Nabbe-Karod Ki Barsat Book/नब्बे-करोड़ की बरसात पुस्तक : Nabbe-Karod Ki Barsat Book is an important book, in which information about tantra is hidden.
Nabbe-Karod Ki Barsat Book About:
In the present physical environment, based on the hypothesis of a worldly man, the ultimate purpose of every human being’s economic activity in the background is to achieve the things by hook and crook. Apart from the relevance of Kautilya’s “Economics” and the contemplation of Mahatma Gandhi’s economic views, an estimated 100 million people of undivided Madhya Pradesh, about one fourth million people in India and around 2-3 million people in the world are united for the unexpected achievement of the amazing elusive wealth. Their goal is the limitless for the receipt of money accordingly, direction is also almost certain but there is no proper direction. This group of individuals is neither engaged in the works of a cognizable criminal nor is involved in the illegal activities of theft, rape, murder, robbery, fake currency, robbery, violence etc., but is passing through the elusive world of money acquisition. – Nabbe-Karod Ki Barsat Book.
Today we are living in the era of science. In fact, science is the orderly knowledge of a subject matter but in the above perspective, the urgent need of contemplating the so-called delusional delusion is an adventure of the research text so that by realizing the truth, the meaning of human-economic labor is seen in scientific way by almost a decade. The historical overview of research can be targeted by unnecessary movement in the wrong path. Approximately half a millennium ago, the refined form of the phenomenon of iron and magnet could be in sound, light and electrical production. This is the theme of the research and the origin. – Nabbe-Karod Ki Barsat Book.
नब्बे-करोड़ की बरसात पुस्तक/Nabbe-Karod Ki Barsat Book
नब्बे करोड़ की बरसात, यह एक महत्वपूर्ण पुस्तक है, जिसमें तन्त्र के बारे में बताया गया है।
नब्बे-करोड़ की बरसात पुस्तक के बारे में..
वर्तमान भौतिक परिवेश में एक सांसारिक मनुष्य की परिकल्पना पर आधारित पृष्ठभूमि में प्रत्येक मनुष्य की आर्थिक क्रिया का अंतिम उद्देश्य अकूट धन की येन-केन प्रकारेण प्राप्ति है। कौटिल्य के “अर्थशास्त्र” एवं महात्मा गाँधी के आर्थिक विचारों के चिंतन की प्रासंगिकता के परे एक अनुमान से अविभाजित मध्यप्रदेश के ¼ करोड़ व्यक्ति, भारत में लगभग 1 करोड़ व्यक्ति तथा विश्व में लगभग 2-3 करोड़ व्यक्ति अद्भुत मायावी धन की अप्रत्याशित प्राप्ति हेतु सतत् प्रयत्नशील हैं। इनका लक्ष्य प्रसंगानुरूप धन की सीमाहीन प्राप्ति है, दिशा भी लगभग निश्चित है किन्तु उचित दिशा निर्देश नहीं है। व्यक्तियों का यह समूह न तो किसी संज्ञेय अपराधी के कार्यों में लिप्त है और न ही चोरी, बलात्कार, हत्या, डकैती, जाली मुद्रा, लूट, हिंसा आदि गैर जमानती अपराधों में लिप्त है धन प्राप्ति की मायावी दुनिया में विचर रहा है। -Nabbe-Karod Ki Barsat Book.
आज हम विज्ञान के युग में रह रहे हैं। वस्तुत: विज्ञान किसी विषय वस्तु का क्रमबद्ध ज्ञान है किन्तु उपरोक्त परिप्रेक्ष्य में तथाकथित भ्रामक मायाजाल के चिन्तन की नितांत आवश्यकता प्रस्तुत शोध ग्रन्थ का एक साहसिक कार्य है ताकि सत्य को वशीभूत कर व्यर्थ मानवीय-आर्थिक श्रम को वैज्ञानिक तरीके से अवलोकित कर लगभग एक दशक के अनुसन्धान के एतिहासिक सिंहावलोकन द्वारा अनावश्यक पथभ्रष्ट को लक्षित किया जा सके। लगभग आधी सहस्त्राब्दी पूर्व लोहे व चुम्बक की घटना का परिष्कृत रूप ध्वनि, प्रकाश व विद्युत् उत्पादन में हुआ था। यही शोध का विषय व मूलमन्त्र है। – Nabbe-Karod Ki Barsat Book.
Nabbe Karod Ki Barsat Book Details:
Book Publisher: Randhir Prakashan
Book Author: Divesh Kumar Bhatt
Language: Hindi
Weight: 211 gm Approx.
Pages: 112 Pages
Size: “21” x “14” x “1” cm
Edition: 2015
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