Unani Evam Tibetan Chikitsa Book | यूनानी एवं तिब्ब चिकित्सा पुस्तक
The Unani Evam Tibetan Chikitsa Book (यूनानी एवं तिब्ब चिकित्सा पुस्तक) is not different from the Indian system but is the same unique knowledge which the foreigners had received from India in ancient times. After the invasion of Alexander, many Greek scholars studied Indian philosophy, literature, astrology, medicine etc. and popularized them in Greece.
Although its form changes due to language and geographical differences, the basic source is Indian medical science. The effect of fire, water, earth and air predominance in the human body is the basic disease symptoms and source of diagnosis. According to the followers of Unani medicine, the presence of these elements in different fluids and their balance is a clue to the imbalance of health.
The unique mix of these substances in each person determines his nature and the characteristics of his blood. A person with predominance of Kapha is of cold nature. Pitta makes yellow or irritable and sad bile black. To earn success and fame in medical work, proper examination of disease is essential and disease examination is a successful art.
In this subject, among all the parts of the examination, the pulse test has the most importance. At present, doctors having complete knowledge of pulse examination can reach the reality and characteristics of the disease with just a few tricks compared to the mantras of testing and many a times, pulse examination leaves the current testing instruments behind.
Nowadays, without even considering the disease, doctors take terrible decisions like surgery, which is wrong. First of all, such a medicine should be considered, which can completely destroy the disease. A world-renowned scholar like Jalinus has written after much experience. “If the disease can be cured by drug therapy, then surgery, that is, operation, should not be done.”
In the presented book, the Hindi version of Tibb Prabhakar. Tibb Yusfi, has also been added, in which along with the treatment of various diseases. These things have also been described – the method of eating food, proper time of waking up and sleeping, things that protect health, pulse test, urine test, body health etc. Readers are requested to consult a specialist doctor or physician before using any kind of medicine.
यूनानी एवं तिब्ब चिकित्सा पुस्तक | Unani Evam Tibetan Chikitsa Book
यूनानी चिकित्सा पद्धति भारतीय पद्धति से अलग न होकर वही अनुपम ज्ञान है, जो प्राचीनकाल में विदेशियों ने भारत ने प्राप्त किया था। सिकन्दर के आक्रमण के बाद अनेक यूनानी विद्वानों ने भारतीय दर्शन, साहित्य, ज्योतिष, चिकित्सा आदि शास्त्रों का अध्ययन किया और उन्हें यूनान देश में प्रचलित किया। यद्यपि भाषा एवं भौगोलिक भिन्नता के कारण उसका रूप परिवर्तित है, किन्तु मूल स्रोत भारतीय चिकित्सा शास्त्र ही है।
मानव शरीर में आग, जल, पृथ्वी और वायु प्रधानता का मानव शरीर पर प्रभाव ही मूल रोग लक्षण और निदान देखा गया या है। यूनानी चिकित्सा के अनुयायियों के अनुसार इन तत्त्वों के विभिन्न तरल पदार्थ में और उनके शेष राशि की उपस्थिति में स्वास्थ्य के असन्तुलन का सुराग लगता है।
इन पदार्थों का प्रत्येक व्यक्ति में अनूठा मिश्रण उसके स्वभाव और रक्त की विशेषता निश्चित करता है। कफ की प्रधानता वाला व्यक्ति ठण्डे स्वभाव का होता है। पित्त पीला या चिड़चिड़ा और विषदपूर्ण पित्त काला बनाता है। चिकित्सा कार्य में सफलता व ख्याति अर्जित करने के लिए रोग की उचित परीक्षा (जांच) अत्यावश्यक है और रोग परीक्षा एक सफल कला है।
इस विषय में परीक्षा के समस्त भागों में नाड़ी या नब्ज परीक्षा को सर्वाधिक महत्त्व प्राप्त है। नाड़ी परीक्षा में पूर्ण ज्ञान रखने वाले चिकित्सक वर्तमान समय में जांच के मन्त्रों के मुकाबले में मात्र थोड़े यलों से रोग की वास्तविकता और विशेषता तक पहुंच जाते हैं तथा कई बार तो नाड़ी परीक्षा वर्तमान परीक्षा यन्त्रों को पीछे छोड़ देती है।
आजकल रोग का विचार किये बिना ही डॉक्टर शल्यक्रिया जैसे भयंकर निर्णय पर पहुंच जाते हैं, जो कि गलत है। सर्वप्रथम ऐसी ओषधि के विषय में विचार किया जाना चाहिए, जो रोग को समूल नष्ट करने वाली हो। जालीनूस जैसे विश्वविख्यात विद्वान् ने बहुत अनुभव के बाद लिखा है- “यदि ओषधि चिकित्सा से रोग ठीक हो सके, तो शल्यक्रिया, अर्थात् ऑपरेशन नहीं करना चाहिए।”
प्रस्तुत पुस्तक में तिब्ब प्रभाकर का हिन्दी रूपान्तरण तिब्ब यूसफ़ी को भी जोड़ा गया है। जिसमें विभिन्न रोगों की चिकित्सा के साथ-साथ इन बातों का भी वर्णन किया गया है-भोजन आहार को विधि, जागने सोने का उचित समय आरोग्यता की रक्षा करने वाली वस्तुएं, नाड़ी परीक्षा, मूत्र परीक्षा, शरीर की आरोग्यता आदि।
पाठकों से निवेदन है कि किसी भी प्रकार की ओषधि का प्रयोग करने से पूर्ण विशेषज्ञ हकीम या वैद्य से अवश्य परामर्श ले लें।
Unani Evam Tibetan Chikitsa Book Details:
Book Publisher: DPB Publication
Book Author: Dr. Omprakash Saxena
Language: Hindi
Weight: 901 gm Approx.
Pages: 618 Pages
Size: “22.5” x “14.5” x “4” cm
Edition: 2024
Shipping: Within 4-5 Days in India
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