Shri Guru Gita Book/श्री गुरु गीता पुस्तक
Shri Guru Gita (श्री गुरु गीता पुस्तक) is an important book, Shri Guru Gita is not easily available, this book is written by Nandlal Dasora Ji, this Shri Guru Gita Book is published by Randhir Prakashan, Haridwar, in 2017, there are 204 Pages in this book.
Shri Guru Gita Book Content list:
According to the content list of the Shri Guru Gita Book, the contents are duly expressed in a simple language for the convenience of the readers. The matters are mentioned here under. Mokshada Guru, Preface, Glory of Sadhguru, Sri Guru Gita – First chapter, second chapter, third chapter, Sri Guru Paduka Panchakam, Sri Sadguru Paduka Stotram is explained in detail, which is an important part of the book Sri Guru Gita. The Guru Gita is a Hindu scripture that is said to have been authored by the sage, Vyasa. The text of the Guru Gita describes a conversation between the Hindu God, Lord Shiva and his wife, the Hindu Goddess Parvati, in which she asks him to teach her about the Guru and liberation.
Shri Guru Gita Book Benefits:
- By reading this Book you get information about Guru.
- By reading the Shri Guru Gita Book, you can know the importance of Guru in life.
- You can get knowledge from the Shri Guru Gita Book.
Shri Guru Gita Book Description:
In this Gita, there is a statement of all such gurus who are called ‘Pointer Guru’, ‘Vachak Guru’, ‘Bodhak Guru’, ‘Prohibited Guru’, ‘Canonical Guru’, ‘Karkhakhya Guru’ and ‘Param Guru’. In this, the ‘Forbidden Guru’ should be discarded completely and among other Gurus, ‘Supreme Guru’ is the best. He is ‘Sadhguru’. The glory of who that Sadhguru can be is described in this Guru Gita with perfection. The ability of the disciple, his dignity, behavior, discipline, etc. have also been shown to be complete. By going to the Guru’s shelter in this way, the disciple attains perfection and he / she himself becomes Brahmarupa. All his religions, iniquities, sins, virtues etc. are eliminated and the only conscious remains. He is multiplied and extinct which is his last speed. This is his destination where he reaches. This is his true self which he attains.
Those who are knowledgeable, who are Mumukshu, who are desirous of Brahmanabhuti, who are ready to give the fruits of the blessings of their past lives, who are worthy of receiving God, they should go to the shelter of a Sadhguru and get knowledge only then they should get knowledge. Can be free from traffic. Guru Gita will guide them through this.
श्री गुरु गीता पुस्तक/Shri Guru Gita Book
श्री गुरु गीता एक महत्वपूर्ण पुस्तक है, श्री गुरु गीता पुस्तक आसानी से उपलब्ध नही होती, यह पुस्तक नन्दलाल दशोरा जी के द्वारा लिखी हुई है, इस श्री गुरु गीता पुस्तक को रणधीर प्रकाशन, हरिद्वार, ने सन् 2017 में प्रकाशित किया है, इस पुस्तक में 204 पृष्ठ(पेज) है।
श्री गुरु गीता पुस्तक/Shri Guru Gita Book की विषय सूचि:
श्री गुरु गीता पुस्तक में विषय सूचि अनुसार- मोक्षदाता गुरु, प्रस्तावना, सद्गुरु की महिमा, श्री गुरु गीता- पहला अध्याय, दूसरा अध्याय, तीसरा अध्याय, श्री गुरु पादुका पंचकम, श्रीसद्गुरु पादुका स्तोत्रम के बारे में विस्तार रूप से बताया गया है, जोकि श्री गुरु गीता पुस्तक के महत्वपूर्ण अंग है।
श्री गुरु गीता पुस्तक/Shri Guru Gita Book के लाभ:
- श्री गुरु गीता पुस्तक को पढ़ने से आपको गुरु के बारे में जानकारी मिलती है।
- श्री गुरु गीता पुस्तक को पढ़ने से आप जीवन में गुरु के महत्व को जान सकते है।
- श्री गुरु गीता पुस्तक से आप ज्ञान प्राप्त कर सकते है।
श्री गुरु गीता पुस्तक/Shri Guru Gita Book का विवरण:
इस गीता में ऐसे सभी गुरुओं का कथन है जिनको ‘सूचक गुरु’, ‘वाचक गुरु’, ‘बोधक गुरु’, ‘निषिद्ध गुरु’, ‘विहित गुरु’, ‘कारणाख्य गुरु’ तथा ‘परम गुरु’ कहा जाता है। इनमें ‘निषिद्ध गुरु’ का तो सर्वथा त्याग कर देना चाहिए तथा अन्य गुरुओं में ‘परम गुरु’ ही श्रेष्ठ है। वही ‘सद्गुरु’ है। वह सद्गुरु कौन हो सकता है उसकी कैसी महिमा है, इसका वर्णन इस गुरु गीता में पूर्णता से हुआ है। शिष्य की योग्यता, उसकी मर्यादा, व्यवहार, अनुशासन आदि को भी पूर्ण रूपेण दर्शाया गया है। ऐसे ही गुरु की शरण में जाने से शिष्य को पूर्णत्व प्राप्त होता है तथा वह स्वयं ब्रह्मरूप हो जाता है। उसके सभी धर्म, अधर्म, पाप, पुण्य आदि समाप्त हो जाते है तथा केवल एकमात्र चैतन्य ही शेष रह जाता है। वह गुणातीत व रूपातीत हो जाता है जो उसकी अंतिम गति है। यही उसका गन्तव्य है जहां वह पहुँच जाता है। यही उसका सत-स्वरुप है जिसे वह प्राप्त कर लेता है। जो ज्ञानार्थी है, जो मुमुक्षु है, जो ब्रह्मानुभूति के इच्छुक है, जिनके पूर्व जन्मों के सुसंस्कार उदित होकर अपना फल देने को तत्पर है, जो ईश्वर प्राप्ति के योग्य पात्र है उन्हें किसी सद्गुरु की शरण में जाकर ज्ञान प्राप्त करना चाहिए तभी वे संसार के आवागमन से मुक्त हो सकते है। इसके लिए यह ‘गुरु गीता’ उनका मार्ग दर्शन करेगी।
Shri Guru Gita Book Details:
Book Publisher: Randhir Prakashan
Book Author: Nandlal Dashora
Language: Hindi
Weight: 310 gm Approx.
Pages: 204 Pages
Size: “22” x “14” x “1.5” cm
Edition: 2017
Shipping: Within 4-5 Days in India
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