Kali Kitab Book/काली किताब पुस्तक
The Kali Kitab (काली किताब पुस्तक) is an important book, the Kali Kitab Book is not readily available, this book is written by Kali Pandit Ji, this book has been published by Pooja Publications, Delhi, this book contains 629 pages.
Kali Kitab Book Content list:
According to the subject list in the Kali Kitab Book- Shakti and Tantra, Art analysis, Panch Makar and Leftism, Hadi-Kadhi Vidya, Mother Kali, Kali’s origin, Mother Kali’s Varna, abode etc., Mantra Diksha and meditation, installation and worship rules, Kali worship system, Kali havan system, Kali evening and daily karmas, privilege establishment method, Kali Pravah Stotra, Kali sadhana, Kali mantra sadhana, Mahakali Kavach and Stotra, Ten Mahavya Sadhana, Chinnamasta, Bhubaneswarwari, Shodhashi, Tripura Bhairavi, Dhumavati, Baglamukhi, Matangi, Kamala, Mantra Experiments of Ten Mahavidyasas, Shaktipeeth, Kali Tantram, Yakshini etc., Sadhana of the Yogis, Sadhana of Bhairavis, Sri Kali Beej Sahastrakshari, Panchanguli sadhana, Yonikvacham, Kamakhya Tantra, owl tantra system, experiments of crow, have been explained in detail. That is an important part of the Kali Kitab Book.
Kali Kitab Book Benefits:
- Reading the Kali Kitab Book gives information about important topics of worship of Mother Kali.
- By reading the Kali Kitab Book you can understand the importance of mother Kali and the system.
- By reading this Book, you can also learn about the spiritual practice of yoginis, dakinis, Gandhwar and ghost ghosts, along with ten Mahavidyas.
Kali Kitab Book Description:
Last moment is called Kaal in the form of Shiva and being his better half she is called Kali. It is the goddess of fast, mighty, victorious, god of glory. Kali has the principal place in ten major Mahavidyas. Due to the philosophical view of the importance of the time system, Kali is considered to be the dominant place in omnipotence. The most popular form of Kali is the Dakshina Kali. The accomplishment of Devi is done In this form. Kali is also called kalika or shyaama and Rakta.
Why is Kali called Dakshina Kali? In this context, it is said in the Nirvana tantra system that the place of Suryaputra Yama is in the south, but he also fears listening to the name of Kali and leaves his place.
काली किताब पुस्तक/Kali Kitab Book
काली किताब एक महत्वपूर्ण पुस्तक है, काली किताब पुस्तक/Kali Kitab Book आसानी से उपलब्ध नही होती, यह पुस्तक काली पण्डित जी के द्वारा लिखी हुई है, इस काली किताब पुस्तक को पूजा प्रकाशन, दिल्ली, ने प्रकाशित किया है, इस पुस्तक में 629 पृष्ठ(पेज) है।
काली किताब पुस्तक/Kali Kitab Book की विषय सूचि:
काली किताब पुस्तक में विषय सूचि अनुसार- शक्ति और तन्त्र, कला विवेचन, पंच मकर व वामपंथ, हादि-कादि विद्या, मां काली, काली की उत्पत्ति, मां काली का वर्ण, निवासादि, मन्त्र दीक्षा व ध्यानादि, प्रतिष्ठापना व पूजन विधान, महाकाली की पूजन विधि, काली हवन पद्धति, दक्षिण कालिका हवन पद्धति, काली संध्या व नित्य कर्म, विशेषाधर्य स्थापन विधि, काली लहरी स्तोत्र, काली साधना, काली मन्त्र साधना, महाकाली के कवच व स्तोत्रादि, दस महाविद्या साधना, छिन्नमस्ता, भुवनेश्वरी, षोडशी, त्रिपुर भैरवी, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी, कमला, दस महाविद्याओं के मन्त्र प्रयोग, शक्तिपीठ, काली तन्त्रम, यक्षिणी आदि की साधनाएं, योगिनियों की साधनाएं, भैरवियों की साधनाएं, श्री काली बीज सहस्त्राक्षरी, पंचांगुली साधना, योनिकवचम, कामाख्या तन्त्र, उल्लू के तन्त्र प्रयोग, कौवे के तन्त्र प्रयोग के बारे में विस्तार रूप से बताया गया है, जोकि काली किताब पुस्तक के महत्वपूर्ण अंग है।
काली किताब पुस्तक/Kali Kitab Book के लाभ:
- काली किताब पुस्तक को पढ़ने से मां काली की पूजा के महत्वपूर्ण विषयों की जानकारी मिलती है।
- काली किताब पुस्तक को पढ़कर आप मां काली और तन्त्र के महत्व को समझ सकते है।
- काली किताब पुस्तक को पढ़कर आप दस महाविद्या के साथ ही योगिनियों, डाकिनियों, गन्धर्व, भूत प्रेत की साधना के बारे में भी जान सकते है।
काली किताब पुस्तक/Kali Kitab Book का विवरण:
काल शिव को कहा जाता है और उनकी अर्धांगिनी होने के कारण ही काली को काली कहा जाता है। यह तेज, पराक्रम, विजय, वैभव की अधिष्ठात्री देवी है। दस महाविद्याओं में प्रमुख स्थान काली का ही है। दार्शनिक दृष्टि से काल तन्त्र की प्रमुखता होने के कारण काली का सर्वविद्याओं में प्रमुख स्थान माना गया है। काली का सर्वाधिक प्रचलित रूप दक्षिणा काली का है। इसी रूप में काली की साधना सिद्धि प्राय: की जाती है। काली को कालिका या श्यामा और रक्ता भी कहा जाता है। काली को दक्षिणा काली क्यों कहा जाता है? इस सन्दर्भ में निर्वाण तन्त्र में कहा गया है कि सूर्यपुत्र यम का स्थान दक्षिण दिशा में है, लेकिन वह भी काली का नाम सुनते ही भयभीत होकर अपना वह स्थान छोड़ भागता है।
Kali Kitab Book Details:
Book Publisher: Pooja Prkashan
Book Author: Kali Pandit
Language: Hindi
Pages: 628 Pages
Size: “21” x “14” cm.
Weight: 765 gm Approx
Shipping: Within 4-5 Days in India
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Rohini –
Maa Kali ki upsana ke liye bahut hi acchi pustak hai