Naag Aur Naagmani Book/नाग और नागमणि पुस्तक : Naag Aur Naagmani Book is an important book, in which information about snakes is hidden.
Naag Aur Naagmani Book About:
According to Indian religion, this earth remains on Sheshnag. Lord Vishnu, the preserver of the universe, sleeps in the dessert Sea on the Serpent as bed. The snake has been considered as the beloved jewelry of Lord Shiva. The serpent is establisher in our religion as a deity. A festival of Snake Puja is also celebrates in the form of Nag Panchami. Serpent is mentioned in almost all religions of the world. One of India’s twelve Jyotirlingas is also a temple of Lord Mahakaleshwar. On top of this Jyotirlinga there is also a temple of Nag Chandreshwar, which opens only once a year. – Naag Aur Naagmani Book.
In the centuries-old Egyptian pyramids, snakes have been made in kings’ crowns. The images of the serpent in the Stone Age have been found on the walls. The serpent is believe to be the oldest animal in the world. There is no dispute about his or her appearance. It is different that the difference is indifferent. Today there are 3890 species of snakes in the whole world. Most snakes are found in the forests of Africa. It is ranging from 5 cm its length to 20-25 meters. – Naag Aur Naagmani Book.
Overall the snake is considers to be a mysterious creature. Some are still the subject of research for serpent scientists. So far, science has not been able to decide what is the serpent’s age? The age of serpent is given to Indian texts millions of years. According to some scientists, the rejuvenation of the serpent is continued. He lives like this for hundreds of years. Each time a snake changes its skin, it is its rejuvenation. The serpent lies dead in the skin changing period. From the old cellulose when it comes out it finds a new puberty. – Naag Aur Naagmani Book.
नाग और नागमणि पुस्तक/Naag Aur Naagmani Book
यह नाग और नागमणि, एक महत्वपूर्ण पुस्तक है, जिसमें नाग/सांप के बारे में जानकारी दी गई है।
नाग और नागमणि पुस्तक के बारे में..
भारतीय धर्म के अनुसार यह पृथ्वी शेषनाग पर ही टिकी है। सृष्टि के पालक भगवान् विष्णु सर्प शैय्या पर क्षीर सागर में सोते हैं। सर्प को भगवान शिव का प्रिय आभूषण माना गया है। सर्प एक देवता के रूप में हमारे धर्म में स्थापित है। नाग पंचमी के रूप में सर्प पूजा का एक उत्सव भी मनाया जाता है। संसार के लगभग सभी धर्मो में सर्प का उल्लेख है। भारत के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक भगवान् महाकालेश्वर का मंदिर भी है। इस ज्योतिर्लिंग के शीर्ष पर नाग चंद्रेश्वर का मंदिर भी है, जो वर्ष में केवल एक दिन खुलता है।
सदियों पुराने मिस्र के पिरामिडों में जो अवशेष मिले हैं, उनमें सर्प भी राज-मुकुटों में बने मिले हैं। पाषाण-युग में सर्प के चित्र दीवारों पर बने पाए गये हैं। सर्प विश्व का सबसे प्राचीनतम प्राणी माना गया है। उसके आकार-प्रकार के विषय में कोई विवाद नहीं है। यह बात अलग है कि उसकी भिन्नता बहुत है। आज सम्पूर्ण विश्व में सर्प की 3890 जातियाँ हैं। सबसे ज्यादा और सबसे अधिक सर्प अफ्रीका के जंगलों में पाये जाते हैं। 5 से.मी. से लेकर उसकी लम्बाई 20-25 मीटर तक मानी गयी है। – Naag Aur Naagmani Book.
कुल मिलाकर सर्प एक रहस्यमय प्राणी माना गया है। कुछ भी हो सर्प वैज्ञानिकों के लिए आज भी शोध का विषय है। अभी तक इस बात का भी निर्णय विज्ञान नहीं कर सका है कि सर्प की आयु क्या है? सर्प की आयु भारतीय ग्रन्थों लाखों साल की बताई गयी है। कुछ वैज्ञानिकों के अनुसार सर्प का कायाकल्प होता रहता है और वह इस प्रकार सैकड़ो साल जीवित रहता है। प्रत्येक बार जब सर्प अपनी केंचुल बदलता है तो वह उसका कायाकल्प है। केंचुल-काल में सर्प मृत होकर पड़ा रहता है। पुराणी केंचुल से निकलकर वह नया यौवन पाता है।
Naag Aur Naagmani Book Details:
Book Publisher: Randhir Prakashan
Book Author: Tantrik Behal
Language: Hindi
Weight: 0.172 gm Approx.
Pages: 192 Pages
Size: “18” x “12” x “1” cm
Edition : 2014
Shipping: Within 4-5 Days in India
Shop: Books | Yantra | Rosary | Rudraksha | Gemstones | Rings | Kavach | Lucky Charms | Online Puja | Puja Items | Gutika | Pyramids | FengShui | Herbs | View All
Kapil –
Knowledge of naag world