Navnath Upasana Book/नवनाथ उपासना पुस्तक : Navnath Upasana Book is an important book of tantra, in which information about almost all rare tantra is hidden.
Navnath Upasana Book About:
The general meaning of the word Nath is, lord, owner etc. Yogi Pravar Naraharinath Shastri Viidyalankar, in his discourse on the occasion of the idol of Hinglaj Devi on the May 25, 1992 at the Jharna Mahadev of Bhilwara, on the occasion of the establishment of the idol of Hinglaj Devi, he said, that no meaning is not a meaning, that is, no further element beyond that. If someone crosses the bounds of this universe, then it is Nath. In this way, Nepal Raj guru Shri Narharinathji described the Nath sect as anadi. Where did this creation happen? Who knows this element? By whom it has been created? Why did Etc., is the solution and guide to the topic. In Atharvaveda, the word ‘Nathit’ and ‘Nath’ are also used. According to Shakti Sangam Tantra, ‘Nath’ gives element of salvation, abrogation of Brahma and suspension of ignorance. -Navnath Upasana Book.
The first Nath of this great ‘Nath community’ is, the creator, the controller, the guide. Next to this community founded by Adinath Shiva, Navnath Chaurasi Siddhas spread the word of development and spread on the vast level. Who was this proven Navnath Chaurasi? In the Mantra Maharnav Tantra, the method of trusting in different directions from the Navnath has been described. The names of nine Naths are as follows: Goraksnath, Jalandharath, Nagarjuna, Sahastarjuna, Dattatreya, Devadatta, Jadhbharat, Adinath and Matsyendranath. The mention of the Navnath in ‘Bhakta Manjari Mala’ composed by Raja ram Prasad is as follows: Satyamal Nath, Gaubinath, GuptaNath, Udbodhath, Kesranath, Shivdinnath, Narharinath, Laxmanath, and Malharanath. -Navnath Upasana Book.
Navnaths have been computed in Sudhakar-Chandrika, such as Eknath, Adinath, Matsyendranath, Udaynath, Dandanath, Satyanath, Santoshnath, Kurmanath, and Jalandharatha. According to the Telegu Granth Navnath-Charitram written in the fourteenth century, the names of the Navnathas are: Shivnath, Meennath, Sarangnath, Goraksnath, Meghnath, Nagarjuna, Siddhuddh, Virapaksha, and Kanika. -Navnath Upasana Book. The mention of navnaths in ‘Chintamani-Vijay’, which is seen in the Prahariya Granth Dhundhiraj of Maharashtra, is as follows: Matsyendranath, Gorakhnath, Jalandharath, Kanifanath, Chartpatinath, Nagnath, Revanath. -Navnath Upasana Book.
नवनाथ उपासना पुस्तक/Navnath Upasana Book
नवनाथ उपासना पुस्तक, तंत्र विज्ञान की एक महत्वपूर्ण पुस्तक है, जिसमे लगभग सभी दुर्लभ तंत्रों के बारे में जानकारी छिपी हुई है।।
नवनाथ उपासना पुस्तक के बारे में..
नाथ शब्द का सामान्य अर्थ स्वामी, प्रभु, मालिक आदि लगाया जाता है। योगीप्रवर नरहरिनाथ शास्त्री विघालंकार ने गत 8 मई,1992 को भीलवाड़ा के झरना महादेव स्थान पर हिंगलाज देवी की मूर्ति प्रतिष्ठा के अवसर पर अपने प्रवचन में तो यहाँ तक कह दिया कि- न+अथ जिसका अर्थ नहीं अर्थात् इससे आगे कोई तत्व नहीं। अगर कोई इस ब्रह्माण्ड की सीमा से पार है तो वह नाथ हैं। इस प्रकार नेपाल राजगुरु श्री नरहरिनाथजी ने नाथ सम्प्रदाय को अनादि बताया है। यह सृष्टि कहाँ से हुई? इस तत्व को कौन जानता है? किसके द्वारा हुई? क्यों हुई? कब से हुई? इत्यादि विषय के समाधान कर्ता व पथदृष्टा नाथ ही हैं। अथर्ववेद में भी ‘नाथित’ और नाथ शब्द का प्रयोग मिलता है। शक्ति-संगम तन्त्र के अनुसार ‘नाथ’ तत्व मोक्ष प्रदान करता है, ब्रह्मा का अनुमोदन और अज्ञान का स्थगन करता है। -Navnath Upasana Book.
इस महान ‘नाथ सम्प्रदाय’ के प्रथम नाथ, निर्माता, नियंता, मार्ग-प्रदर्शक हैं। आदिनाथ शिव द्वारा स्थापित इस सम्प्रदाय के आगे नवनाथ चौरासी सिद्धों ने विकास और विराट स्तर पर प्रचार-प्रसार किया। ये नवनाथ चौरासी सिद्ध कौन-कौन थे? मन्त्र महार्णव-तन्त्र में नवनाथों से भिन्न-भिन्न दिशाओं में न्यास करने की विधि बताई गयी हैं। उससे नौ नाथों के नाम इस प्रकार हैं-गोरक्षनाथ, जालन्धरनाथ, नागार्जुन, सहस्त्रार्जुन, दत्तात्रेय, देवदत्त, जड़भरत, आदिनाथ और मत्स्येन्द्रनाथ। राजाराम प्रसाद द्वारा रचित ‘भक्त मंजरी माल’ में नवनाथों का उल्लेख इस प्रकार है- सत्यामलनाथ, गौबीनाथ, गुप्तनाथ, उद्बोधनाथ, केसरीनाथ, शिवदिननाथ, नरहरीनाथ, लक्ष्मणनाथ, मल्हारनाथ। सुधाकर-चन्द्रिका में नवनाथोंकी गणना इस प्रकार की गई है-एकनाथ, आदिनाथ, मत्स्येन्द्रनाथ, उदयनाथ, दण्डनाथ, सत्यनाथ, सन्तोषनाथ, कूर्मनाथ, जालन्धरनाथ। चौदहवीं शताब्दी में रचित तेलगू ग्रन्थ नवनाथ-चरित्रम् के अनुसार नवनाथों के नाम ये हैं-शिवनाथ, मीननाथ, सारंगनाथ, गोरक्षनाथ, मेघनाथ, नागार्जुन, सिद्धबुद्ध, विरुपाक्ष, कणिक। महाराष्ट्र के परायण ग्रन्थ ढुंढिराज विचरित ‘चिन्तामणि-विजय’ में नवनाथों का उल्लेख इस प्रकार है- मत्स्येन्द्रनाथ, गोरखनाथ, जालन्धरनाथ, कानिफानाथ, चर्पटीनाथ, नागनाथ, रेवणनाथ। -Navnath Upasana Book.
Navnath Upasana Book Details:
Book Publisher: Randhir Prakashan
Book Author: Shree Gorakh Nath Ji
Language: Hindi
Weight: 160 gm Approx.
Pages: 158 Pages
Size: “18” x “12” x “1” cm
Edition: 2016
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Shivam Pandey –
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