Mahamrityunjay Stotra Kavach Book/महामृत्युंजय मन्त्र कवच पुस्तक : Mahamrityunjay Mantra Stotra Aur Kavach Book is an important book, in which information about use of mrityunjay mantra, stotra, kavach is hidden.
About Mahamrityunjay Stotra Kavach Book:
Mahamrityunjaya Mantra is a verse of the Rig Veda. This great mantra dedicated to Shiva as the death cause is found in the Rig Veda. When I am unwell to myself or another person in the family, many people often have this mantra and its chanting method to come, I come to know about this Mahamantra, where I am presenting it to the readers. – Mahamrityunjay Stotra- Kavach Book.
Purashcharan is 1 and quarter lakhs of Mahamrityunjaya Mantra and 11 lakhs of Small Mahamrityunjaya Mantra. In my opinion one should chant Purashcharan one and quarter lakh. This mantra is chanted on Rudraksha rosary from Monday. It should be before 12 o’clock, because there is such a belief that after12 o’clock chanting of this mantra is not result oriented.
You start chanting at your home by worshiping Mahamrityunjaya Yantra or any Shivalinga in the morning, or worship Shivalinga at a Shiva temple and then come home and light the ghee lamp and chant the 11 mantras of the mantra for at least 90 days. Or keep chanting until one lakh is complete. If you can do Havan at the end it is best otherwise do the 25 thousand chants. -Mahamrityunjay Stotra Kavach Book.
Obstacles from planets, planetary disease, property dispute, and possibility of loss or loss of money, brutal defects of bridegroom, and quarrels in the house, fear of punishment, religious crime, and for destroying all the Mahamrityunjaya or the small Mahamrityunjaya mantra can be chanted or done for the destruction of sins.
महामृत्युंजय मन्त्र कवच पुस्तक/Mahamrityunjay Stotra Kavach Book
महामृत्युंजय मन्त्र स्तोत्र और कवच, यह एक महत्वपूर्ण पुस्तक है, जिसमें मृत्युंजय मन्त्र, स्तोत्र और कवच के बारे में बताया गया है।
महामृत्युंजय मन्त्र कवच पुस्तक के बारे में..
महामृत्युंजय मंत्र ऋग्वेद का एक श्लोक है। शिव को मृत्युंजय के रूप में समर्पित ये महान मंत्र ऋग्वेद में पाया जाता है। स्वयं या परिवार में किसी अन्य व्यक्ति के अस्वस्थ होने पर मेरे पास अक्सर बहुत से लोग इस मन्त्र की और इसके जप विधि की जानकारी प्राप्त करने के लिए आते हैं। इस महामंत्र के बारे में जहांतक मेरी जानकारी है, वो मैं पाठकों के समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूँ।
महा मृत्युंजय मंत्र का पुरश्चरण सवा लाख है और लघु मृत्युंजय मंत्र की 11 लाख है। मेरे विचार से तो कोई भी मन्त्र जपें, पुरश्चरण सवा लाख करें। इस मंत्र का जप रुद्राक्ष की माला पर सोमवार से शुरू किया जाता है। जप सुबह १२ बजे से पहले होना चाहिए, क्योंकि ऐसी मान्यता है की दोपहर १२ बजे के बाद इस मंत्र के जप का फल नहीं प्राप्त होता है।
आप अपने घर पर महामृत्युंजय यन्त्र या किसी भी शिवलिंग का पूजन कर जप शुरू करें या फिर सुबह के समय किसी शिवमंदिर में जाकर शिवलिंग का पूजन करें और फिर घर आकर घी का दीपक जलाकर मंत्र का ११ माला जप कम से कम ९० दिन तक रोज करें या एक लाख पूरा होने तक जप करते रहें। अंत में हवन हो सके तो श्रेष्ठ अन्यथा २५ हजार जप और करें।
ग्रहबाधा, ग्रहपीड़ा, रोग, जमीन-जायदाद का विवाद, हानि की सम्भावना या धन-हानि हो रही हो, वर-वधू के मेलापक दोष, घर में कलह, सजा का भय या सजा होने पर, कोई धार्मिक अपराध होने पर और अपने समस्त पापों के नाश के लिए महामृत्युंजय या लघु मृत्युंजय मंत्र का जाप किया या कराया जा सकता है।
Mahamrityunjay Mantra Stotra Aur Kavach Book Details:
Book Publisher: Randhir Prakashan
Book Author: Pt. Kulpati Mishr
Language: Hindi
Weight: 070 gm Approx.
Pages: 80 Pages
Size: “18” x “12” x “1” cm
Edition: 2011
Shipping: Within 4-5 Days in India
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Ashish –
जप, मन्त्र, के लिए सरल पुस्तक