Gyarha Upnishad Sangraha Book (ग्यारह उपनिषद संग्रह पुस्तक): It is an important book, Gyarha Upnishad Sangraha Book is not easily available. This book is written by Shri Nandlal Dashora, Dayakrishna Sharma Ji, this Gyarha Upnishad Sangraha Book is published by Randhir Prakashan, Haridwar, in 2017, this book has 320 pages.
Gyarha Upnishad Sangraha Book Content list:
According to the content list of the book Gyarha Upnishad Sangraha Book. The following matters are duly express in the text in a easy language to make the readers understand easily. The list is Kathopanishad- Donation of Vajrasravas, father-son dialogue, conferment of Yamraj. Temptation of Yamraj, credit-loving conscience, rarity of enlightenment, appreciation of renunciation of Nachiketa. Fruit of enlightenment, self-representation, compulsion of indiscretion, contemplation of rhythm, self-realization Disturbance – outward ness of the senses. Omniscience of self-knowledge, blasphemy of vision, Brahman vision in life, clairvoyance, title symbolism of soul, spirit of soul irrelevance, Publisher non publishing when becomes immortal, Epilogue. The sermon of the Brahmanical order, the means of attainment of learning, the fruit of the Granthavaghan is explained in details. Which is the Vital organs of Book.
Gyarha Upnishad Sangraha Book Description:
Upanishad means that which is found by sitting near the Guru. Only sitting near, not listening. In his proximity, in devotion to him, in his love, by erasing self and by forgetting what you got. The meaning of Upanishad is – mystery. Mystery means that even if we understand, we do not understand. And even if we do not understand, it seems to be understandable.
Gyarha Upnishad Sangraha Book Benefits:
By reading this Book you will get important information about the Upanishads.
By reading this Book, you can know what the Upanishads are.
ग्यारह उपनिषद संग्रह/Gyarha Upnishad Sangraha Book
यह ग्यारह उपनिषद संग्रह एक महत्वपूर्ण पुस्तक है, ग्यारह उपनिषद संग्रह पुस्तक आसानी से उपलब्ध नहीं होती, यह पुस्तक श्री नन्दलाल दशोरा, दयाकृष्ण शर्मा जी के द्वारा लिखी हुई है, इस उपनिषद संग्रह पुस्तक को रणधीर प्रकाशन, हरिद्वार, ने 2017 में प्रकाशित किया है, इस पुस्तक में 320 पृष्ठ(पेज) है।
ग्यारह उपनिषद संग्रह पुस्तक की विषय सूचि:
इस ग्यारह उपनिषद संग्रह पुस्तक में विषय सूचि अनुसार– कठोपनिषद्- वाजश्रवस का दान, पिता पुत्र संवाद, यमराज का वर प्रदान, यमराज का प्रलोभन, श्रेय-प्रेय विवेक, आत्मज्ञान की दुर्लभता, नचिकेता के त्याग की प्रशंसा, आत्मज्ञान का फल, आत्मस्वरुप निरूपण, अविवेकी की विवशता, लय चिन्तन, आत्मदर्शन का विघ्न- इन्द्रियों की बहिर्मुखता, आत्मज्ञ की सर्वज्ञता, भेद दृष्टि की निंदा, प्राण में ब्रह्म दृष्टि, भेदापवाद, आत्मा का उपाधि प्रतिरुपत्व, आत्मा की असंगता, सर्व प्रकाशक का अप्रकाश्यत्व, अमर कब होता है?, उपसंहार, केनोपनिषद- प्रेरक विषयक प्रश्न, अनुभूति का उल्लेख, ज्ञाता अज्ञ है और अज्ञ ज्ञानी है, आत्मज्ञान ही सार है, देवताओं का गर्व, यक्ष का प्रादुर्भाव, अग्नि की परीक्षा, वायु की परीक्षा, इंद्र की नियुक्ति, उमा का प्रादुर्भाव, उमा का उपदेश, ब्रह्म विषयक अधिदेव आदेश, उपसंहार, विद्या प्राप्ति के साधन, ग्रन्थावगाहन का फल के बारे में विस्तार रूप से बताया गया है, जोकि उपनिषद संग्रह पुस्तक के महत्वपूर्ण अंग है।
ग्यारह उपनिषद संग्रह पुस्तक का विवरण:
उपनिषद का अर्थ है- गुरु के पास बैठकर जो मिला; केवल पास बैठकर, सुनकर नहीं.. उसके सामीप्य में, उसके प्रति समर्पण में, उसके प्रेम में उसके पास स्वयं मिटकर, उसके पास स्वयं को भूलकर जो मिला। उपनिषद का अर्थ होता है- रहस्य। रहस्य का अर्थ है कि जिसे हम समझ भी लें तो भी समझ में नहीं आता; और जिसे हम न भी समझें तो भी समझ में आता हुआ जान पड़ता है। उपनिषदों का अर्थ है- जो भी आज तक जाना गया आध्यात्मिक गुप्तज्ञान है; उसमें भी जो सारभूत तत्वज्ञान है, जिसमें से कणभर भी निकाला नहीं जा सकता, संक्षिप्त नहीं किया जा सकता वैसा है यह उपनिषदों का ज्ञान। उपनिषदों के अर्थ में गुरु वही हो सकता है जो शिष्य के साथ पुन: साधना के लिए तैयार हो। मंजिल पर खड़े हुए गुरु को नीचे आकर शिष्य को साथ ले जाने का साहस होना चाहिए।
ग्यारह उपनिषद संग्रह पुस्तक के लाभ:
इस पुस्तक को पढ़ने से आपको उपनिषदों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त होगी।
ग्यारह उपनिषद संग्रह पुस्तक को पढ़कर आप उपनिषद क्या है ये जान सकते है।
Gyarha Upnishad Sangraha Book Details:
Book Publisher: Randhir Prakashan
Book Author: Nandlal Dashora
Language: Hindi
Weight: 0.710 gm Approx.
Pages: 98 Pages
Size: “22” x “14” x “5” cm
Edition: 2017
Shipping: Within 4-5 Days in India
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