Napunsakamritarnav Book (नपुंसकामृतार्णव पुस्तक): Napunsakamritarnav is an important book, in which information about males problem.
Napunsakamritarnav Book About:
There is no need to be more vigilant in this matter, at this time what is the state of the world that is not hide from anyone. In general, people with malicious bodies are seen only. There are people who have such a bad state that they are look like facing death. There are also some who have to suffer the most due to being impotent themselves. In such a sad condition they may think many things. What these people would think God knows but some fools do great disasters. The people and the world are being corrupt by this type of people, but this wick person also stigmatizes the lives of his parents. – Napunsakamritarnav Book
Incidentally, the author sermonic literature was met by Mr. Seth Khemraj ji and some discussions of this subject went on and the arrangement of the people and robbing them with false true intersections, etc. after the special consideration, Shree Shanti Seth ji create such a desire to create a good text of this subject. It was revealed that I had wanted to write such a scripture earlier. As if by saying of Mr. Seth ji, the sleeping desire awaken. Napunsakamritarnav Book
नपुंसकामृतार्णव पुस्तक/Napunsakamritarnav Book
यह नपुंसकामृतार्णव एक महत्वपूर्ण पुस्तक है, जिसमें पुरुषों की समस्याओं के बारे में जानकारी दी गई है।
नपुंसकामृतार्णव पुस्तक पुस्तक के बारे में..
इस विषय में अधिक विवेचना की आवश्यकता नहीं कि, इस समय संसार की क्या अवस्था है, जो है वह किसी से छुपी हुई नहीं, साधारणतय: कुकर्म से दूषित शरीर वाले लोग ही दिखाई पड़ते हैं कुछ ऐसे भी लोग होते हैं जो अपनी ऐसी खराब अवस्था होने से काल के मुख में जैसा प्रतीत होता हैं। कुछ ऐसे भी हैं जिनको स्वयं नपुंसक होने से सबसे ज्यादा दुःख देखने पड़ते हैं, ऐसी दुःखव्यंजक अवस्था में न जानें ये लोग क्या क्या सोचते होंगे यह तो भगवान् ही जाने परन्तु कोई कोई मूर्ख महान् अनर्थ भी कर बैठते हैं, जिसके फल से इनका तो यह लोक और परलोक दूषित होता ही है परन्तु यह दुष्ट अपने माता पिता आदि कुटुम्बियों का जीवन भी कलंकित कर देते हैं।
दैवयोग से परमोदारचरित शास्त्रोंद्धारक वैश्यकुलभूषण श्रीयुत सेठ खेमराजजी से भेंट हुई और कुछ इस विषय की चर्चा चली और लोगों की व्यवस्था तथा उनका झूठे सच्चे इस्तिहारों से लूटना आदि विशेष विवेचन होने के अनंतर श्रीयुक्त सेठजी ने “इस विषय का कोई उत्तम ग्रन्थ बनाकर भेजिये” ऐसी इच्छा प्रगट की मैं पहले ही ऐसा ग्रन्थ लिखना चाहता भी था सो श्रीयुत सेठजी के कहने से मानो सोती हुई इस पुस्तक को बनाने को इच्छा एकदम उठ खड़ी हुई।
Napunsakamritarnav Book Details:
Book Publisher: Khemraj Prakashan
Book Author: Khemraj Shri Krishan das
Language: Hindi
Weight: 0.111 gm Approx.
Pages: 154 Pages Napunsakamritarnav Book
Size: “18” x “13” x “0.5” cm
Edition: 2009
Shipping: Within 4-5 Days in India
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Isha –
Sanskrit book ??