Saruktavali Book/सरुक्तावली पुस्तक : This is an important book, in which information about almost all rare knowledge about dev vandana.
Saruktavali Book About:
The most prominent place of fire in the Rig-Veda Gods is that Vedic Aryans are the revered place of fire goddess after the Indra in the deities. According to Vedic Mantras, Agnidev – is a devotee of Niratta Shakti, who receives sacrifice and is the master of saucy and light. Agni is given as the son of Dwavaprathvi.
Matarishva Bhrigu and Angira brought it to the ground floor. Fire is a terrestrial god. Its sculpture is obtained in the form of Fire of Yajna. It conveys the desire to the Gods in their behalf with the purpose of various deities through the hosts.
The meaning and significance of Sarukta is the devoted goddess Lakshmi ji, and the text of Shri Sarukta, described in Rig Veda, a Sadhana, which is never sterilized. Through the method of Sri Saruqta text for the invocation and blessings of Mother Lakshmi, you can experience spiritual peace and prosperity by worshiping God Lakshmi without any special expenditure and devotion.
सरुक्तावली पुस्तक/Saruktavali Book
यह एक महत्वपूर्ण पुस्तक है, जिसमें काम शास्त्र के बारे में बताया गया हैं।
पुस्तक के बारे में:
ऋग्वेदीय देवों में अग्नि का सबसे प्रमुख स्थान हैं वैदिक आर्यों के लिए देवताओं में इन्द्र के पश्चात अग्नि देव का ही पूजनीय स्थान है। वैदिक मंत्रों के अनुसार अग्निदेव -नेतृत्व शक्ति से सम्पन्न, यज्ञ की आहुतियों को ग्रहण करने वाला तथा तेज एवं प्रकाश का अधिष्ठाता है। अग्नि को द्यावाप्रथ्वी का पुत्र बताया गया है। मातरिश्वा भृगु तथा अंगिरा इसे भूतल पर लाऐ। अग्नि पार्थिव देव है। यज्ञाग्नि के रूप में इसका मूर्तिकरण प्राप्त होता है।
अतः इसे ऋत्विक होता और पुरोहित बताया गया है। यह यजमानों के द्वारा विभिन्न देवों के उद्देश्य से अपने में प्रक्षिप्त हविष् को उनके पास पहुँचाता है। सारुक्त अर्थ एवं महत्व रंजू नारंग धन की अधिष्ठात्री देवी मां लक्ष्मी जी की कृपा प्राप्ति के लिए ऋग्वेद में वर्णित श्री सारुक्त का पाठ एक ऐसी साधना है जो कभी निष्फल नहीं होती। मां लक्ष्मी के आह्वान एवं कृपा प्राप्ति के लिए श्री सारुक्त पाठ की विधि द्वारा आप बिना किसी विशेष व्यय के भक्ति एवं श्रद्धापूर्वक मां लक्ष्मी की आराधना करके आत्मिक शांति एवं समृद्धि को स्वयं अनुभव कर सकते हैं।
Saruktavali Book Details:
Book Publisher: Khemraj Books
Book Author: Khemraj Shreekrishnadas
Language: Hindi
Weight: 0.050 gm Approx.
Pages: 64 Pages
Size: “18” x “12” x “0.5” cm
Edition: 1996
Shipping: Within 4-5 Days in India
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