Shodash Sanskar Vidhi Book/षोडश संस्कार विधि पुस्तक
Shodash Sanskar Vidhi (षोडश संस्कार विधि पुस्तक) is an important book, It is not easily available, this book is written by Pt. Shashimohan Behal Ji, this Book has been published by Randhir Prakashan, Haridwar, in this book 140 pages.
Shodash Sanskar Vidhi Book Content list:
According to the content list of the book, the contents are duly expressed in a simple language for the convenience of the readers. The matters are mentioned hereunder. In the present situation, culture and rites, Muhurt thoughts, conception rites, Punsavan rites, Seemantonian rites, Jatakarma rites, naming rites, Exodus rites, Annaprashan rites, Karnavidhi rites, Vidyarambha rites, Chudakaran rites, Yajnopaveet rites, Vedarambha rites, Keshant rites, inclusion In detail about the rites, marriage ceremonies, funeral rites Or is, which is an important part of the Shodash Sanskar Vidhi Book.
Shodash Sanskar Vidhi Book Benefits:
- Reading the book provides important information about 16 Rites.
- You can understand the importance of samskaras by reading the book Shodash Sanskar Vidhi.
Shodash Sanskar Vidhi Book Description:
Sacraments are very important in Indian life, the Shodash sanskars are famous, as are the other rites, these occasions are necessary for a special or special Yajna, such as seven haviyagna, seven pakayagya, seven somayagya. Two things are required in the sacrament – firstly, to know that this ritual is a work connected with life, second, to believe that while performing the ritual, this ritual will be helpful in the fulfillment of the intended work.
The heart of a child is pure and transparent like water. The rites are able to be accepted quickly, the rites imprinted with rituals do not end from their psyche to the end, just as ghee, oil etc. are sanskritized by whatever substance, the aroma or deodorant of that substance till the end Keeps maintained. In the same way, the rites that are put into the child’s heart through rituals or preaching, these rites continue throughout the life. Swadhyaya, Home, Fasting, Javidavrit, Devarishi Tarpan, Yajna Prajotpatti and Five Mahayagya – It is only through these that the human body becomes attainable to Brahma.
षोडश संस्कार विधि पुस्तक/Shodash Sanskar Vidhi Book
षोडश संस्कार विधि एक महत्वपूर्ण पुस्तक है, षोडश संस्कार विधि पुस्तक/Shodash Sanskar Vidhi Book आसानी से उपलब्ध नही होती, यह पुस्तक पं. शशिमोहन बहल जी के द्वारा लिखी हुई है, इस षोडश संस्कार विधि पुस्तक को रणधीर प्रकाशन, हरिद्वार, ने प्रकाशित किया है, इस पुस्तक में 140 पृष्ठ(पेज) है।
षोडश संस्कार विधि पुस्तक/Shodash Sanskar Vidhi Book की विषय सूचि:
षोडश संस्कार विधि पुस्तक में विषय सूचि अनुसार- वर्तमान परिस्थिति में संस्कृति और संस्कार, मुहूर्त विचार, गर्भाधान संस्कार, पुंसवन संस्कार, सीमंतोनयन संस्कार, जातकर्म संस्कार, नामकरण संस्कार, निष्क्रमण संस्कार, अन्नप्राशन संस्कार, कर्णविध संस्कार, विद्यारम्भ संस्कार, चूडाकरण संस्कार, यज्ञोपवीत संस्कार, वेदारम्भ संस्कार, केशांत संस्कार, समावर्तन संस्कार, विवाह संस्कार, अंत्येष्टि संस्कार के बारे में विस्तार रूप से बताया गया है, जोकि षोडश संस्कार विधि पुस्तक के महत्वपूर्ण अंग है।
षोडश संस्कार विधि पुस्तक/Shodash Sanskar Vidhi Book के लाभ:
- षोडश संस्कार विधि पुस्तक को पढ़ने से 16 संस्कारों की महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है।
- षोडश संस्कार विधि पुस्तक को पढ़कर संस्कारों के महत्व को समझ सकते है।
षोडश संस्कार विधि पुस्तक/Shodash Sanskar Vidhi Book का विवरण:
भारतीय जीवन में संस्कारों का बहुत महत्व है, षोडश संस्कार तो प्रसिद्ध है ही, इन्हीं की तरह और भी संस्कार होते है, यह अवसर विशेष अथवा यज्ञ विशेष के लिए आवश्यक होते है, जैसे सात हवियज्ञ, सात पाकयज्ञ, सात सोमयज्ञ। संस्कार में दो बातें अपेक्षित होती है- प्रथम तो यह ज्ञान होना कि यह अनुष्ठान जीवन से जुड़ा हुआ कार्य है, दूसरा अनुष्ठान करते समय यह विश्वास होना कि यह अनुष्ठान अभीष्ट कार्य की पूर्ति में सहयोगी होगा।
बालक का ह्रदय जल की तरह निर्मल और पारदर्शी होता है। संस्कारों को शीघ्र ग्रहण करने में सक्षम होता है, कर्मकाण्ड से अंकित संस्कार उसके मानस से अंत तक समाप्त नहीं होते है, जिस प्रकार घी, तेल आदि को जिस भी पदार्थ से संस्कृत कर दिया जाता है, उस पदार्थ की सुगंध अथवा दुर्गन्ध उसमें अंत तक बनी रहती है। इसी प्रकार शिशु के ह्रदय में कर्मकांड अथवा उपदेश द्वारा जिस प्रकार के संस्कार डाल दिए जाते है वह संस्कार जीवनपर्यन्त बने रहते है। स्वाध्याय, होम, व्रत उपवास, जैविद्यवृत, देवऋषि तर्पण, यज्ञ प्रजोत्पत्ति और पांच महायज्ञ- इनके योग से ही मनुष्य की देह ब्रह्म को प्राप्त करने योग्य बनती है।
Shodash Sanskar Vidhi Book Details:
Book Publisher: Randhir Prakashan
Book Author: Pt. Shashimohan Behal
Language: Hindi
Weight: 224 gm Approx.
Pages: 140 Pages
Size: “21” x “14” x “1” cm
Shipping: Within 4-5 Days in India
Shop: Books | Yantra | Rosary | Rudraksha | Gemstones | Rings | Kavach | Lucky Charms | Online Puja | Puja Items | Gutika | Pyramids | FengShui | Herbs | View All
Reviews
Clear filtersThere are no reviews yet.