Yagya Kund Nirman-Vidhi Book/यज्ञ कुण्ड-निर्माण विधि पुस्तक
Yagya Kund Nirman-Vidhi (यज्ञ कुण्ड-निर्माण विधि पुस्तक) is an important book, Yagya Kund Nirman Vidhi Book is not easily available, this book is written by Pt. Ashok Kumar Gaud Ji, this Yagya Kund Nirman Vidhi Book has been published by Savitri Thakur Prakashan, Varanasi. This book has 255 pages.
Yagya Kund Nirman-Vidhi Book Content list:
According to the content list of the Yagya Kund Nirman-Vidhi Book, the contents are duly expressed in a simple language for the convenience of the readers. The matters are mentioned here under. Necessary idea of Kund construction, Mandap Bhoomi department idea, Yajna Bhoomi idea, Mekhala idea, Kund-idea, Acharya Kund decision, Use of Kund-mandap, Kund Swaroop, Method of making triangle Kund, Method of making Panch Kund, Kundadi idea of various Yajna , According to Ahutis, proof of Kund, Yoni Kund, Triangle Kund, Circle Kund, Hexagon, Grihapeeth and various types of Kund, etc. Free space command, Vishnuyog, Ganeshyog, Ramayog, has been informed of the sun sacrifice, Durgayog, which sacrificial pit construction method is an important part of the Yagya Kund Nirman-Vidhi Book.
Yagya Kund Nirman-Vidhi Book Benefits:
- Reading the Yagya Kund Nirman-Vidhi Book will get information about the subject of Yajna construction.
- You can change your life by reading the Yagya Kund Nirman-Vidhi Book.
Yagya Kund Nirman-Vidhi Book Description:
In Sanatan Hindu religion, Yajna have been described as highly important. The importance of Vedas has been mentioned in this religion. The importance of Vedas in this religion has also been attained by Yajna. The main reason for this is that the main subject of the Vedas is Yajna. God is the name of the power of God to govern this creation. This many powers are called the names of many gods. They have a very close relationship with various problems of the whole world and happiness, prosperity, progress, loss, disease, mourning etc. of the personal life of man. Only by attaining the compatibility of this Dev Shakti can a man open the gates of his elevation very easily, Yajna is the best in all the spiritual practices that are attained in the Yajna field to make the Dev Shakti favorable. The main reason for this is that the Yajna is pleased by the gods and fulfills the seeker’s wishes.
यज्ञ कुण्ड-निर्माण विधि पुस्तक/Yagya Kund Nirman-Vidhi Book
यज्ञ कुण्ड निर्माण विधि एक महत्वपूर्ण पुस्तक है, यज्ञ कुण्ड निर्माण विधि पुस्तक/Yagya Kund Nirman-Vidhi Book आसानी से उपलब्ध नहीं होती, यह पुस्तक पं. अशोक कुमार गौड़ जी के द्वारा लिखी हुई है, इस यज्ञ कुण्ड निर्माण विधि पुस्तक को सावित्री ठाकुर प्रकाशन, वाराणसी ने प्रकाशित किया है, इस पुस्तक में 255 पृष्ठ(पेज) है।
यज्ञ कुण्ड-निर्माण विधि पुस्तक की विषय सूचि:
यज्ञ कुण्ड निर्माण विधि पुस्तक में विषय सूचि अनुसार– कुण्ड निर्माण के आवशयक विचार, मण्डपभूमि विभाग विचार, यज्ञीयभूमि का विचार, मेखला विचार, कुण्ड-विचार, आचार्य कुण्ड निर्णय, कुण्ड-मण्डप का प्रयोग, कुण्डस्वरूप, त्रिकोण कुण्ड बनाने की विधि, पञ्चकुण्ड बनाने क विधि, विविध यज्ञों के कुण्डादि का विचार, आहुतियों के अनुसार कुण्ड का प्रमाण, योनिकुण्ड, त्रिकोण कुण्ड, वृत्त कुण्ड, षट कोण, ग्रहपीठ तथा कुण्ड आदि का विविध प्रकार, ग्रहकुण्डों में योनि का स्थान निर्देश, विष्णुयाग, गणेशयोग, रामयाग, सूर्य याग, दुर्गायाग के बारे में बताया गया है, जोकि यज्ञ कुण्ड निर्माण विधि पुस्तक/Yagya Kund Nirman Vidhi Book के महत्वपूर्ण अंग है।
यज्ञ कुण्ड-निर्माण विधि पुस्तक के लाभ:
- यज्ञ कुण्ड निर्माण विधि पुस्तक को पढ़ने से यज्ञ निर्माण के विषय की जानकारी प्राप्त होगी।
- यज्ञ कुण्ड निर्माण विधि पुस्तक को पढ़कर आप अपने जीवन में बदलाव ला सकते है।
यज्ञ कुण्ड-निर्माण विधि पुस्तक का विवरण:
सनातन हिन्दू धर्म में यज्ञों का अत्यधिक महत्व बताया गया है। इस धर्म में वेदों का जो महत्त्व बताया गया है। इस धर्म में वेदों का जो महत्व है वही महत्त्व यज्ञों को भी प्राप्त हुआ है। इसका मुख्य कारण यह है कि वेदों का प्रधान विषय यज्ञ ही है। इस सृष्टि को संचालित करने वाली ईश्वर की शक्ति का नाम देवता है। यह अनेक शक्तियां अनेक देवताओं के नाम से कही जाती है। इनका समस्त संसार की विभिन्न समस्याओं से तथा मनुष्य के व्यक्तिगत जीवन की सुख समृद्धि, उन्नति-अवनति, लाभ-हानि, रोग, शोक आदि से अत्यधिक घनिष्ट सम्बन्ध है। इस देव शक्तियों की अनुकूलता प्राप्त करके ही मनुष्य अत्यधिक सरलता पूर्वक अपनी उन्नती के द्वारों को खोल सकता है देव शक्तियों को अनुकूल बनाने के लिए जितने भी साधनादि याज्ञिक क्षेत्र में प्राप्त होते हैं, इसमें यज्ञ ही सर्वश्रेष्ठ है। इसका मुख्य कारण यह है कि यज्ञ से देवता प्रसन्न होते है और साधक के अभिष्ट को पूर्ण करते हैं।
Yagya Kund Nirman Vidhi Book Details:
Book Publisher: Rupesh Thakur Prakashan
Book Author: Ashok Kumar Gaur
Language: Sanskrit
Weight: 355 gm Approx.
Pages: 255 Pages
Size: “22” x “14” x “2” cm
Shipping: Within 4-5 Days in India
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Kramveer Gill –
Nice Book