Vanaspati Vigyan Book (वनस्पति विज्ञान पुस्तक): It is an important book, Vanaspati Vigyan Book is not easily available. This book is written by Dr. Deepali Mittal, this Vanaspati Vigyan Book was published by Sanskrit Library, Delhi, 2009, this book has 227 pages.
Vanaspati Vigyan Book Content list:
According to the content list of the book, the contents are duly express in a simple language for the convenience of the readers. The matters are mention here under. Origin and Development, Development of Botany, Division of Botany, Botany and Ayurveda Tradition. Which is an important part of the Vanaspati Vigyan Book.
Vanaspati Vigyan Book Description:
In the tradition of Indian knowledge, sufficient material of botanical studies is obtain, on the basis of which it can be said that Vedic Wangya is the origin of this scientific subject. But studying botany with Indian astrology, medicine and architecture is definitely a subject of attraction. Although the general public today is confuse with the concept that botany only presents studies on the scientific parameters of the botanical world. But this branch of science is not limit to scientific subjects, but it is closely related to all aspects of human life is related to In this book. The scientific study of the botanical world is present with the vision of the Indian Vangya, along with how the flora is important and the basis in astrology. Architecture and Ayurveda and how they dominate our life from food to beauty is establishes etc. Topics are describe. -Vanaspati Vigyan Book
The present book is divide into four chapters. Under the first chapter, the meaning of botany, division, distinction, nomenclature, topics of ecology etc. have been presented. In the second chapter, after a brief mention of Indian astrology. The botanical scientific subject is display well connect to this scripture. In the third chapter, the meaning of Ayurveda, purpose, organs of Ayurveda. Flora and how is the association of Ayurveda, topics are describe. Vastu Shastra is describe by linking the botanical world with the last chapter.
वनस्पति विज्ञान पुस्तक/Vanaspati Vigyan Book
यह वनस्पति विज्ञान एक महत्वपूर्ण पुस्तक है वनस्पति विज्ञान पुस्तक आसानी से उपलब्ध नहीं होती, यह पुस्तक डॉ. दीपाली मित्तल जी के द्वारा लिखी हुई है, इस वनस्पति विज्ञान पुस्तक को संस्कृत ग्रंथागार, दिल्ली, ने सन् 2009 में प्रकाशित किया है, इस पुस्तक में 227 पृष्ठ(पेज) है।
वनस्पति विज्ञान पुस्तक की विषय सूचि:
इस वनस्पति विज्ञान पुस्तक में विषय सूचि अनुसार- उद्भभव एवं विकास, वनस्पति विज्ञान का विकास, वनस्पति विज्ञान के प्रभाग, वनस्पति विज्ञान एवं आयुर्वेद परम्परा, जोकि वनस्पति विज्ञान पुस्तक के महत्वपूर्ण अंग है।
वनस्पति विज्ञान पुस्तक का विवरण:
भारतीय ज्ञान की परम्परा में वनस्पति-विषयक अध्ययन की पर्याप्त सामग्री प्राप्त होती है, जिसके आधार पर यह कहा जा सकता है कि वैदिक वांग्य ही इस वैज्ञानिक विषय का उत्पति-स्थल है। किन्तु वनस्पति विज्ञान का भारतीय ज्योतिषशास्त्र, आयुर्विज्ञान एवं वास्तुविज्ञान के साथ अध्ययन करना निश्चितरूप से एक आकर्षण का विषय है। यद्पि जनसामान्य आज इस अवधारणा से भ्रमित है कि वनस्पति-विज्ञान मात्र वनस्पति-जगत् का ही वैज्ञानिक मापदण्डों पर अध्ययन प्रस्तुत करता है, किन्तु विज्ञान की यह शाखा वैज्ञानिक विषयों तक ही सीमित नहीं है, अपितु यह तो मानव जीवन के समस्त पक्षों से घनिष्ठ रूप से सम्बन्ध है। इस पुस्तक में वनस्पति जगत् का वैज्ञानिक अध्ययन भारतीय वांग्य की दृष्टि के साथ प्रस्तुत किया गया है।
इसके साथ ही ज्योतिषशास्त्र, वास्तुविज्ञान एवं आयुर्वेद में वनस्पतियाँ किआ प्रकार महत्त्वपूर्ण तथा आधारस्वरूप हैं और उनका हमारे जीवन में भोजन से लेकर सौन्दर्य-प्रसाधनों तक किस प्रकार वर्चस्व स्थापित है, आदि विषयों को वर्णित किया गया है। प्रस्तुत पुस्तक चार अध्यायों में विभक्त है। प्रथम अध्याय के अन्तर्गत वनस्पति विज्ञान का अर्थ, प्रभाग, भेद-प्रभेद, नामकरण, पारिस्थिति की आदि विषयों का प्रतिपादनकिया गया है। द्वितीय अध्याय में भारतीय ज्योतिष के संक्षिप्त उल्लेखोपरान्त वनस्पति सदृश वैज्ञानिक विषय को इस शास्त्र से सुसम्बद्ध प्रदर्शित किया गया है। तृतीय अध्याय में आयुर्वेद का अर्थ, प्रयोजन, आयुर्वेद के अंग, वनस्पति एवं आयुर्वेद का साहचर्य किस प्रकार है, आदि विषयों का वर्णन किया गया है। अंतिम चतुर्थ अध्याय के अन्तर्गत वास्तुशास्त्र को वनस्पति जगत् से जोड़कर वर्णित किया गया है।
Vanaspati Vigyan Book Details:
Book Publisher: Sanskrit Granthagaar
Book Author: Dr. Deepali Mittal
Language: Hindi
Weight: 0.643 gm Approx.
Pages: 227 Pages
Size: “24.5” x “19” x “3” cm
Edition: 2009
Shipping: Within 4-5 Days in India
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