Kundalini Jagran Aadhar Book (कुण्डलिनी जागरण आधार पुस्तक) It is an important book, Kundalini Jagran Aadhar Book is not readily available, this book is written by Dhruv Narayan, this is the Kundalini Jagran Aadhar Book has been published by the Surbhi Prakashan, there are 221 pages in this book.
Kundalini Jagran Aadhar Book Content list:
According to this Kundalini Jagran Aadhar Book it contains, Subhasansa, Do Shabd, letter, Privacy, Bhav Dasha, sexual anxiety is a heavenly centre, Salvation, Saint, Dharmdata, womb, mirage, habits, love, paintings of cover picture. Location of the Chakras in the body, philosophy of Kundalini, speed of the earth, spiritual movement of Lakshmi and Rambha, to and fro speed of moon, Seven bodies, Five celled human being, soul is immortal are the significant parts of this Kundalini Jagran Aadhar Book.
Kundalini Jagran Aadhar Book Description:
This book reflects the practical knowledge of Kundalini Jagaran, satisfied with enjoyment, as well as indicates the control of the life energy of the immense vital force of our human body, how we are a particular part of society and social welfare. Can! Our prana energy is transmits in this gross body, which is made up of five elements.
It is compose of the combination of space, water, fire and air. That is the compilation of the central energy of life force, the cyclone of these millions is also in the control of prana power. This life force is situated in the fourth body of man. Which is controlling the right angle of the Sushumna Nadhi. In the form of a Sun-Chakra, from the entire tube to the space of three Angul above the Nabichichakra. In the practice of Shakhakras, Pran Shakti gives the Kundalini, Lakshmi as the Self, and on the Brahmandra.
The serpent and the Kundalini sarpani, on the Brahmandra, give them the shape of the Ardhanariashwar. This is the life force when the consciousness sitting on the chakra is center through the subconscious mind. Then by bringing the conscious mind of any creature to the subconscious mind. And the next creature is human or the animal bird, Disobedience of the seeker can not do! His hypnosis can not come out without the orders of the hypnotist.
Kundalini Jagran Aadhar Book Benefits:
After reading the Kundalini Jagran Aadhar Book you will get information about Kundalini awakening.
Knowledge of how Kundalini awakens in the book will be received in After reading the Kundalini Jagran Aadhar Book.
कुण्डलिनी जागरण आधार पुस्तक/Kundalini Jagran Aadhar Book
यह कुण्डलिनी जागरण आधार एक महत्वपूर्ण पुस्तक है, कुण्डलिनी जागरण आधार पुस्तक आसानी से उपलब्ध नही होती, यह पुस्तक ध्रुव नारायण के द्वारा लिखी हुई है, इस कुंडली जागरण आधार पुस्तक को सुरभि प्रकाशन, ने प्रकाशित किया है, इस पुस्तक में 221 पृष्ठ(पेज) है।
कुण्डलिनी जागरण आधार पुस्तक की विषय सूचि:
इस पुस्तक सूचि अनुसार- शुभाशंसा, दो शब्द, पत्र, निजता, भावदशा, कामवासना ईश्वरीय मूलकेंद्र, मुक्ति, संत, धर्मदाता, कोख, मृगतृष्णा, आदतें, प्रेम, आवरण चित्र का चित्रण, शरीर में चक्रों की स्तिथि, शरीर के चक्र, कुण्डलिनी दर्शन, पृथ्वी की गति, लक्ष्मी एवं रम्भा आध्यात्मिक गति, चन्द्रमा योनिगत आवागमन गति, सप्त शरीर, मनुष्य पंचकोशिय, आत्मा अमर है, जोकि कुण्डलिनी जागरण आधार पुस्तक के महत्वपूर्ण अंग है।
कुण्डलिनी जागरण आधार पुस्तक का विवरण:
यह पुस्तक भोगवाद से तृप्त होकर कुण्डलिनी जागरण के व्यवहारिक ज्ञान को तो दर्शाती ही है, साथ ही साथ हमारी मानवीय काया के अपरमित प्राण शक्ति की प्राण ऊर्जा को नियंत्रित करने के संकेत भी करती है, कैसे हम समाज का विशिष्ट अंग हो एवं समाज कल्याण कर सकें! हमारी प्राण ऊर्जा इस स्थूल शरीर में संचारित है, जो पंचतत्व निर्मित है। जो अन्तरिक्ष, जल, अग्नि और वायु के संयोग में बना है, वह तो प्राण शक्ति के ही केन्द्रीभूत ऊर्जा का संकलन है, ये लाखो योनियों का चक्रवात भी प्राण शक्ति के नियन्त्रण में है, यह प्राण शक्ति मनुष्य के चौथे शरीर मे स्थित है। जो नाभिचक्र से तीन अंगुल ऊपर सुषुम्ना नाडी के दाहिने भाग, सूर्यचक्र के रूप में, पूरे शरीर से अन्तरिक्ष तक का नियंत्रण रखे हुए है।
षट्चक्रों की साधना में प्राण शक्ति ही कुण्डलिनी को, आत्मस्वरुपा लक्ष्मी, एवं ब्रह्मरन्ध्र पर शेषनागा रूपी सर्प एवं कुण्डलिनी रूपी सर्पनी को, एकाकार कर अर्द्धनारीश्वर का स्वरूप दे देती है। यही प्राण शक्ति जब आज्ञा चक्र पर बैठे चेतन, अवचेतन मन द्वारा केंद्रीभूत हो बहिर्गमन करती है, तो किसी भी प्राणी के चेतन मन को सुलाकर अवचेतन मन को अपने प्रभाव क्षेत्र में ले आती है और अगला प्राणी मनुष्य हो या पशु पक्षी, साधक की अवज्ञा नहीं कर सकते! उनके सम्मोहन क्षेत्र से सम्मोहनकर्ता के आदेश बगैर बाहर नहीं निकल सकते!
कुण्डलिनी जागरण आधार पुस्तक के लाभ:
इस पुस्तक को पढने के बाद आपको कुण्डलिनी जागरण के बारे में जानकारी मिलेगी।
कुण्डलिनी जागरण आधार पुस्तक में कुण्डलिनी जागरण कैसे किया जाता है का ज्ञान प्राप्त होगा।
Kundalini Jagran Aadhar Book Details:
Book Publisher: Surabhi Prakashan
Book Author: Dhruv Narayan
Language: Hindi
Weight: 0.430 gm Approx.
Pages: 221 Pages
Size: “21.5” x “14.5” x “2” cm
Edition: 2013
Shipping: Within 4-5 Days in India
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