Ratn Aur Rudraksha Book/रत्न और रुद्राक्ष पुस्तक : Ratn Aur Rudraksha Book is an important, in which information about gemstones & rudraksha.
Ratn Aur Rudraksha Book About :
There has been a curiosity in the human mind since the time of gems. Being enchanted by the glow of gems, their charm and form, the man started decorating them on his body. In this way, gradually the man has to know about the utility of gems. At the same time, on the basis of man’s long experience; also know that in which case what color can be beneficial in wearing a gem? According to Acharya Varahmihir, gems have been created from sacrificial demons and rustic bones. When the bones of the monster fell apart, there were diamonds in the region where they fell. Dental lines have changed into pearls. – Ratn Aur Rudraksha Book.
Rudraksha is considered as a direct part of Shiva, whose majesty and miracles we are all well aware. According to the Purana, it has been said that these Rudraksha are made of Shiva’s tears. There are different types of Rudraksha and on this basis their importance and utility also vary. But there are some rules for holding Rudraksha. According to one important rule related to Rudraksha, do not wear the garland of any kind that you chant, and do not bring the garland that you hold, never use it in the jaap. – Ratn Aur Rudraksha Book.
रत्न और रुद्राक्ष पुस्तक/Ratn Aur Rudraksha Book
यह एक महत्वपूर्ण पुस्तक है, जिसमे रत्न और रुद्राक्ष के बारे में जानकारी दी गई है।
रत्न और रुद्राक्ष पुस्तक के बारे में..
रत्नों के विषय में आदि काल से ही मानव मन में जिज्ञासा रही है। रत्नों की चमक, उनके आकर्षण और रूप पर मुग्ध होकर मनुष ने उन्हें अपने शरीर पर सजाना शुरू किया। इस प्रकार धीरे-धीरे मनुष्य ने रत्नों की उपयोगिता के विषय में जाना। अपने अनुसंधानों के द्वारा मनुष्य ने यह भी जाना कि एक विशेष चयन विधि के द्वारा अगर रत्नों को धारण किया जाए तो ये लाभकारी सिद्ध हो सकते हैं। साथ ही मनुष्य ने अपने दीर्घकालीन अनुभव के आधार पर यह भी जाना कि किस परिस्थिति में किस रंग का रत्न धारण करने से वह किस रूप में लाभकारी हो सकता है?
आचार्य वराहमिहिर के अनुसार बलि दैत्य और दधीचि की हडिड्यों से रत्नों की उत्पत्ति हुई है। जब दैत्य की अस्थियाँ इधर-उधर गिरीं तो वे जहाँ गिरीं उस प्रदेश में हीरे उत्पन्न हुए। दंत पंक्तियाँ मोतियों के रूप में परिवर्तित हो गयीं। रुद्राक्ष को शिव का प्रत्यक्ष अंश माना गया है, जिसकी महिमा और चमत्कारों से हम सभी भली-भांति अवगत हैं। पुराणों के अनुसार ऐसा कहा गया है कि ये रुद्राक्ष शिव के आंसुओं से बने हैं। रुद्राक्ष विभिन्न तरह के होते हैं और इसी के आधार पर इनक महत्व और उपयोगिता भी भिन्न-भिन्न होती है। लेकिन रुद्राक्ष धारण करने के कुछ नियम हैं। रुद्राक्ष से संबंधित एक महत्वपूर्ण नियम के अनुसार आप जिस भी माला से जाप करते हैं उस माला को कदापि धारण ना करें और जिस माला को धारण करते हैं उसे कभी भी जाप के प्रयोग में ना लाएं।
Ratn Aur Rudraksha Book Details:
Book Publisher: Randhir Prakashan
Book Author: Tantrik Behal
Language: Hindi
Weight: 156 gm Approx.
Pages: 189 Pages
Size: “18” x “12” x “1” cm
Shipping: Within 4-5 Days in India
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Neeraj –
must read…brief study of rudrakash & gemstomes