Augharnath Virchit Tantra-Sindhu Book/औघड़नाथ विरचित तन्त्र-सिन्धु पुस्तक : Augharnath Virchit Tantra Sindhu Book is an important book, in which information about tantra shastra.
Augharnath Virchit Tantra-Sindhu Book About :
Nowadays there are many texts available in the market. There is nothing for the seekers seeking spiritual practice in these texts filled with scriptures and scriptures of Sanskrit. These are compiled descriptions only in the scriptures, which have the right ways to use mantras and worship methods. Nowadays there are many texts available in the market. There is nothing for the seekers seeking spiritual practice in these texts filled with scriptures and scriptures of Sanskrit. These are compiled descriptions only in the scriptures, which have the right to use mantras and worship methods. – Augharnath Virchit Tantra-Sindhu Book.
Similarly, whatever the ‘Mantra’ is written in pure form, unless its ‘naad’, which means the word of utterance and sound vibrations, is not known, there can be no achievement from the mantra chant. Yes, this chant can be only welfare for the common people, but it will be negligible compared to labor. The power of the mantra lies in the ‘sound’. It does not happen anywhere in words. ‘Tantra-Sadhana’ is a secretive way. Call it superabundant, there will be no exaggeration. Its accomplishments cannot be obtained only on the basis of descriptions available in ancient texts. The reason is that there is nothing about confidential secrets in them. This is achieved in the Guru-Shishya Parampara. -Augharnath Virchit Tantra-Sindhu Book.
The Tantric-yogis nowadays, they are either narrative or renegade. He never achieved any achievement. This is achieved in the Guru-Shishya Parampara. The Tantric-yogi who are nowadays, they are either narrative or renegade or renegade. He never achieved any achievement. These are just telling the classical descriptions and verses of Sanskrit, they are calling themselves Siddha Tantric, Seekers and Yogis. -Augharnath Virchit Tantra-Sindhu Book.
औघड़नाथ विरचित तन्त्र-सिन्धु पुस्तक/Augharnath Virchit Tantra-Sindhu Book
औघड़नाथ विरचित तन्त्र सिन्धु, यह एक महत्वपूर्ण पुस्तक है, जिसमें तन्त्र शास्त्र के बारे में बताया गया है।
औघड़नाथ विरचित तन्त्र-सिन्धु पुस्तक के बारे में..
आजकल बाजार में अनेक तन्त्र-ग्रन्थ उपलब्ध हैं। शास्त्र वचनों एवं संस्कृत के श्लोकों से भरे इन ग्रन्थों में साधना के इच्छुक साधकों के लिए कुछ भी नहीं होता। ये मात्र शास्त्रों में संकलित वर्णन होते हैं, जिनमें उपयोग के योग्य मन्त्र और पूजन-विधियां होती हैं। पूजन-विधि को पूर्ण करना तन्त्र साधना नहीं है। न ही मन्त्रों की शक्ति उनके शब्दों में निहित होती है पूजा कितनी भी एकाग्रता और विधि-विधान से की जाये, उससे सिद्धियां प्राप्त नहीं होती। इसलिए नहीं होती कि ये साधकों के लिए नहीं, गृहस्थों के लिए बनायी गयी हैं। इसी प्रकार ‘मन्त्र’ चाहे कितना भी शुद्ध रूप में लिखा हो, जब तक उसके ‘नाद’ अर्थात् उच्चारण और ध्वनि कम्पन का रहस्य ज्ञात नहीं है, मन्त्र जाप से कोई सिद्धि प्राप्त नहीं हो सकती। हां, सामान्य लोगो के लिए यह जप कल्याणकारी मात्र हो सकता है, किन्तु यह परिश्रम की तुलना में नगण्य ही होगा। मन्त्र की शक्ति ‘नाद’ में निहित है। यह शब्दों में कहीं होती ही नहीं है। – Augharnath Virchit Tantra-Sindhu Book.
‘तन्त्र-साधना’ एक गोपनीय मार्ग है। इसे अतिगोपनीय कहें, तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। इसकी सिद्धियों को केवल प्राचीन ग्रन्थों में उपलब्ध वर्णनों के आधार पर प्राप्त नहीं किया जा सकता। कारण यह है कि गोपनीय रहस्यों के बारे में इनमें कुछ भी नहीं होता। यह तो गुरु-शिष्य परम्परा में प्राप्त होता है। आजकल जितने तान्त्रिक-योगी बने हुए हैं, वे या तो कथावाचक हैं या पाखण्डी। इन्होने कभी कोई सिद्धि प्राप्त नहीं की। ये मात्र शास्त्रीय वर्णनों एवं संस्कृत के श्लोकों का वर्णन करके स्वयं को सिद्ध तान्त्रिक, साधक एवं योगी कह रहे हैं। इन स्थितियों को देखते हुए ही मैंने तन्त्र-साधना की उन गोपनीय विधियों एवं रहस्यों को अपनी पुस्तकों में खोलना प्रारम्भ कर दिया, जिनके सम्बन्ध में गोपनीयता बनाये रखने की शपथ ली जाती है। प्रस्तुत ग्रन्थ एक ऐसा ही ग्रन्थ है। इसमें औघडनाथ सदाशिव के साथ-साथ सभी देवी-देवताओं के समस्त गोपनीय रहस्यों को प्रकट किया गया है। -Augharnath Virchit Tantra-Sindhu Book.
Augharnath Virchit Tantra Sindhu Book Details:
Book Publisher: DPB Publication
Book Author: Vivek Shree Kaushik ‘Vishwamitra’
Language: Hindi
Pages: 409 Pages Book
Size: “21” x “14” cm
Weight: 531 gm Approx
Edition: 2018
Shipping: Within 4-5 Days in India
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