Mahashakti Pratyangira Book | महाशक्ति प्रत्यंगिरा पुस्तक
Mahashakti Pratyangira Book (महाशक्ति प्रत्यंगिरा पुस्तक): In this book, how Mother Pratyangira appeared why she has the name as Pratyangira. To whom Mother appears in which form, etc. are there. After this, it also describes how Mother Pratyangira suppresses the wicked and follows the disciples. Whether they are devotees or not.
It is also said that if one gets his blessings by worshiping the Pratyangira element. Then the worshiper becomes very powerful and knows unknown secrets. Mother Pratyangira is the awakened goddess of the Hindu religion. His head is that of a lion and the rest of his body is that of a woman. Pratyangira is the form of Shakti. He is the unified form of Vishnu, Rudra, and Goddess Durga.
This intense form of Adi Parashakti Mahadevi is the subtle power of the Sharabha incarnation of Mahadev. He was the one who stopped the fierce war taking place between Lord Narasimha and Lord Sharabha. Goddess Mahamaya assumed the body of half lion and half human. It seemed impossible to stop the war between Hari and Hara, so the gods invoked the goddess Mahayogamaya Durga.
In her original form, she is the wife of Lord Shiva. Moreover, she also had the immense ability to merge Narayana into Yoga Nidra. Because she is Yoga Nidra. The Goddess appeared before them in such a fierce form and stunned both of them with her fierce roar. As a result, the fierce conflict between them ended and the threat of destruction of the universe averted.
The word ‘Pratyangira’ is unique in itself, which means to reverse any kind of attack, tantric misuse, or black magic. The influence of any powerful negative power one can destroy by worshiping and worshiping Goddess Pratyangira.
महाशक्ति प्रत्यंगिरा पुस्तक | Mahashakti Pratyangira Book
इस पुस्तक में माँ प्रत्यंगिरा का कैसे आविर्भाव हुआ और क्यों उनका नाम प्रत्यंगिरा हुआ, माँ किसको किस रूप में दर्शन दिए इत्यादि वर्णित है৷ इसके उपरान्त माँ प्रत्यंगिरा किस प्रकार दुष्टों का दमन और शिष्यों का पालन करती है चाहे वह साधक हो या न हो यह भी वर्णित है৷
यह भी कहा गया है, कि प्रत्यंगिरा तत्व की उपासना करके यदि इनकी कृपा प्राप्त हो जाये तो उपासक अत्यन्त शक्तिशाली और अनजान रहस्यों को जानने वाला हो जाता है। माँ प्रत्यंगिरा हिन्दू धर्म की जाग्रत देवी हैं। इनका सिर सिंह का है और शेष शरीर नारी का है। प्रत्यंगिरा शक्ति स्वरूपा हैं। वे विष्णु रुद्र तथा दुर्गा देवी का एकीकृत रूप हैं।
आदि पराशक्ति महादेवी का यह तीव्र रूप महादेव के शरभ अवतार की सूक्ष्म शक्ति है। प्रभु नरसिंह और प्रभु शरभ में हो रहे भीषण युद्ध पर इन्होंने ही रोक लगाई थी। देवी महामाया ने आधे सिंह और आधे मानव का देह धारण किया। हरि और हर के बीच के युद्ध को रोकना असंभव प्रतीत हो रहा था, इसलिए देवताओं ने देवी महाशक्ति महायोगमाया दुर्गा का आह्वान किया।
ये अपने मूल रूप में भगवान शिव की पत्नी हैं तथा इनके पास नारायण को योगनिद्रा में विलीन करने की व्यापक क्षमता भी थी क्योंकि वे स्वयं योगनिद्रा हैं। देवी उनके सामने इस प्रकार तीव्र स्वरूप में प्रकट हुई और अपनी प्रचण्ड हुंकार से उन दोनों को स्तब्ध कर दिया৷ फलस्वरूप उन दोनों के बीच का भीषण मुद्ध समाप्त हो गया और सृष्टि से प्रलय का संकट टल गया।
‘प्रत्यंगिरा’ शब्द स्वयं में विलक्षण है, जिसका अर्थ है किसी भी प्रकार के आक्रमण, तांत्रिक दुष्प्रयोग या काला जादू को पलट देना। माँ प्रत्यंगिरा की साधना, आराधना से किसी भी शक्तिशाली नकारात्मक शक्ति के प्रभाव को नष्ट किया जा सकता है।
Mahashakti Pratyangira Book Details:
Book Publisher: Randhir Prakashan
Book Author: Pt. Durga Prasad Sharma
Language: Hindi
Weight: 0.405 gm Approx.
Size: “21.5” x “14” x “2” cm
Pages: 360 Pages
ISBN No: 978-93-91939-11-3
Shipping: Within 4-5 Days in India
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