Tara Rahasyam Book | तारा रहस्यम् पुस्तक
Tara Rahasyam Book/तारा रहस्यम् पुस्तक: The power of mantras in Indian Tantra Shastras is amazing, in the way even an intoxicated and powerful Gajraj can be subdued by a very small rein. In the same way, a skilled seeker is capable of attracting even the most powerful Gods and Goddesses quickly through the power of mantra through his proper rituals. All the achievements done with regular rituals are under the influence of mantras.
‘Kali Tara Mahavidya Shodasi Bhuvaneshwari.
Bhairavi Vishamasta Cha Matangi Kamalatmika ॥
Dhumavati Cha Bagala Mahavidya Prakirtita.
In the above mentioned ten Mahavidyas, only Tara’s name is mentioned after Bhagwati Kali. Therefore, this Tara Devi is also very beloved. First of all, if there is any essential God in the world who grants quick success, is blessed with all the virtues and is worshiped by all the gods, then it is this one.
In fact, if a seeker worships them after understanding this star-mystery well, then there is no doubt that he can immediately attain all the siddhis of gods, demons and difficult people.
Description of Tara Rahasyam Book
The name of the presented book is ‘Tara-Rahasya’. In this, Paramahamsa Paritravakacharya Nadyanand Giri Maharai has briefly related the description of Bhagwati Tara Devi, worship method and various other related topics with various Tantric texts. This book, divided into four panels, is famous among the tantrikas. Which does not need to be discussed here. Readers should observe for themselves.
In fact, the appearance of such an excellent memoir of Tantra Shastra was irritating to the Tantric scholars, especially the class of worshipers of Tara was very dissatisfied. But Vidyamarkar Mantramanishi, Sahityacharya Pandit Shri Saryu Prasad Ji Shastri ‘Dwijendra’ has made the book extremely accessible to the worshipers by writing the national language Hindi interpretation called ‘Vidya’ along with the purity of the original text and commentary on related places.
Expansion of Tara Rahasyam Book:
I heartily thank ‘Dwijendra’ ji for this work. In your very busy life, you have greatly benefited the worshipers by translating the original text of the book presented to me in pure Hindi in the spirit of public welfare. But we are deeply saddened that ‘Dwijendra’ ji could not see the present form of his presented work during his lifetime and passed away midway. Hopefully, his departed soul will find peace with this absolutely beautiful publication.
The officials of ‘Chaukhamba Sanskrit Series Office, Varanasi’ deserve special thanks for the beautiful printing, cleanliness and accurate printing. It is the best specialty of the Chaukhamba family that despite facing many difficulties related to the current publication. They always publish many such texts keeping in mind the public interest by embellishing them with Sanskrit-Hindi interpretation, beautiful editing and all round beautiful modern decorations.
It is hoped that all Tantric worshiping scholars will take special benefit from this book. Heaven resident Late ‘Dwijendra’ ji will forgive us if any mistake has been made in the revision of this work.
तारा रहस्यम् पुस्तक | Tara Rahasyam Book
भारतीय तन्त्रशास्त्रों में मन्त्रों की शक्ति अद्भुत है जिस प्रकार अत्यंत लघु अंकुश-द्वारा मदोन्मत्त महाबलशाली गजराज भी वशीभूत हो जाता है। उसी प्रकार बड़े-से-बड़े प्रबलशक्तिशाली देवी-देवताओं को भी कुशल साधक अपने सविधि अनुष्ठानपूर्वक मंत्रशक्ति द्वारा शीघ्र ही आकर्षित करने में पूर्ण समर्थ होता है। नियमपूर्वक अनुष्ठान के साथ की गयी सारी सिद्धियों मन्त्रों के वशीभूत है।
‘काली तारा महाविद्या षोडसी भुवनेश्वरी।
भैरवी विषमस्ता च मातङ्गी कमलात्मिका ॥
धूमावती च बगला महाविद्या प्रकीर्तिताः।
उपर्युक्त दश महाविद्याओं में भगवती काली के बाद तारा का ही नाम बाता है। अतः ये तारा देवी भी परम महाप्रिया है। सब से प्रथम त्वरित् सिद्धि को देने बाली, सर्वगुणों से युक्त एवं समस्त देवगणों से पूजित संसार में यदि कोई सारभूत देवता हैं तो यही। वस्तुतः इस तारा-रहस्य को अच्छी तरह समझ कर यदि कोई साधक इनकी उपासना करे तो देव-दानव-दुर्लम जन समस्त सिद्धियों को वह सद्यः प्राप्त कर सकता है, इसमें सन्देह नहीं।
तारा रहस्यम् पुस्तक विवरण:
प्रस्तुत पुस्तक का नाम ‘तारा-रहस्य’ है। इसमें भगवती तारा देवी का परित्र-चित्रण, पूजा-विधि उपासना पद्धति एवं ततसम्बन्धी अन्यान्य विविध विषयों का सम्बन्ध अनेक तान्त्रिक ग्रंथों से परमहंस परित्रावकाचार्य नद्यानन्द गिरि महाराय ने संक्षिप्त में किया है। चार पटलों में विभाजित यह ग्रंथरत्न तान्त्रिकों में प्रख्यात है। जिसकी विवेचना की यहाँ आवश्यकता नहीं। पाठक स्वयं अवलोकन करें।
वस्तुतः तंत्रशास्त्र की ऐसी सर्वोत्कृष्ट संस्मरण का आभाष तान्त्रिक विद्वानों को तो खटक रहा ही था, विशेषतः तारा के उपासक वर्ग को बड़ा असन्तोष था। परन्तु इस कमी को विद्यामारकर मन्त्रमनीषी, साहित्याचार्य पण्डित श्री सरयूप्रसाद जी शास्त्री ‘द्विजेन्द्र’ ने मूलपाठ की शुद्धता के साथ ‘विद्या’ नामक राष्ट्रभाषा हिन्दी व्याख्या एवं सम्बंधित स्थलों पर टिप्पणी लिखकर ग्रन्थ को अतीव उपासक-जनसुलभ कर दिया है।
इस कार्य के लिए ‘द्विजेन्द्र’ जी को में हार्दिक साधुवाद करता है। आपने अत्यन्त व्यस्त जीवन में मी प्रस्तुत ग्रन्थ के मूल पाठों को विश्शुद्धिपूर्वक हिन्दी रूपान्तर कर बहुजनहिताय की भावना से उपासक वर्ग का अत्यधिक कल्याण किया है।
तारा रहस्यम् पुस्तक विस्तार:
परन्तु हमें हादिक दुःख है कि अपने जीवन काल में ‘द्विजेन्द्र’ जी अपनी प्रस्तुत कृति का वर्तमान रूप नहीं देख सके और बीच ही में कालकवलित हो गये। आशा है, इस सर्वाग सुन्दर प्रकाशन से उनकी स्वर्गस्थ आत्मा को शान्ति मिलेगी।
सुन्दर छपाई-सफाई एवं विशुद्ध मुद्रण के लिए ‘चौखम्बा संस्कृत सीरीज आफिस, वाराणसी’ के अधिकारी वर्ग विशेष धन्यवाद के पात्र है। चौखम्बा परिवार का यह सर्वोत्कृष्ट विशेषता है कि वर्तमान प्रकाशन-सम्बन्धी अनेकानेक कठिनाइयों का सामना करते हुए भी ऐसे-ऐसे अनेकों ग्रंथों को संस्कृत-हिन्दी व्याख्या, सुन्दर सम्पादन एवं सर्वांगसुन्दर आधुनिक साज-सब्जा से अलंकृत कर जनहित की भावना रख कर सदैव, प्रकाशित कर रहे हैं।
आशा करता है कि इस पुस्तक से समस्त तान्त्रिक उपासक विद्वान् विशेष लाभ उठायेंगे। कैलासवासी स्व० ‘द्विजेन्द्र’ जी की इस कृति के संशोधन में कोई प्रमाद रह गया हो तो उसे क्षमा करेंगे।
Tara Rahasyam Book Details:
Book Publication: Chaukhamba Prakashan
Book Author: Pt. Saury Prasad Shastri
Weight: 149 gm
Size: 21.5 x 14 x 1 cm
Book Language: Hindi, Sanskrit
Pages: 151 Pages
Edition: 2014
Shipping: Within 4-5 Days in India
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