Mahakali Upasana Book/महाकाली उपासना पुस्तक : Mahakali Upasana Book is an important book, in which information about mahakali puja is hidden.
Mahakali Upasana Book About :
In the Saptashati section of the Markandeya Purana, the description of the Kali Devi or the birth from Ambika’s forehead is a form of Shri Durga ji is Kali and is different from the Addya Mahakali. Bhagwati Addya Kali or Dakshina Kali Anadirupa is the masters of all past lives, whereas mythical Kali is the lord of Tamogun. Living in the south direction means that son of the Sun Yama,, runs away after listening to Kali’s name and does not have the power to carry Kali worshipers in hell. That is why Kali is also called ‘Dakshina Kali’ and ‘ Dakshina Kalika’. Mahakali is that power of Mahakal that governs the whole creation by controlling time. You are the first in ten Mahavidya and is called the Addya Shakti. In the shape of four handed, you are going to provide to the four efforts, whereas with ten heads, ten arms and ten feet, you are going to speed up the wisdom organs and work organs. – Mahakali Upasana Book.
In Shakti form you are on the dead body. It implies that only after attaining your power in the body, Shiva achieves Shiva. If Shakti is isolated from Shiva, Shiva also becomes a dead body. Shiva-e = dead body without the power, the entire universe and Shiva are like the body. The meaning of my saying is that Shiva and Shakti are the only things in this entire creation. There is no other person than anyone else. – Mahakali Upasana Book.
महाकाली उपासना पुस्तक/Mahakali Upasana Book
महाकाली उपासना, यह एक महत्वपूर्ण पुस्तक है, जिसमें माँ काली की पूजा के बारे में जानकारी दी गई है।
महाकाली उपासना पुस्तक के बारे में..
मार्कण्डेय पुराण के सप्तशती खण्ड में जिन काली देवी का वर्णन है अथवा जिनका जन्म अम्बिका के ललाट से हुआ है वे काली श्री दुर्गा जी के स्वरूपों में से ही एक स्वरूप है तथा आदद्या महाकाली से सर्वथा भिन्न है। भगवती आदद्या काली अथवा दक्षिणा काली अनादिरूपा सारे चराचर की स्वामिनी हैं जबकि पौराणिक काली तमोगुण की स्वामिनी हैं। दक्षिण दिशा में रहने वाला अर्थात् सूर्य का पुत्र यम काली का नाम सुनते ही डरकर भाग जाता है तथा काली उपासकों को नरक में ले जाने की सामर्थ्य उसमें नहीं है इसलिए श्री काली को ‘दक्षिणा काली’ और ‘दक्षिण कालिका’ भी कहा जाता है। – Mahakali Upasana Book.
महाकाली, महाकाल की वह शक्ति है जो काल व समय को नियन्त्रित करके सम्पूर्ण सृष्टि का संचालन करती हैं। आप दसों महाविद्याओं में प्रथम हैं और आद्याशक्ति कहलाती हैं। चतुर्भुजा के स्वरूप में आप चारों पुरूषार्थों को प्रदान करने वाली हैं जबकि दस सिर, दस भुजा तथा दस पैरों से युक्त होकर आप प्राणी की ज्ञानेन्द्रियों और कर्मेन्द्रियों को गति प्रदान करने वाली हैं। शक्ति स्वरूप में आप शव के ऊपर विराजित हैं। इसका अभिप्राय यह है कि शव में आपकी शक्ति समाहित होने पर ही शिव, शिवत्व को प्राप्त करते हैं। यदि शक्ति को शिव से पृथक कर दिया जाये तो शिव भी शव-तुल्य हो जाते हैं। शिव-ई = शव । बिना शक्ति के सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड और शिव शव के समान हैं। मेरे कहने का तात्पर्य यह है कि इस सम्पूर्ण सृष्टि में शिव और शक्ति ही सर्वस्व हैं। उनके अतिरिक्त किसी का कोई अस्तित्व नहीं है। – Mahakali Upasana Book.
Mahakali Upasana Book Details:
Book Publisher: Randhir Prakashan
Book Author: Swami Ugrachandeshwar ‘Kapil’
Language: Hindi
Weight: 094 gm Approx.
Pages: 112 Pages
Size: “18” x “12” x “1” cm
Shipping: Within 4-5 Days in India
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