Nath Itihas Book (नाथ इतिहास पुस्तक) is an important book, Nath Itihas book is not easily available, this book is written by Prakash Nath Chauhan, this Nath Itihas book is published by Sri Saraswati Prakashan, this book has 261 pages.
Nath Itihas Book Content list:
According to the content list of the Nath Itihas Book, the contents are duly expressed in a simple language for the convenience of the readers. The matters are mentioned here under. Nath Siddha and Sant Vandana, Nath Sampradaya:
Origin and development, Nath Sampradaya in all four ages, Nav Nath Chaurasi Siddha in Rajasthan, Gorakhnath in Rajasthan, affection on Goga Chauhan, kindness on Siddha Jasnath is explained in detail. Nath history is an important part of the Nath Itihas Book.
Nath Itihas Book Benefits:
- Reading Nath Itihas book provides information about Nath history.
- By reading Nath Itihas Book, you can understand all the importance of Nath Samprada.
Nath Itihas Book Description:
Shivavatar Yogeshwar Guru Gorakshanath and the Nath sect promoted by him have been an important contributor to the Indian yoga tradition, religion, culture. The centers of the Nath sect are spread all over India. The legends and folklore related to the achievements and miracles of Guru Gorakhnath and Nath Yogis are spread in different forms in different districts of India.
No one has as much influence as the Nath Yogis have permanently on Indian folk. These yogis did not ignore the body of this folk and the ordinary human beings while doing yoga for Moksha Sidhdhi. He called this folk Shiva as a colossal form.
Declared the body to be a Shiva temple and told each living being to be a narrow form of Shiva and told the path of achievement of their Shiva. Kaya Siddha body is the unity of the universe, the power of Shiva Shakti, the Avadhuta position and the emphasis on the practice of modesty and virtue and celibacy.
Nath yogis used their Sidhdhi to relieve the temporal supernatural suffering of the common man. Guru Gorakhnath told the target and spiritual practice of different sects and reconciled them by eliminating the protests spread in them and by integrating the twelve texts of the Nath sect with his unique coordinating talent, introduced the monolithic vision and organization power.
नाथ इतिहास पुस्तक/Nath Itihas Book
नाथ इतिहास एक महत्वपूर्ण पुस्तक है, नाथ इतिहास पुस्तक आसानी से उपलब्ध नहीं होती, यह पुस्तक प्रकाशनाथ चौहान के द्वारा लिखी हुई है, इस नाथ इतिहास पुस्तक को श्री सरस्वती प्रकाशन, ने प्रकाशित किया है, इस पुस्तक में 261 पृष्ठ(पेज) है।
नाथ इतिहास पुस्तक की विषय सूचि:
नाथ इतिहास पुस्तक सूचि अनुसार- नाथ सिद्ध एवं संत वंदना, नाथ सम्प्रदाय: उद्भव और विकास, चारो युगों में नाथ सम्प्रदाय, राजस्थान में नव नाथ चौरासी सिद्ध, राजस्थान में गोरखनाथ, गोगा चौहान पर स्नेह, सिद्ध जसनाथ पर कृपा के बारे में विस्तार रूप से बताया गया है, जोकि नाथ इतिहास पुस्तक के महत्वपूर्ण अंग है।
नाथ इतिहास पुस्तक के लाभ:
- नाथ इतिहास पुस्तक को पढ़ने से नाथ इतिहास की जानकारी मिलती है।
- नाथ इतिहास को पढ़कर आप नाथ साम्प्रदा के समस्त महत्व को समझ सकते है।
नाथ इतिहास पुस्तक का विवरण:
भारतीय योग परम्परा, धर्म, संस्कृति मे शिवावतार योगीश्वर गुरु गोरक्षनाथ तथा उनके द्वारा प्रवर्तित नाथ सम्प्रदाय का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। नाथ सम्प्रदाय के केंद्र सम्पूर्ण भारत में फैले हुए है। गुरु गोरखनाथ तथा नाथ योगियों की सिद्धियों और चमत्कारों से सम्बन्धित किवदंतियाँ एवं लोक कथाएँ भारत के विभिन जनपदों में भिन्न-भिन्न रूपों में फैली हुई है।
नाथ योगियों का भारतीय लोकमानस पर जितना गहरा प्रभाव स्थायी रूप से पड़ा हुआ है, उतना किसी का नहीं। इन योगियों ने मोक्ष सिद्धि के लिए योग साधना करते हुए इस लोक की शरीर की तथा सामान्य मानव की उपेक्षा नही की। उन्होंने इस लोक शिव का ही व्यक्त विराट रूप बताया |
शरीर को शिव मंदिर घोषित किया तथा प्रत्येक को जीव को शिव का ही संकुचित रूप बताकर उनके शिवत्व की उपलब्धि का मार्ग बताया। काया सिद्ध पिण्ड ब्रह्माण्ड का ऐक्य, शिव शक्ति का सामरस्य, अवधूत पद तथा शील सद्गुण और ब्रह्मचर्य की साधना पर बल ये कुछ नाथ योग सम्प्रदाय की महत्वपूर्ण देन है।
नाथ योगियों ने अपनी सिद्धियों का उपयोग सामान्य जन की लौकिक अलौकिक पीड़ा को दूर करने के लिए किये। गुरु गोरखनाथ ने विभिन्न सम्प्रदायों के लक्ष्य एवं साधना विधि से तात्विक स्वरूप को बतलाकर उनमें फैले विरोध को दूर कर सामंजस्य स्थापित किया तथा बारह पन्थो को नाथ सम्प्रदाय के अंतर्मुक्त कर अपनी विलक्षण समन्वयात्मक प्रतिभा, एकात्म की अद्वैत दृष्टि तथा संगठन शक्ति का परिचय दिया।
Nath Itihas Book Details:
Book Publisher: Saraswati Prakashan
Book Author: Prakshnath Chauhan
Language: Hindi
Pages: 261 Pages Book
Size: “21.5” x “13.5” x “1.5” cm
Weight: 268 gm (Approx)
Shipping: Within 4-5 Days in India
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