म मूल्यांकन के बारे में विस्तार रूप से बताया गया है, जोकि वर्षफल एवं भविष्य पुस्तक के महत्वपूर्ण अंग है।
वर्षफल एवं भविष्य पुस्तक/Varshphal Aivm Bhavishya Book के लाभ:
- इस पुस्तक को पढ़ने से वर्षफल के महत्वपूर्ण विषयों की जानकारी मिलती है।
- वर्षफल एवं भविष्य पुस्तक को पढ़कर आप वर्षफल की जानकारी प्राप्त कर सकते है।
- वर्षफल एवं भविष्य पुस्तक पढ़कर आप जन्मपत्री से अपना भविष्य जान सकते है।
वर्षफल एवं भविष्य पुस्तक/Varshphal Aivm Bhavishya Book का विवरण:
ज्योतिषी अपने ज्ञान द्वारा भविष्य में होने वाली घटनाओं की ओर इशारा ही कर सकता है। वास्तविकता तो यह है कि रचयिता ब्रह्मा के सिवाय और कौन निश्चित रूप से बता पायेगा। जब ज्योतिष के एक प्रकांड विद्वान् का यह कथन है तब यह मानना होगा कि हमें शास्त्र का पूर्ण अध्ययन करने के साथ साथ भगवत कृपा की भी आवश्यकता है। तब ही फलित शत प्रतिशत ठीक हो सकता है। ज्योतिष शास्त्र का अभी तक हमें पर्याप्त ज्ञान हो चुका है। पाराशरी मतानुसार ज्योतिष के गणित व फलित की जानकारी प्राप्त करने के बाद, ज्योतिष के अन्य प्रकार की पद्धति का ज्ञान होना भी आवश्यक है। इसका लाभ यह होगा कि जो निर्णय पाराशरी द्वारा प्राप्त हुआ है उसकी पुष्टि तथा सूक्ष्म समय निर्धारण कर सके।
Varshphal Aivm Bhavishya Book Details:
Book Publisher: K. V. R Publications
Book Author: Mahendra Nath Kedar
Language: Hindi
Weight: 0.056 gm Approx.
Pages: 126 Pages
Size: “21.5” x “14” x “1” cm
Edition: 2007
Shipping: Within 4-5 Days in India
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Pankaj Nath –
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