Bhut Damar Tantra Book/भूत डामर तंत्र पुस्तक
Bhut Damar Tantra (भूत डामर तंत्र पुस्तक) is an important book, It is not easily available, this book is written by Krishna Kumar Rai ji, this Bhut Damar Tantra Book is published by Prachay Prakashan, Varanasi in 2008, this book has 109 pages.
Bhut Damar Tantra Book Content list:
According to the content list of the Bhut Damar Tantra Book, the contents are duly expressed in a simple language for the convenience of the readers. The matters are mentioned hereunder. First Table, Second Table, Third Table – Sundari Sadhana, Fourth Table – Vampini Chaetika Sadhana, Fifth Table – Ashtakatyayani Sadhana, Best Table – Prathamadhipakrodhraj Sadhana, Saptam Table – Kanakari Sadhana, VIII Table – Chetika Sadhana, Ninth Table – Bhutini Sadhana, Dasam Table – Apsara Sadhana, Ekadash Plate – Yakshini Sadhana, Dwadash Table – Ashta Nagini Sidhdhi Sadhana, Trayodash Table – Kinnaree Sidhdhi Sadhana, Chaturdash Table – Council Circle the meditation method, Panchamdas Patal- Aprajitadimuk Ykshsiddhi Silence, hexadecimal Patal- is described in more detail about the elf practice, is an important part of the Bhut Damar Tantra Book.
Bhut Damar Tantra Book Benefits:
- By reading this Book, one gets to know the important topics of the ghost system.
- By reading the Bhut Damar Tantra Book, you can understand the importance of Damar Tantra
- With the Bhut Damar Tantra Book, you can know the events that happen in your life.
Bhut Damar Tantra Book Description:
Mantra Shastra is a unique fund of Indian learning. Sarvabhuteshwara Devadhidevmahadeva is the primary source of its inspiration. In the Kali Yuga, he had foresight of little knowledge and power of all beings. Therefore, for the accomplishment of the work of devotees with little diligence, he preached the science of Tantra. For this reason, the glory of Tantra Shastra is everywhere mentioned. When this scripture almost disappeared due to the influence of Kalachakra, then Maharishi, Siddha Yogis and Mahatmas acquired mantras and Yantra by Tapobal and installed divine powers in it and made it available for the benefit of the common man.
Bhoot Damar Tantra is being presented for the first time with a language translation in Nagri script. The sequence of lessons in the Bhoot Damar system is as follows: The entire book is in sixteen tables. The first begins as a dialogue between Manikat Bhairavi and Unmatta Bhairav, where the cases of Yaksha, Man, Bhujag, Kinnar, Napiakadi are attained and protected. In the second table, there is a detailed mention of the Maran of all the gods and Bhootadigans. Sundari Sadhana in the third table, Vampini Chaitika Sadhana in the fourth table, Ashtakatayani Sadhana in the fifth table, Prathamadhipkrodhraj Sadhana in the sixth table, Kanakari Sadhana in the seventh table, Chetika Sadhana in the eight table, Bhutini Sadhana in the ninth table, Apsara Sadhana in the tenth table. Yakshini Sadhana in the table, Ashtaganagi Sidhdhi Sadhana in Dwadash Patal, Kinnaree Sidhdhi Sadhana in Trayodash Pattal, Council in Chaturdashi Detailed reference is found in the context of anger meditation method, Aparajitadimukh Yakshasiddhi Sadhana in Panchamdash Table and Yogini Sadhana in Shodash Patal.
भूत डामर तंत्र पुस्तक/Bhut Damar Tantra Book
भूत डामर तन्त्र एक महत्वपूर्ण पुस्तक है, भूत डामर तन्त्र पुस्तक/Bhut Damar Tantra Book आसानी से उपलब्ध नहीं होती, यह पुस्तक कृष्ण कुमार राय जी के द्वारा लिखी हुई है, इस भूत डामर तन्त्र पुस्तक को प्राच्य प्रकाशन, वाराणसी ने सन् 2008 में प्रकाशित किया है, इस पुस्तक में 109 पृष्ठ(पेज) है।
भूत डामर तंत्र पुस्तक/Bhut Damar Tantra Book की विषय सूचि:
भूत डामर तन्त्र पुस्तक/Bhut Damar Tantra Book में विषय सूचि अनुसार- प्रथम पटल, द्वितीय पटल, तृतीय पटल – सुन्दरी साधना, चतुर्थ पटल – पिशाचिनी चेटिका साधना, पंचम पटल – अष्टकात्यायनी साधना, षष्ठ पटल – प्रथमाधिपक्रोधराज साधना, सप्तम पटल – कैंकरी साधना, अष्टम पटल – चेटिका साधना, नवम पटल – भूतिनी साधना, दशम पटल – अप्सरा साधना, एकादश पटल – यक्षिणी साधना, द्वादश पटल – अष्ट नागिनी सिद्धि साधना, त्रयोदश पटल – किन्नरी सिद्धि साधना, चतुर्दश पटल – परिषन्मण्डल क्रोध ध्यान विधि, पंचमदश पटल – अपराजितादिमुख यक्षसिद्धि साधना, षोडश पटल – योगिनी साधना के बारे में विस्तार रूप से बताया गया है, जोकि भूत डामर तन्त्र/Bhut Damar Tantra Book के महत्वपूर्ण अंग है।
भूत डामर तंत्र पुस्तक/Bhut Damar Tantra Book के लाभ:
- भूत डामर तन्त्र पुस्तक को पढ़ने से भूत तन्त्र के महत्वपूर्ण विषयों की जानकरी मिलती है।
- भूत डामर तन्त्र पुस्तक को पढ़कर आप डामर तन्त्र के महत्व को समझ सकते है।
- भूत डामर तन्त्र पुस्तक से आप अपने जीवन में होने वाली घटनाओं को जान सकते है।
भूत डामर तंत्र पुस्तक/Bhut Damar Tantra Book का विवरण:
मन्त्र शास्त्र भारतीय विद्याओं की एक अनुपम निधि है। सर्वभूतेश्वर देवाधिदेवमहादेव इसकी प्रेरणा के मूल श्रोत है। कलियुग में समस्त प्राणियों के अल्प ज्ञान एवं सामर्थ्य का उन्हें पूर्वाभास था। अत: कम परिश्रम से ही भक्तों की कार्य सिद्धि के लिए उन्होंने तन्त्रशास्त्र का उपदेश दिया। इसी कारणवश तन्त्रशास्त्र की महिमा का सर्वत्र उल्लेख मिलता है। जब कालचक्र के प्रभाव से यह शास्त्र लगभग लुप्त सा हो गया तब महर्षियों, सिद्ध योगियों एवं महात्माओं ने तपोबल द्वारा मन्त्रों तथा यंत्रों को अर्जित करके उसमें दैवी शक्तियों को स्थापित कर सामान्य जन के उपकारार्थ उपलब्ध कराया। भूतडामर तन्त्र प्रथम बार नागरीलिपि में भाषा अनुवाद सहित प्रस्तुत किया जा रहा है। भूतडामर तन्त्र में पाठों का क्रम इस प्रकार है: सम्पूर्ण ग्रन्थ सोलह पटलों में है। प्रथम पटल उन्मत्त भैरवी एवं उन्मत भैरव के सम्वाद के रूप में आरम्भ होता है जिसमें यक्ष, मनुष्य, भुजग, किन्नर, प्रथम, नापिकादि के सिद्धि लाभ तथा रक्षा के प्रकरण मिलते है। द्वितीय पटल में समस्त देवताओं एवं भूतादिगणों के मारण का विस्तृत उल्लेख है।
तृतीय पटल में सुन्दरी साधना, चतुर्थ पटल में पिशाचिनी चेटिका साधना, पंचम पटल में अष्टकात्यायनी साधना, षष्ठ पटल में प्रथमधिपक्रोधराज साधना, सप्तम पटल में कैंकरी साधना, अष्टम पटल में चेटिका साधना, नवम पटल में भूतिनी साधना, दशम पटल में अप्सरा साधना, एकादश पटल में यक्षिणी साधना, द्वादश पटल में अष्टनागिनी सिद्धि साधना, त्रयोदश पटल में किन्नरी सिद्धि साधना, चतुर्थदश पटल में परिषन्मण्डल क्रोध ध्यान विधि, पंचमदश पटल में अपराजितादिमुख यक्षसिद्धि साधना तथा षोडश पटल में योगिनी साधना के सन्दर्भ में क्रमश: विस्तृत का उल्लेख मिलता है।
Bhut Damar Tantra Book Details:
Book Publisher: Prachay Prakashan
Book Author: Krishna Kumar Rai
Language: Hindi
Pages: 109 Pages
Size: “18” x “12” cm
Weight: 190 gm Approx
Shipping: Within 4-5 Days in India
Shop: Books | Yantra | Rosary | Rudraksha | Gemstones | Rings | Kavach | Lucky Charms | Online Puja | Puja Items | Gutika | Pyramids | FengShui | Herbs | View All
Reviews
Clear filtersThere are no reviews yet.