Garhwal Ka Prachin Tantrasaar Book/गढवाल का प्राचीन तन्त्रसार पुस्तक : Garhwal Ka Prachin Tantrasaar Book is an important book, in which information about garhwal tantra saar.
Garhwal Ka Prachin Tantrasaar Book About:
In many ways, mantra is the simplest and easy tool for the need of life and for the fulfillment of desire. This illusion of man is absolutely empty that the mantras is the name of only a maze or appease the mind. The vast ancient literature of the mantras is still a witness with truth. Modern science is also willing to believe that in the system, mantra and the instrument, there is definitely the absoluteness of God. All experiments made for philanthropy with autism are always fruitful. All the matters being given in the book are according to facts they are being compiled by the ancient Veda Purana and Upanishads. In the collection of presents, all the major collections of mantras have been included which can be used by the common man for their welfare. As the most ordinary reader, the follower can understand why and when this is the best way to awaken mantra, meditation, prayer and method, mantra. In addition to this, keep you in mind, date, wise, constellation, moment, yoga, and month. -Garhwal Ka Prachin-Tantrasaar Book.
Hold a single mantra for eternity, you can do the same; otherwise, changing the mantra is the biggest mistake. Gayatri Mantra is called Manantraj. Therefore, Gayatri Mantras are being given priority. Your cultivation can be successful only with strong faith in the mantras. – Garhwal Prachin Tantrasaar Book.
In the present ‘Garhwali’s ancient tantra saar’, it has been included in all subjects related to the system, which are considered compulsory for the completion of system education. For example, the worship, the awakening, the armor, the heresy, and the peace, through which it can do its own welfare. For the entire episode I have already informed that first understand this technique and then experiment and try it later and you dare to experiment somewhere or otherwise. Before doing a special thing, remember Shri Shakti, Bhairav and Hanuman. Take full care of the whole system of the South direction and the new moon of Tuesday-Saturday. Along with this, it is mandatory to take care of the worshiping material and things related to God. In this sophisticated version of the book, the ancient Shri Punch Devata Stotra, Shri Lakshmi Stotra, Ashtak Chalisa etc. have also been told. All the readers will benefit from this.
गढवाल का प्राचीन तन्त्रसार पुस्तक/Garhwal Ka Prachin Tantrasaar Book
गढवाल का प्राचीन तन्त्रसार, यह एक महत्वपूर्ण पुस्तक है, जिसमें गढवाल तन्त्र सार के बारे में बताया गया है।
गढवाल का प्राचीन तन्त्रसार पुस्तक के बारे में..
जीवन की आवश्यकता और आकाक्षांओं की पूर्ति के लिए अनेक साधनों में मन्त्र विद्या ही सरल व सुगम साधन है। मनुष्य का यह भ्रम सर्वथा निर्मूल है कि मन्त्र केवल भूल-भुलैया अथवा मन बहलाने का नाम है। मन्त्रों का विशाल प्राचीन साहित्य आज भी सत्यता के साथ साक्षी है।
आधुनिक विज्ञान भी यह मानने को तैयार है कि तन्त्र, मन्त्र व यन्त्र में अवश्य ही ईश्वर की अपारशक्ति है। आत्मकल्याण के साथ लोककल्याण के लिए किए गए सभी प्रयोग सदैव ही फलदायी होते हैं। प्रस्तुत पुस्तक में दिए गये सभी प्रकरण, तथ्य प्राचीन वेद्पुराण व उपनिषदों से संकलन करके दिए जा रहे हैं। प्रस्तुत मन्त्र संग्रह में उन सभी प्रमुख मन्त्र संग्रहों का समावेश किया गया है जो आम व्यक्ति अपने कल्याण हेतु सरलता से प्रयोग कर सके। जैसे कि साधारण से भी साधारण पाठक, उपासकगण यह समझ सकता है, कि कब क्यों और कैसे मन्त्र, ध्यान, प्रार्थना व विधि, मन्त्र जागृत करने का यही सबसे उत्तम उपाय है। इसके आलावा तिथि, वार, नक्षत्र, पल, योग, महीने का भी स्वयं ध्यान रखें। किसी एक मन्त्र को हमेशा के लिए पकड़ लें वही आपका बेड़ापार कर सकता है, अन्यथा बार-बार मन्त्र परिवर्तन करना सबसे बड़ी भूल है। गायत्री मन्त्र को मन्त्रराज कहा जाता है। इसीलिए गायत्री मन्त्रों को प्रधानता दी जा रही है। मन्त्रों के प्रति दृढ़ विश्वास से ही आपकी साधना सफल हो सकती है।
प्रस्तुत ‘गढ़वाल का प्राचीन तन्त्र-सार’ में तन्त्र से सम्बंधित उन सभी विषयों का समावेश किया गया है, जो तन्त्र विद्या की पूर्णता के लिए अनिवार्य माने जाते हैं। उदाहरण के लिए पूजन, जागरण, कवच, उखेल-भेद तथा शांति विधि जिसके द्वारा अपना व लोक कल्याण कर सके। इस पूरे प्रकरण के लिए मैं पहले ही सूचित कर चूका हूँ कि इस तन्त्र विद्या को पहले अच्छी तरह समझे तथा फिर प्रयोग करके परखें तब जाकर कहीं आप प्रयोग करने का साहस करें अन्यथा न करें। एक विशेष बात कार्य करने से पहले श्री शक्ति, भैरव व हनुमान का स्मरण अवश्य करें। पूरी तन्त्र विद्या को दक्षिण दिशा व मंगलवार-शनिवार की अमावस्या का पूरा ध्यान रखें। साथ-ही-साथ पूजन सामग्री व देव से सम्बंधित वस्तु विषय का ध्यान रखना अनिवार्य है। पुस्तक के इस परिष्कृत वृहद संस्करण में प्राचीन श्री पंच देवता स्तोत्र, श्री लक्ष्मी स्तोत्र, अष्टक चालीसा आदि भी बताए गये हैं। आप सभी पाठक इनमें लाभान्वित होंगे।
Garhwal Ka Prachin Tantrasaar Book Details:
Book Publisher: Randhir Prakashan
Book Author: Pt. V. D. Paliwal
Language: Hindi
Weight: 116 gm Approx.
Pages: 160 Pages
Size: “18” x “12” x “1” cm
Edition: 2012
Shipping: Within 4-5 Days in India
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Rupesh –
nice