Dhan Varshini Tara Book (धन वर्षिणी तारा पुस्तक): The significance of wealth in a human life is a prime issue, because whole world is based on wealth and for last five thousand years money is given the maximum importance. It is a fact that how we utilize the money, whether for the welfare of the people or misuse it in other way it depends upon our prudence. Whole world, even every person tries to be filthy rich and wealthy but very few can achieve that though each and every person makes effort. They do business, they undertake services, they do variety types of work but in spite of that they are unable to get complete success. Dhan Varshini Tara Book.
For this their luck, their sacraments of previous birth. Work during this life and many other issues become the reasons and due to this failure they are unable to become rich completely and for this failure their life become worst and like death. Their desire evolves daily in the morning and dies during the dusk. They are unable to feed their family as per the wish and hence they cannot bring weal in their life. It means that only by hard labour wealth cannot be collected, if be so then daily labours, artisans and other labor classes would have been rich. This shows that by doing hard labour only wealth cannot be achieved. For the gain one has to go for accomplishment, divine help and such adoration by which goddess Lakshmi can be stable at home. There are thousands of accomplishments of goddess Lakshmi are described in our scriptures. – Dhan Varshini Tara Book.
Out of them all are duly authenticated but accomplishment can be successful with experiences and who are benefitted by these accomplishments. Among all these accomplishments, Tara Mahavidya accomplishment is the best. It is said that who has achieved Tara Mahavidya; he has achieved the total wealth of the earth. He is never in short of money in his life time and goddess Lakshmi follows her. He may stay anywhere but the shower of wealth will always remain on him. The money he spends, receives hundred times more than that. This wealth bring, respect, establishment, prestige, promotion and success in life. Regarding Tara, Saraswati and other accomplishments hundreds of texts are written in hundreds of types and those are duly examined. The result found was mostly incomplete and short which shows that somewhere accomplishment was incomplete. -Dhan Varshini Tara Book.
It is not possible that a person is accomplishing Tara and becoming unsuccessful in life. One has to accomplish with a complete system perfectly. If the accomplishment is successful then poverty, nothingness will go away. Therefore high level accomplishment which is perfect and right is too important to get the desired things. In this book the accomplishment of Tara is detailed in such a way which can provide wealth and achieve the sainthood and acquire the wealth. His heart will be full of Lakshmi who will perform it rightly. Besides this he can acquire speech sainthood. If he curses anyone, he will go towards the bottom of the life and if provides boon, he will progress because one of the form of Tara is Saraswati- Dhan Varshini Tara Book.
Dhan Varshini Tara Book (धन वर्षिणी तारा पुस्तक) About Author:
The world famous Dr. Narayan Dutt Shrimali was an exponent spiritual Guru of this era. He implied the lost spiritual science into a modern way, which was a true cultural heritage of India particularly on subjects such as Mantra, Tantra, Palmistry, Astrology, Ayurveda, Hypnotism, Kriya Yoga, Solar Science, and Alchemy to the easy reach of common people. He introduced the significance of Tantra in beautification of one’s life and in shaping a healthy, constructive society- from Dhan Varshini Tara Book.
धन वर्षिणी तारा पुस्तक/Dhan Varshini Tara Book:
जीवन में धन की महत्वता सर्वोपरि है, क्योंकि सारा विश्व धन के ऊपर ही आश्रित है और पिछले पांच हजार वर्षो में धन को ही सर्वाधिक महत्व दिया गया है। यह अलग बात है, कि हम धन का सदुपयोग करें, दान दें, भूखों को भोजन कराएं और जीवन को उन्नतिशील बनाने में धन का उपयोग करें अथवा दुरूपयोग करें, यह तो अपने अपने विवेक की बात है। पूरा संसार.. और पूरा संसार तो क्या, प्रत्येक व्यक्ति धनोपार्जन कर उच्चकोटि का धनाढ्य बनने के लिए प्रयत्न करता रहता है, किन्तु बहुत कम ही लोग पूर्ण रूप से सम्पन्न हो पाते है; यद्यपि सभी लोग परिश्रम करते है, व्यापार करते है, नौकरी करते है और अन्य प्रकार के भी कई कार्य करते है, मगर इसके बावजूद भी उन्हें पूर्ण सफलता प्राप्त नहीं हो पाती।
इसके पीछे उनका प्रारब्ध, उनका भाग्य, उनके पूर्व जन्म के संस्कार, इस जीवन के कार्य और अन्य कई तथ्य ऐसे होते है, जिसकी वजह से वे जीवन में पूर्ण धनवान नहीं बन पाते- और यदि धनवान नहीं बन पाते तो उनका जीवन अपने आप में मृत्यु तुल्य बन जाता है, फिर वे नित्य पैदा होते है और शाम को मर जाते है, क्योंकि वे अपने परिवार का ही पालन पोषण ढंग से नहीं कर पाते, वे जीवन में वैभव प्राप्त नहीं कर पाते, वे जीवन की आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं कर पाते, वे परिवार को प्रसन्नता नहीं दे पाते। -Dhan Varshini Tara Book.
इसका तात्पर्य यह हुआ, कि मात्र परिश्रम से धन प्राप्त नहीं हो सकता, यदि परिश्रम से ही धन प्राप्त होता, तो एक कारीगर या मजदूर हमसे ज्यादा परिश्रम करता है, चिलचिलाती धूप में पत्थर उठाता रहता है, वह हमसे ज्यादा सम्पन्न और धनवान होता। इसका तात्पर्य यह है कि परिश्रम से धनोपार्जन या पूर्ण वैभव प्राप्त नहीं हो सकता। इसके लिए आवश्यकता है – देवी साधना की, दैविक सहायता की, एक ऐसी साधना जिसके माध्यम से उसके घर में लक्ष्मी पूर्णता से स्थापित हो सके-Dhan Varshini Tara Book.
लक्ष्मी से सम्बन्धित हजारों साधनाएं शास्त्रों में वर्णित है और सभी साधनाएं अपने आप में पूर्णत: प्रमाणिक है, परन्तु साधना तो वह होनी चाहिए जो अनुभव सिद्ध हो, जिससे लाभ प्राप्त हुआ हो। इस प्रकार की साधनाओं में सर्वश्रेष्ठ साधना “तारा महाविद्या साधना” है। कहा जाता है, कि जिसने तारा महाविद्या प्राप्त कर ली, उसने पूरे संसार का वैभव प्राप्त कर लिया। उसको जीवन में धन की कमी नहीं रहती, वह आगे-आगे बढ़ता ही रहता है और लक्ष्मी वरमाला लिए हुए पीछे-पीछे चलती रहती है। वह चाहे घर में रहे, जंगल में रहे, वह चाहे कहीं भी रहे, धन की हमेशा वर्षा सी होती रहती है, दोनों हाथों से वह जितना व्यय करता है, उससे सौ गुना ज्यादा उसको अनायास ही प्राप्त होता रहता है- और धन के द्वारा उसको वैभव, यश, सम्मान, पद, प्रतिष्ठा, पूर्णता और सफलता प्राप्त होती ही रहती है। धन वर्षिणी तारा पुस्तक
तारा, सरस्वती तथा अन्य साधनाओं के बारे में सैंकड़ों ग्रन्थों में सैंकड़ों प्रकार से लिखा गया है और उन सभी साधनाओं को आजमा कर देखा गया, तब यह अहसास हुआ, कि अधिकांश साधनाएं अपूर्ण है या न्यून है, कहीं न कहीं उनमें न्यूनता है और यही कारण है, कि जितना प्रयत्न करते है, परिश्रम करते है, वह बेकार चला जाता है; क्योंकि ऐसा तो हो ही नहीं सकता, कि हम तारा साधना करें और सफल नहीं हों। ऐसा तो हो ही नहीं सकता, कि पूर्ण विधि के साथ तारा साधना करें और जीवन में अभाव, दरिद्रता, कष्ट और पीड़ा रह जाए। इसलिए एक ऐसी उच्चकोटि की साधना की नितांत आवश्यकता दिखी, जो प्रमाणिक हो, सही हो, अचूक हो और अनुभव गम्य हो; जिसके माध्यम से हम मनोवांछित सफलता प्राप्त कर सकें। -Dhan Varshini Tara Book.
Dhan Varshini Tara Details:
Book Publisher: S Series Books
Book Author: Dr. Narayan Dutt Shrimali
Language: Hindi
Weight: 043 gm Approx.
Pages: 44 Pages
Size: “20” x “14” x “0.5” cm
Edition: 2011
Shipping: Within 4-5 Days in India
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