Shani Prasannta Mantra Book/शनि प्रसन्नता मन्त्र पुस्तक : Shani Prasannta Mantra Book is an important book, in which information about shani mantra is hidden.
Shani Prasannta Mantra Book About :
Out of fourteen million Yonis superior Yoni is human, it is not certain that only the form of human beings is obtained. After birth, after passing through many stages, man lies in the world, then he loses the lust of luxury only, the best man does not get trapped in it, but some ordinary men engage in it. The deeds of destiny or the actions of this life give Saturn, the result of the deeds given by Saturn, Sadesaati and many other forms. Humans suffer intellectually, they accuse Saturn and seek solutions through nominal measures, and then after a few years again they get involved in these pleasures and forget about Shani Dev. -Shani Prasannta Mantra Book.
Saturn is awake in the entire Kalyug and we are blinded by the outbursts of Kalyug (except the sage Mahatma and the Satkkarmi), therefore, Shani Dev warns us by doing excuse of Sadhesaati or Dhaiya, and inspires us to do good deeds in life, but Man thinks in his opposite and gives Shani to the quote. How can any god awake (seeing) his disaster? We get the fruits of the wrong done in the destiny; if we do good deeds in the present then we will get good results. Shani does not put compulsion for his devotion, if you can make any god goddess Shani Dev by doing devotion to his Deity and doing the work of performing karmas (life changes). Because the court of justice or result of the Kalyug is held in the court, the supreme judge is Shani Dev (Shani Prasannta Mantra Pushtak), and his glory is infinite. By remembering them while doing good deeds, you can cross the barrier of every kind of world and you can drown in the infinite amount of happiness. Saturn Lord will bless you all. -Shani Prasannta Mantra Book.
शनि प्रसन्नता मन्त्र पुस्तक/Shani Prasannta Mantra Book
शनि प्रसन्नता मन्त्र, यह एक महत्वपूर्ण पुस्तक है, जिसमें तन्त्र के बारे में बताया गया है
शनि प्रसन्नता मन्त्र पुस्तक के बारे मे:
चौरासी लाख योनी में एक योनी श्रेष्ठ मनुष्य की आती है, मतलब निश्चय नही है की मानव चोला फिर मिले या न मिले। जन्म के उपरांत मनुष्य कई अवस्थाओ से गुजरता हुआ संसार में रमता है तो उसे भोग विलास की लालसाएं घेर ही लेती है, श्रेष्ठ पुरुष उसमे फंसते नही, परन्तु कुछ साधारण पुरुष उसमे संलिप्त रहते है। प्रारब्ध के कर्म या इस जीवन के कर्म शनिदेव (कर्मो का फल देने वाले) शनि साढ़ेसाती, शनि ढैय्या और अनेक और अनेक रूपों में उसे किये कर्मो का फल देते है। मनुष्य उनको बुद्धिवश भोगता हुआ, शनि को दोष देते है और नाममात्र उपायों द्वारा समाधान चाहते है और फिर कुछ वर्षो बाद फिर (सामान्य स्थिति होने पर) उन्ही भोगो में संलिप्त हो जाते है और शनि देव को भूल जाते है।- Shani Prasannta Mantra Pushtak.
शनिदेव पुरे कलयुग में जाग्रत है और हम मनुष्य (ऋषि महात्मा और सत्कर्मी को छोड़कर) कलयुग के प्रकोपों से अंधे हो चुके है इसलिए शनिदेव साढ़ेसाती या ढैय्या का बहाना करके हमे चेताते रहते है और जीवन में अच्छा कर्म करने के लिए प्रेरित करते है, परन्तु मनुष्य उसके विपरीत सोचता है और उलाहना शनिदेव को देता है। कोई भी देव जागते हुए (देखते हुए) अपना अनर्थ कैसे कर सकता है। प्रारब्ध में भूलवश किये हुए कर्मो का फल हम पाते है, अगर हम वर्तमान में अच्छा कर्म करेंगे तो हमे अच्छा फल मिलेगा। शनिदेव बाध्य नही करते अपनी भक्ति के लिए, अगर आप किसी भी भगवान अपने इष्टदेव की भक्ति करके और कर्म करने की विधि (जीवन परिवर्तन) कर शनिदेव को अपने अनुकूल कर सकते है। क्योकि कर्मी का न्याय या फल कलयुग के जिस न्यायालय में होता है वहां सर्वोच्च न्यायाधीश श्री शनिदेव महाराज है और उनकी महिमा अनंत है। आप सत्कर्म करते हुए उनका स्मरण कर संसार की हर प्रकार की भव बाधा को पार कर सकते है और आप सुखो की अनंत राशि में डूब सकता है। शनि प्रभु आप सबका भला करेंगे। -Shani Prasannta Mantra Book.
Shani Prasannta Mantra Book Details:
Book Publisher: Rama Publications
Book Author: Manu
Language: Hindi
Pages: 63 Pages Book
Size: “17” x “12” cm.
Weight: 55 gm Approx
Edition: 2007
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Somil –
शनि देव के अदभुत मंत्र दिये है