Duttatrey Tantra Book/दत्तात्रेय तंत्र पुस्तक : Duttatrey Tantra Book is an important book of tantra, in which information about almost all rare tantra is hidden.
Duttatrey Tantra Book About:
While doing research on the subject of the Tantra, getting acquainted with Tantric literature and their sect is an extremely essential task. Probably this is the motivation of the inspiration on the heart stage, with the desire of the Lord. And the bright rays that appear and Rahu smoke, when I am reconcile with each other from their own perspective, a different characteristic appears. Understanding the motivation of the heart, determining your Karma and Knowledge base is a great work. The heart has been accepted as soul or spirit, so if by listening to the divine message of the soul, even if it is unheard of, then who will be a fool? -Duttatrey Tantra Book.
Only two solutions are realized when doing a systematic search function, so that some material can be put on the tantric knowledge of the system or the knowledge can be enhanced. This is the solution. In the list received by ancient texts, though differences are visible in many places, its ancientity, authenticity and their existence cannot be rejected. Now the newly available list will not appear to be unprofessional. There is no doubt in this fact that knowledge of ‘sect distinction’ and ‘devotional values’ flowed on pages of many valuable texts in their various eras. According to the book ‘Kuldeep’, the texts in which Adi Guru Shiva formulated the total path; sorry that he cannot come into the philosophy today and this is why today the sadhakas and scholars are in despair because the real knowledge of those texts is also rare. -Duttatrey Tantra Book.
दत्तात्रेय तंत्र पुस्तक/Duttatrey Tantra Book:
दत्तात्रेय तंत्र, तंत्र विज्ञान की एक महत्वपूर्ण पुस्तक है, जिसमे लगभग सभी दुर्लभ तंत्रों के बारे में जानकारी छिपी हुई है।
दत्तात्रेय तंत्र पुस्तक के बारे में..
तन्त्र विषय के ऊपर शोध कार्य करते हुए तान्त्रिक साहित्य तथा उनके सम्प्रदाय के विषय में परिचय प्राप्त करना एक अत्याधिक आवश्यक काम है। सम्भवत: यही कारण है प्रभु इच्छा से हृदय मंच पर प्रेरणा का विस्फोट होता है। और दिखाई देने वाली चमकीली किरणें और राहु धुँआ अपने-अपने अलग ही दृष्टिकोण से जब इन सबका सामंजस्य बैठाता हूँ तो एक अलग ही विशेषता प्रकट होती है। हृदय की प्रेरणा को समझते हुए अपना कर्मपथ और ज्ञानपथ को निर्धारित कर लेना ही एक उत्तम कार्य होता है। हृदय को ही आत्मा या आत्मरूपी स्वीकारा गया है अतः आत्मा से परमात्मा का सन्देश सुनकर भी यदि अनसुना कर दिया जाए तो भला मुर्ख कौन होगा? -Duttatrey Tantra Book.
तन्त्र विषयक खोज कार्य करने पर केवल दो ही उपाय साक्षात् होते हैं जिससे कि तन्त्र का तान्त्रिक ज्ञान पर कुछ प्रकाश डाला जा सके या ज्ञान बढ़ाया जा सके। यह उपाय है। प्राचीन ग्रन्थों के द्वारा प्राप्त होने वाली सूची में यद्यपि अनेक स्थलों पर मतभेद स्पष्ट दृष्टि गोचर होता है फिर भी इसकी प्राचीनता, प्रमाणिकता तथा उनके अस्तित्व को अस्वीकार नहीं किया जा सकता। अब नवीन उपलब्ध सूची को देखा जाये तो अप्रमाणिक ही नहीं प्रतीत होती। इस तथ्य में संदेह नहीं है कि ‘उपासना भेद’ ‘सम्प्रदाय भेद’ एवम् ‘भक्ति की भावों’ की ज्ञान मन्दाकिनी अपने-अपने विभिन्न युगों में अनेकों मूल्यवान ग्रन्थों के पृष्ठों पर प्रवाहित होती थी। ‘कुलदीप’ नामक ग्रन्थ के अनुसार जिन ग्रन्थों में आदि गुरु शिवजी ने कुल मार्ग का निरूपण किया था, खेद है कि वह आज दर्शन में नहीं आ पाते और इसी कारण आज साधकों तथा विद्वानों में निराशा व्याप्त है क्योंकि उन ग्रन्थों का वास्तविक ज्ञान भी दुर्लभ हो गया है। -Duttatrey Tantra Book.
Duttatrey Tantra Book Details:
Book Publisher: Randhir Prakashan
Book Author: Yogiraj Yashpal Ji
Language: Hindi
Weight: 140 gm Approx.
Pages: 144 Pages
Size: “18” x “12” x “1” cm
Edition: 2016
Shipping: Within 4-5 Days in India
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