Surya Upasana Book/सूर्य उपासना पुस्तक : Surya Upasana Book is an important book, in which information about surya upasana is hidden.
Surya Upasana Book About:
The Brahmas, Mahadev, Vishnu, Prajapati, Vayu, Akash, Jal Prithvi, Parvat, Samundra, Planet, Nakshatra and Chandra etc. are the forms of vegetation and medicines; Brahmi, Vaishnavi, and Maheshwari – these Tri- powers, whose ” Bhanu “is the form of nature, the stunning Bhuvan bhaskar Surya Narayana always bless each and every one. Shri Sun Dev said that it is the glory of all the brightness, the publisher of the light and the shelter of all the powers. O Brahmins! All the other planets and satellites, they all constantly live by my shelter while performing my own. The entire Father in the Universe is situated in their own power. With the eternal planetary and satellites, is ready to follow my orders. -Surya Upasana Book.
In the same way Surya is located in my vast body of innumerable people, food insects and innumerable satellites etc. The universe and the body are interconnected with collective and individuality and their number is food. Brahma, Vishnu, Mahesh, etc., in each universe, independently perform their work according to their rhythm of own department. -Surya Upasana Book.
सूर्य उपासना पुस्तक/Surya Upasana Book
सूर्य उपासना, यह एक महत्वपूर्ण पुस्तक है, जिसमें सूर्य उपासना के बारे में बताया गया है
सूर्य उपासना पुस्तक के बारे में:
जो ब्रह्मा, महादेव, विष्णु, प्रजापति, वायु, आकाश, जल पृथ्वी, पर्वत, समुन्द्र, ग्रह, नक्षत्र और चंद्रमा आदि है, वनस्पति और औषधिया जिनके स्वरुप है ;ब्राही, वैष्णवी, और महेश्वरी–ये त्रिधा शक्तियां जिनका वपु है, “भानु“ जिनका स्वरुप है, वे तेजस्वी भुवनभास्कर सूर्य नारायण सब पर सदा कृपा करें। श्री सूर्य देव ने कहा की सब तेजो का तेज, प्रकाशो का प्रकाशक और सब शक्तियों का आश्रय वे ही है। हे विप्रो। अन्य जितने ग्रह और उपग्रह है, वे सब निरंतर मेरी ही प्रदिक्ष्णा करते हुए मेरे आश्रय से रहते है। समस्त पिता ब्रहमाण्ड उनकी ही सत्ता में स्थित है। अनन्त ग्रहगन और उपग्रहों के साथ अन्नंत सूर्यलोक मेरी आज्ञा के पालन करने में तत्पर हैं। इसी तरह सूर्यादि असंख्य लोक, अन्नंत ग्रहलोक और अनगिनत उपग्रह आदि अंतरहित मेरे विराट शरीर में स्थित है। ब्रहमाण्ड और पिंड, समष्टि और व्यष्टि –भेद से परस्पर मिले हुए है और उनकी संख्या अन्नंत है। प्रत्येक ब्रहमाण्ड में ब्रह्मा, विष्णु, महेश आदि स्वन्त्रतापूर्वक अपने–अपने विभागानुसार निरंतर सृष्टी, स्थित और लय का कार्य किया करते है। -Surya Upasana Book.
Surya Upasana Book Details:
Book Publisher: Randhir Prakashan
Book Author: Pt. Kapil Mohan Ji
Language: Hindi
Weight: 133 gm Approx.
Pages: 96 Pages
Size: “21” x “14” x “0.5” cm
Edition: 2015
Shipping: Within 4-5 Days in India
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Komal –
Nice