Yogchintamani Book (योगचिंतामणि पुस्तक): Yogchintamani is an important book, in which information about Ayurveda is hidden.
Yogchintamani Book About:
Till date, Bhagwadvatar Dhanvantriji has published the Vedic literature in the world. In which thousands of texts have become popular, considering the best outcome diagnose and resolve the diseases. The well-known knowledge of these texts was rare for ordinary people. For this reason, the superior authorities have compile many texts by means of these texts. In the context Shri Harsh Kirti ji has produced the real ‘Yogchintamani’. In this, the diagnosis of every disease, preferring well. And the method of making the medicine of all the diseases of kashay, chemicals, quantities, Pak, powders, oils, Gutika, gooseberry etc. It is also readily available. -Yogchintamani Book
The knowledge of such profitable texts should be made to the natural people, therefore Mathurvanshants, Mr. Kanhaiyalal Pathak and Dattaram Choubey had published the first in ‘Shyamkashi Yantralaya’ Mathura by making “Mathurimanjusha-Hindi Teeka”. But the book was not useful to the readers due to lack of interest in the book, hence in order to facilitate the therapeutics. We have taken all the rights from the commentator and have done the registry and print it on the fine paper in the letters of the beautiful types. The comments are very easy and clear, which all general people can also understand.
योगचिंतामणि पुस्तक/Yogchintamani Book
यह योगचिंतामणि, एक महत्वपूर्ण पुस्तक है, जिसमें आयुर्वेद के बारे में बताया गया है।
योगचिंतामणि पुस्तक के बारे में..
आज तक भगवदवतार धन्वन्तरिजी ने जिस वैदिक् शास्त्र को भूमण्डल में प्रसिद्ध किया है, उस विषय में हजारों ग्रन्थ प्रचलित हुए हैं जिनमें न्यारा न्यारा विचार करके रोगों का निदान और निराकरण किया है। इन ग्रन्थों का भलीभांति ज्ञान होना साधारण श्रेणी के मनुष्यों को दुर्लभ था। इस कारण श्रेष्ठ वैदों ने इन ग्रन्थों के तात्पर्य लेकर अनेक ग्रन्थ रचित किये हैं। तदन्तर्गत प्रकृत ‘योगचिन्तामणि’ अग्रगण्य वैधवर श्री हर्ष कीर्ति जी ने निर्मित किया। इसमें प्रत्येक रोगों का निदान, पूर्वरूप अच्छे प्रकार कथन कर उनके ऊपर कषाय, रसायन, मात्रा, पाक, चूर्ण, तैल, गुटिका, अवलेह इत्यादि सर्व रोगों की औषधि बनाने की विधि भी सुगमता से कही है।
ऐसे लाभदायक ग्रन्थ का ज्ञान प्राकृत मनुष्यों को भी हो, इसलिए माथुरवंशातंस श्रीयुत कन्हैयालाल पाठक और दत्तराम चौबैजी ने “माथुरीमंजूषा-हिन्दी टीका” बनाकर प्रथम ‘श्यामकाशी यंत्रालय’ मथुरा में छपवाया था। परन्तु पुस्तक रुचिर आकृति में न होने से पाठकों को उपयोगी ना हुआ, अत:एव चिकित्साभिलाषियों के सुलभार्थ हमने टीकाकार से सब ग्रंथाधिकार लेकर रजिस्ट्री कराकर सुंदर टैप के अक्षरों में चिकने काग़ज पर शुद्धतापूर्वक मुद्रित की है। टीका बहुत सुगम और उत्तम स्पष्ट है जिसके द्वारा सर्व सामान्य जनों को भी बोध हो सकता है।
Yogchintamani Book Details:
Book Publisher: Khemraj Prakashan
Book Author: Khemraj Shri Krishna Das
Language: Hindi
Weight: 0.225 gm Approx.
Pages: 230 Pages Yogchintamani Book
Size: “22” x “14.5” x “1” cm
Edition: 2013
Shipping: Within 4-5 Days in India
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suraj Singh –
Nice book