Sanshipt Parichay Book (संक्षिप्त परिचय किताब) : Sanshipt Parichay is an important book, this is a short introductory book and is not available easily, this Sanshipt Parichay Book is written by Dr. Raghunath Prasad Tiwari Ji, Rajasthani Granthagaar, Jodhpur, has published this book. Published in 2017, this book has 232 pages.
Sanshipt Parichay Book Content list:
The content list of this Sanshipt Parichay Book is as under. Regarding Angira, Agastya, Atri, Aghamarshan, Avyaya, Ashtchaakra, Uddalak, Orva, Usna, Kanchan, Kapil, Karna, Kashyap, Kavi, Kawash, Katayayana, Kanva and Kannava, Kashkrutsna, Krishnatreya, Kutsa, Kautsa, Kondilaya, Kaushik, Garg, Gobhil, Gautam, Ghritkaushik, Jamdagni, Jatukarna, Jabali, Jahn, Jaminini, Tantri, Tand, Taitireya, Darbhayan, Dalabhya, Dhananjay, Dhoumya, Maharishi Parashar, Pulastya, Bali, Brihaspati, Bodhayana, Bhardwaj, Bhargava, Marichi, Mandya , Markandeya, Lomaash, Vashishta, Vishnu, Vishwamitra, Shankh, Shandilya, Shakti, Savarna, Harat are explained in detail, which is the important part of the Sanshipt Parichay Book.
Sanshipt Parichay Book Description:
It is ironic that the human, which is considered to be the best intellectual level according to its work in society, today is slowly forgetting its mythological culture and beliefs. For one reason, turning away from your traditional and following the second western culture. Walking with time is necessary for progress and development, but forgetting your origin can not be called wisely.
In the sacred activities of all societies, it is necessary to remember the information of at least three generations before yourself and the sage clan. Today, the person is reminded of this, think about yourself and do surveys, despair will be your hand; Whether it is urban or rural Mental distress is more then when a person tells his tribe to the branch etc., whereas the tribe is a sage whose information is gradually decreasing. In this sequence, one thing has been seen that many people know their sage tribe, but they are known only by their abusive nature.
Sanshipt Parichay Book Benefits:
By reading the book, one can know the brief introduction to the sages of the gothic originator.You can understand about the tribe by reading the Sanshipt Parichay Book, introduction of the sages and brief introduction.
संक्षिप्त परिचय किताब/Sanshipt Parichay Book
संक्षिप्त परिचय एक महत्वपूर्ण पुस्तक है, संक्षिप्त परिचय पुस्तक आसानी से उपलब्ध नही होती, यह पुस्तक डॉ. रघुनाथ प्रसाद तिवाड़ी जी के द्वारा लिखी हुई है, इस संक्षिप्त परिचय पुस्तक को राजस्थानी ग्रन्थागार, जोधपुर, ने सन् 2017 में प्रकाशित किया है, इस पुस्तक में 232 पृष्ठ(पेज) है।
संक्षिप्त परिचय किताब/Sanshipt Parichay Book की विषय सूचि:
संक्षिप्त परिचय पुस्तक/Sanshipt Parichay Book में विषय सूचि अनुसार – अंगिरा, अगस्त्य, अत्रि, अघमर्षण, अव्यय, अष्टाचक्र, उद्दालक, और्व, उसना, कांचन, कपिल, कर्ण, कश्यप, कवि, कवष, कात्यायन, कण्व एवं काण्व, काशकृत्स्न, कृष्णात्रेय, कुत्स, कौत्स, कौण्डिलय, कौशिक, ऋतु, गर्ग, गोभिल, गौतम, घृतकौशिक, जमदग्नि, जातूकर्ण, जाबाली, जह्न, जैमिनि, तंत्री, ताण्ड, तैतिरेय, दरभायन, दालभ्य, धनंजय, धौम्य, महर्षि पराशर, पुलस्त्य, बलि, ब्रहस्पति, बोधायन, भारद्वाज, भार्गव, मरीचि, मांडव्य, मार्कंडेय, लोमाश, वशिष्ठ, विष्णु, विश्वामित्र, शंख, शांडिल्य, शक्ति, सावर्ण, हारीत के बारे में विस्तार रूप से बताया गया है, जोकि संक्षिप्त परिचय पुस्तक/Sanshipt Parichay Book के महत्वपूर्ण अंग है।
संक्षिप्त परिचय पुस्तक/Sanshipt Parichay Book का विवरण:
यह विडम्बना ही है कि मानव, जिसे समाज में उसके कर्मानुसार श्रेष्ठ बौद्धिक स्तर का माना जाता है, आज अपनी पौराणिक संस्कृति एवं मान्यताओं को धीरे धीरे भूलता जा रहा है। एक कारण तो अपने पैतृक पारम्परिक कार्य से मुंह मोड़ना तथा दूसरा पाश्चात्य संस्कृति का अनुसरण करना। समय के साथ चलना, प्रगति एवं विकास के लिए आवश्यक है, किन्तु अपने मूल को विस्मृत करना बुद्धिमानी नहीं कहा जा सकता।
सभी समाजों में पौरोहित कार्यो में अपने से पूर्व की कम से कम तीन पीढ़ियों की जानकारी एवं ऋषि गोत्र का स्मरण आवश्यक है। आज व्यक्ति को ये कितने स्मरण है, स्वयं विचार करें एवं सर्वे करें, निराशा ही हाथ लगेगी; चाहे वह शहरी व्यक्ति हो या ग्रामीण। मानसिक कष्ट तो उस समय अधिक होता है जब शाखा आदि को व्यक्ति अपना गोत्र बताता है, जबकि गोत्र तो ऋषि का होता है जिसकी जानकारी व्यक्ति को धीरे धीरे कम होती जा रही है। इसी क्रम में एक बात और देखी गई है कि कइयों को अपना ऋषि गोत्र तो मालूम है किन्तु उसका अपभ्रंश रूप ही उनको ज्ञात है।
संक्षिप्त परिचय पुस्तक/Sanshipt Parichay Book के लाभ:
इस पुस्तक को पढ़ने से गोत्र प्रवर्तक ऋषियों के बारे में जानकारी मिलती है।
संक्षिप्त परिचय पुस्तक को पढ़कर आप गोत्र के बारे में समझ सकते है।
Sanshipt Parichay Book Details:
Book Publisher: Rajasthani Granthagaar
Book Author: Dr. Raghunath Prasad Tiwari
Language: Hindi
Weight: 0.409 gm Approx.
Pages: 232 Pages
Size: “22” x “14” x “2” cm
Edition : 2017
Shipping: Within 4-5 Days in India
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