Shree Hanuman Sahstranaam Book/श्री हनुमान सहस्त्रनाम पुस्तक : Shree Hanuman Sahstranaam Book is an important book, in which information about hanuman ji is hidden.
Shree Hanuman Sahstranaam Book About :
Mantra has immense energy reserves. The great supernatural power is in the Yantra, in the mantras, it is the power that is capable of the will of the human being. Mantras manifested in the Vedas can be untrue; such a fool will say no, not sensible. The Vedavakya is the Brahma Vakya. There was a time, in each house, the Vedas were recited (Shree Hanuman Sahstranaam Pushtak). At home Vedas sound resonated. There was a proclamation of the Vedas; the atmosphere of the house was sacred. Holy values and thoughts were the physical requirements were minimal. Where was the ostentation, where was deceit and deceit? – Shree Hanuman Sahstranaam Book.
Weal was a wonderful, unpretentious, virtuous, holy, joyful life. Man was centurion, there was longevity, the living son could not have died before the father. There was no name of fornication.
श्री हनुमान सहस्त्रनाम पुस्तक/Shree Hanuman Sahstranaam Book
श्री हनुमान सहस्त्रनाम/Shree Hanuman Sahstranaam Pushtak, यह एक महत्वपूर्ण पुस्तक है, जिसमें हनुमान जी के बारे में बताया गया है।
श्री हनुमान सहस्त्रनाम पुस्तक/Shree Hanuman Sahstranaam Pushtak के बारे में:
मन्त्र में अपार शक्ति के भण्डार है। बड़ी अलौकिक शक्ति है यंत्रों में, मन्त्रों में, यह वह शक्ति है जो मानव की सहज ही में इच्छापूर्ति में समर्थ है। वेदों में उदभासित मन्त्र असत्य हो सकते है, ऐसा तो कोई मूर्ख ही कहेगा, समझदार नहीं। वेदवाक्य ब्रह्म वाक्य है। एक समय था, हर घर में वेद पाठ होता था। घर घर में वेद ध्वनि गूंजती थी। वेद मन्त्रों का उद्घोष होता था, घर का वातावरण पवित्र था। पवित्र भाव व विचार थे, भौतिक आवश्यकताएं न्यूनतम थीं। आडम्बर कहीं न था, छल-प्रपंच धोखा भी कहां था? व्याभिचार, दुराचार, असत्य भाषण, लड़ाई-झगड़ा कहां था। रोज रोज की हाय तोबा कहां थी? सुखमय ऐश्वर्यमय, कपटरहित, सदाचार युक्त, पवित्र, आनन्दमय पुण्य जीवन था। मनुष्य शतायु था, दीर्घायु था, बाप के जीते पुत्र की मृत्यु नहीं हो सकती थी। व्यभिचार का नाम भी न था। कालान्तर में बाह्य यवनों का आक्रमण, परस्पर की फूट व अत्याचारों के बाहुल्य ने जीवन नारकीय बना दिया। पाप पाखण्ड बढ़ गया, भौतिक लिप्साएं सुरसा बन मुंह खोल बढ़ी। मन्त्र शक्ति का यांत्रिक प्रभाव लुप्त हो गया। ईश्वर की शक्ति के प्रति अविश्वास बढा, धार्मिक स्थल व्यापार के स्थल बन गये। देव विद्या ढोंगी लोगों का कार्य बन गई। अश्रद्धा के भाव में हम नाशोन्मुख हो गए। -Shree Hanuman Sahstranaam Book.
Shree Hanuman Sahstranaam Book Details:
Book Publisher: Randhir Prakashan
Book Author: Anil Modi
Language: Sanskrit
Weight: 122 gm Approx.
Pages: 141 Pages
Size: “18” x “12” x “1” cm
Edition: 2013
Shipping: Within 4-5 Days in India
Shop: Books | Yantra | Rosary | Rudraksha | Gemstones | Rings | Kavach | Lucky Charms | Online Puja | Puja Items | Gutika | Pyramids | FengShui | Herbs | View All
Reviews
Clear filtersThere are no reviews yet.