Vishwa Ke Pramukh-Kaldarshak Book/विश्व के प्रमुख-कालदर्शक पुस्तक
The Vishwa Ke Pramukh-Kaldarshak (विश्व के प्रमुख-कालदर्शक पुस्तक) is an important book, the Vishwa Ke Pramukh Kaldarshak Book is not easily available, this book is written by Maharishi Abhay Katyayan Ji, the publisher of the book is Chaukhamba Prakashan, Varanasi, Uttar Pradesh, Published this book in 2004, this book has 170 pages.
Vishwa Ke Pramukh-Kaldarshak Book Content list:
According to the content list of the book, the contents are duly expressed in a simple language for the convenience of the readers. The matters are mentioned here under. Explanation of periodical and interpretation of elements of time, analysis of parts of almanac, national and provincial panchang, introduction of major foreign artists, Appendix-I, Appendix-II are explained in detail, which is an important part of the Vishwa Ke Pramukh Kaldarshak Book.
Vishwa Ke Pramukh-Kaldarshak Book Benefits:
- Reading the Vishwa Ke Pramukh Kaldarshak Book provides information about important topics of almanac.
- By reading the Vishwa Ke Pramukh Kaldarshak Book, observer can understand the importance of Kaal knowledge.
- You will also get information about the calendar of all religions by reading the Vishwa Ke Pramukh Kaldarshak Book.
Vishwa Ke Pramukh-Kaldarshak Book Description:
The name of the book presented is kept Viswa Ke Pramukh Kaldarshak, as it derives its name from the Sanskrit words, introducing the Indian calendar with Christian, Muslim, Jewish, Zoroastrian and Chinese calendar. As in the Israeli calendar, the first month of the year is ‘Tisri’. It is named after Trisari, the ancestor of the Jewish people. The Jewish people are descendants of Turvasu. Turvasu was the son of King Yayati and the daughter of Shukracharya Devayani.
The Indian Rishis did as much as the subtle meditation, thinking, research and deliberation of the fourth dimension of the world, nowhere in the world is done. Therefore they prescribed Nauman of the Kalnaakya period, called ‘Navadha Kalamanani’. If we look at the traditional chronologies prevalent in the countries of the present world, then some of them are running from solar, some only from moon and some only from Savanmaan, all of them have the characteristic of Indian calendar that there are mainly five types of them. There is a coordination of scales. Therefore, the Indian Panchang is one such observer from which festivals of all other religions can be celebrated.
विश्व के प्रमुख-कालदर्शक पुस्तक/Vishwa Ke Pramukh-Kaldarshak Book
विश्व के प्रमुख कालदर्शक एक महत्वपूर्ण पुस्तक है, विश्व के प्रमुख कालदर्शक पुस्तक/Vishwa Ke Pramukh Kaldarshak Book आसानी से उपलब्ध नही होती, यह पुस्तक महर्षि अभय कात्यायन जी के द्वारा लिखी हुई है, इस विश्व के प्रमुख कालदर्शक पुस्तक को चौखम्बा प्रकाशन, वाराणसी, उत्तर प्रदेश, ने सन् 2004 में प्रकाशित किया है, इस पुस्तक में 170 पृष्ठ(पेज) है।
विश्व के प्रमुख-कालदर्शक पुस्तक की विषय सूचि:
विश्व के प्रमुख कालदर्शक पुस्तक में विषय सूचि अनुसार- कालदर्शक की व्याख्या एवं काल के अवयवों का विवेचन, पंचांग के अंगों का विवेचन, राष्ट्रीय तथा प्रान्तीय पञ्चांग, मुख्य विदेशी कालदर्शकों का परिचय, परिशिष्ट-प्रथम, परिशिष्ट-द्वितीय के बारे में विस्तार रूप से बताया गया है, जोकि विश्व के प्रमुख कालदर्शक पुस्तक के महत्वपूर्ण अंग है।
विश्व के प्रमुख-कालदर्शक पुस्तक के लाभ:
- विश्व के प्रमुख कालदर्शक पुस्तक को पढ़ने से पंचांग के महत्वपूर्ण विषयों की जानकारी मिलती है।
- विश्व के प्रमुख कालदर्शक पुस्तक को पढ़कर काल ज्ञान के महत्व को समझ सकते है।
- विश्व के प्रमुख कालदर्शक पुस्तक को पढ़कर आपको सभी धर्मो के कालन्धरों के बारे में भी जानकारी प्राप्त होगी।
विश्व के प्रमुख कालदर्शक पुस्तक का विवरण:
प्रस्तुत पुस्तक का नाम ‘विश्व के प्रमुख कालदर्शक’ रक्खा गया है, क्योंकि इसमें भारतीय पंचांग के साथ ईसाई, मुस्लिम, यहूदी, पारसी तथा चीनी कालन्धरों का परिचय देते हुए उनके महीनों के नामों की व्युत्पत्ति संस्कृत शब्दों से सिद्ध की गई है। जैसे कि इजराइली कालन्धर में वर्ष का प्रथम मास ‘तिसरी’ है। यह यहूदी लोगों के पूर्वज त्रिसारि के नाम पर है। यहूदी लोग तुर्वसु के वंशज है। तुर्वसु राजा ययाति की पत्नी एवं शुक्राचार्य की पुत्री देवयानी के पुत्र थे। सृष्टि के चौथे आयाम ‘काल’ का जितना सूक्ष्म मनन, चिन्तन, अनुसन्धान एवं विवेचन भारतीय ऋषियों ने किया है, उतना अन्यत्र कहीं नहीं हुआ। इसलिए उन्होंने कलनात्मक काल के नौमान, जिन्हें ‘नवधा कालमानानि’ कहा जाता है, निर्धारित किये। यदि हम वर्तमान विश्व के देशों में परम्परागत रूप में प्रचलित कालन्धरों को देखें तो उनमें कोई सौरमान से, कोई केवल चान्द्रमान से तथा कोई केवल सावनमान से चल रहे है, इन सभी में भारतीय कालंधर की यह विशेषता है कि उसमें मुख्य रूप से पांच प्रकार के कालमानों का समन्वय है। अत: भारतीय पञ्चांग ही एक ऐसा कालदर्शक है, जिससे अन्य सभी धर्मावलम्बियों के पर्व त्यौहार मनाये जा सकते है।
Vishwa Ke Pramukh Kaldarshak Book Details:
Book Publisher: Chaukhamba Prakashan
Book Author: Abhay Katyayan
Language: Hindi
Pages: 170 Pages
Size: “22” x “14” cm.
Weight: 179 gm Approx
Edition: 2004
Shipping: Within 4-5 Days in India
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