Ganpati Pratishtha Prayog Book/गणपति प्रतिष्ठा प्रयोग पुस्तक
The Ganpati Pratishtha Prayog (गणपति प्रतिष्ठा प्रयोग पुस्तक) is an important book, the Ganpati Pratishtha Prayog Book is not easily available. This book has been written by Ashok Kumar Gaur, published by Thakur Prakashan, this Ganpati Pratishtha Prayog Book has 240 pages.
Ganpati Pratishtha Prayog Book Content list:
According to the content list of the Ganpati Pratishtha Prayog Book, the contents are duly expressed in a simple language for the convenience of the readers. The matters are mentioned here under. Manglacharanam, Pratishtarambh, Prasadadivasan Kalash Sthapankram, Prasad Vastu Poojanam, Sthapana divas karma, Pindikayan Tatwanyas :, Pindikayan Murthyp-Lokeshnyas, Pindikasthapanam, Pranpratishta, Prasadbahirshtdikshu Sthndiladikrityamr, Wahnhom, Ganapatipariwardevatavichar, Bahanpujanam, Ganapatyayudhahom is described in more detail , Which is Ganapati Pratistha Prayog’s critical part.
Ganpati Pratishtha Prayog Book Benefits:
- By reading the Ganpati Pratishtha Prayog Book we get important information about Ganapati establishment.
- The Ganpati Pratishtha Prayog is explained in detail in the book Ganapati Sthapana Mantra.
- Ganpati Pratishtha Prayog Book also shows Ganapati ji’s praises and method of his worship.
Ganpati Pratishtha Prayog Book Description:
Ganapati Pratishtha Prayog, on the basis of this book, at the beginning of all auspicious works, Lord Ganesha’s forehead is still prevalent among the Hindu caste. The main reason for this is that they eliminate all obstacles. They are always engaged in the interest of others, they complete the work with holy nature, the saint and their devotees. Mars are the main feature of all. Hinduism consists of thirty three deities. Out of these, our chief is Ganesha. The law of their worship and dignity is not from today, but has been in place in this holy India land since ancient times. In this period of today, they are being worshiped the most. The belief of Ganesha is spread in every corner of the country, it is not an ordinary deity, because in the beginning of the worship of any deity, in any satkarmanusthan, in any excellent and ordinary to ordinary cosmic deed, it is the first remembrance of them and It is very important to worship. The main reason for this is that without their archana and Puja, all the work becomes fruitless.
गणपति प्रतिष्ठा प्रयोग पुस्तक/Ganpati Pratishtha Prayog Book
गणपति प्रतिष्ठा प्रयोग एक महत्वपूर्ण पुस्तक है, गणपति प्रतिष्ठा प्रयोग पुस्तक आसानी से उपलब्ध नहीं होती यह पुस्तक अशोक कुमार गौड़ के द्वारा लिखी हुई है, जिसको श्री ठाकुर प्रकाशन ने प्रकाशित किया है, इस पुस्तक में 240 पृष्ठ(पेज) है।
गणपति प्रतिष्ठा प्रयोग पुस्तक की विषय सूचि:
गणपति प्रतिष्ठा प्रयोग पुस्तक की विषय सूचि अनुसार- मंगलाचरणम्, प्रतिष्ठारम्भ, प्रासादाधिवासन कलशस्थापनक्रम:, प्रासादाधिवासनम, प्रासादवास्तुपूजनम, स्थापनादिवसकर्म, पिण्डीकायां तत्वन्यास:, पिण्डीकायां मूर्तिप-लोकेशन्यास:, पिण्डीकास्थापनम, प्राणप्रतिष्ठा, प्रासादबहिरष्टदिक्षु स्थण्डिलादिकृत्यम्, वाहनहोम:, गणपतिपरिवारदेवताविचार:, बहनपूजनम, गणपत्यायुधहोम: के बारे में विस्तार रूप से बताया गया है, जोकि गणपति प्रतिष्ठा प्रयोग के महत्वपूर्ण अंग है।
गणपति प्रतिष्ठा प्रयोग पुस्तक के लाभ:
- गणपति प्रतिष्ठा प्रयोग पुस्तक को पढने से हमें गणपति स्थापना के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है।
- गणपति प्रतिष्ठा प्रयोग पुस्तक में विस्तार रूप से गणपति स्थापना मन्त्र के बारे में बताया गया है।
- गणपति प्रतिष्ठा प्रयोग इस पुस्तक में गणपति जी की स्तुतियों व उनके पूजन की विधि को भी दर्शाया गया है।
गणपति प्रतिष्ठा प्रयोग पुस्तक का विवरण:
गणपति प्रतिष्ठा प्रयोग, इस पुस्तक के आधार पर समस्त शुभ कार्यो के प्रारम्भ में गणेशजी की अग्रपूजा हिन्दू जाति में आज भी प्रचलित है। इसका मुख्य कारण यह है कि ये समस्त विघ्नो का हरण करते है। ये सदैव दूसरे के हित में लगे रहते है, सत्प्रवृत्त, पुण्यात्मा और अपने भक्तो के कार्य को यह निर्विघ्न रूप से पूर्ण करते है। सभी का मंगल करना इनकी मुख्य विशेषता है। हिन्दू धर्म में तैंतीस कोटि देवी-देवताओं का समावेश है। इन्हीं मे से हमारे प्रमुख गणेश जी है। इनकी पूजा एवं प्रतिष्ठा का विधान आज से नहीं, अपितु प्राचीनकाल से इस पवित्र भारत भूमि में होता चला आ रहा है। आज के इस कलिकाल में तो इनकी उपासना सर्वाधिक रूप से हो रही है। गणेश जी की मान्यता देश के कोने कोने में व्याप्त है, यह कोई साधारण देवता नहीं है, क्योंकि किसी भी देवता की आराधना के आरम्भ में, किसी भी सत्कर्मानुष्ठान में, किसी भी उत्कृष्ट एवं साधारण से साधारण लौकिक कर्म में सबसे पहले इन्हीं का स्मरण एवं वन्दन करना अत्यंत अनिवार्य है। इसका मुख्य कारण यह है कि इनकी अर्चना व पूजा के बिना सभी कार्य निष्फल हो जाते है।
Ganpati Pratishtha Prayog Book Details:
Book Publisher: Rupesh Thakur Prakashan
Book Author: Dr. Ashok Kumar Gaur
Language: Hindi
Weight: 379 gm Approx.
Pages: 240 Pages
Size: “22” x “14” x “2” cm
Edition: 2014
Shipping: Within 4-5 Days in India
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