Paurohitya Karma Prashikshak Book/पोरोहित्य कर्म प्रशिक्षक पुस्तक
Paurohitya Karma Prashikshak (पोरोहित्य कर्म प्रशिक्षक पुस्तक) is an important book. Paurohitya Karma Prashikshak Book is not easily available, this book is written by Dr. Sacchidanand Pathak, this Paurohitya Karma Prashikshak Book is published by Uttar Pradesh Sanskrit Sansthan, Lucknow, in this book there are 344 pages.
Paurohitya Karma Prashikshak Book Content list:
According to the content list of the Book, the contents are duly expressed in a simple language for the convenience of the readers. The matters are mentioned here under. Nityakarma Vidhi, Daily Activities, Sandhyopasana, Balivaishdev, Nitya Tarpan, Sanskar Introduction, Upanayana Rites, Marriage Rites, Dev Pujan Case, Swasthyayan, Gauri Ganesha Pujan, Varuna Kalash Establishment, Punyaahvachan, Shodashmatrakapujan, Navagrahasthan & Puja, Adhishthava, Adhishtadeva Pochanna Pal establishment, Das Dikpal establishment, process of donation resolutions, Shalagram-worship, Shiva-worship, Pratishthan method, Havan method, sacrifice Science, Abhishek method, Satyanarayana rituals, civil status law, astrology and auspicious, Rudraashtadyayi, which is an important part of the Paurohitya Karma Prashikshak Book.
Paurohitya Karma Prashikshak Book Benefits:
- Paurohitya Karma Prashikshak can understand the specialty of rituals by reading the book.
- By reading the Paurohitya Karma Prashikshak Book, you can understand the importance of worship method.
- You get information about astrology and Muhurt from the Paurohitya Karma Prashikshak Book.
Paurohitya Karma Prashikshak Book Description:
All scholars and scholars accept the antiquity of the Vedas and the characteristic knowledge enlightened in them. The importance of this enlightenment is proved by the fact that in it, along with the well-being of all creation, the entire need of life is shown in the way of achievement and bright life. One side of it gives happiness and beauty to the physical life, while the other side leads the car full of knowledge on the path of eternal. In this way, the Veda represents the sweetest path of both the individual and the whole. Brahmatva has been represented by Shrutis such as “Brahmavidha Brahmav Bhavati” and “Sarva Khalvidam Brahm”, “Tattvamsi”, “Pragyanam, Brahm” etc. On the same side, “Kurvanneveh Karmani Jeejeevishchhatam Sama” and “Swarga Kamo Yajet”, “Shatruvadhakam: Shyenyagam: The method of miscellaneous works of mankind has been described by the Shrutis etc. The departments of these two disciplines are known as Gyan Kand and Karmakand. In a nutshell, the discussion of various philosophical elements has been said in knowledge and undertaking for fulfillment of various desires.
पोरोहित्य कर्म प्रशिक्षक पुस्तक/Paurohitya Karma Prashikshak Book
पौरोहित्य कर्म प्रशिक्षक एक महत्वपूर्ण पुस्तक है पौरोहित्य कर्म प्रशिक्षक पुस्तक/Paurohitya Karma Prashikshak Book आसानी से उपलब्ध नहीं होती, यह पुस्तक डॉ. सच्चिदानंद पाठक के द्वारा लिखी हुई है, इस पौरोहित्य कर्म प्रशिक्षक पुस्तक को उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थानम्, लखनऊ ने प्रकाशित किया है, इस पुस्तक में 344 पृष्ठ(पेज) है।
पौरोहित्य कर्म प्रशिक्षक पुस्तक की विषय सूचि:
पौरोहित्य कर्म प्रशिक्षक पुस्तक में विषय सूचि अनुसार- नित्यकर्म विधि, दैनिक क्रियायें, संध्योपासन, बलिवैश्वदेव, नित्य तर्पण, संस्कार परिचय, उपनयन संस्कार, विवाह संस्कार, देव पूजन प्रकरण, स्वस्त्ययन, गौरी गणेश पूजन, वरुण कलश स्थापन, पुण्याहवाचन, षोडशमातृकापूजन, नवग्रहस्थापन एवं पूजन, अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता स्थापन, पञ्चलोक पाल स्थापन, दश दिक्पाल स्थापन, दान संकल्पों की प्रक्रिया, शालग्राम-पूजन, शिव-पूजन, प्रतिष्ठा विधि, हवन विधि, बलिदान, अभिषेक विधि, सत्यनारायण पूजा विधि, गृह प्रतिष्ठा विधि, ज्योतिष एवं मुहूर्त, रुद्राष्टाध्यायी, जोकि पौरोहित्य कर्म प्रशिक्षक पुस्तक के महत्वपूर्ण अंग है।
पौरोहित्य कर्म प्रशिक्षक पुस्तक के लाभ:
- पौरोहित्य कर्म प्रशिक्षक पुस्तक को पढ़ने से कर्मकाण्ड की विशेषता को समझ सकते है।
- पौरोहित्य कर्म प्रशिक्षक पुस्तक को पढ़कर आप पूजन विधि के महत्व को समझ सकते है।
- पौरोहित्य कर्म प्रशिक्षक पुस्तक से आप ज्योतिष एवं मुहूर्त की जानकारी मिलती है।
पौरोहित्य कर्म प्रशिक्षक पुस्तक का विवरण:
वेदों की प्राचीनता एवं उनमें गुम्फित ज्ञानराशि की विशेषता सभी विद्वद्-जन स्वीकार करते है। इस ज्ञानराशि का महत्त्व इस बात से स्वतः सिद्ध है कि इसमें समस्त सृष्टि की कल्याण-कामना के साथ ही जीवन की सम्पूर्ण आवश्यकता उपलब्धि और तेजोमय जीवन का मार्ग प्रशस्त रूप में प्रदर्शित है। इसका एक पक्ष भौतिक जीवन को सुख एवं सौन्दर्य प्रदान करता है वहीँ पर दूसरा पक्ष ज्ञान से परिपूर्ण कार अनन्त के पथ पर अग्रसर करता है। इस प्रकार वेद व्यष्टि एवं समष्टि दोनों का मधुरिम मार्ग निरुपित करता है। “ब्रम्हविद् ब्रह्मैव भवति” एवं “सर्व खल्विदं ब्रह्म”, “तत्वमसि”, “प्रज्ञानं, ब्रह्म” इत्यादि श्रुतियों के द्वारा ब्रह्मतत्व का निरुपण किया गया है वहीँ पर “कुर्वन्नेवेह कर्माणि जिजीविषेच्छतम् समा” एवं “स्वर्ग कामो यजेत्”, “शत्रुवधकाम: श्येनयागं यजेत्” इत्यादि श्रुतियों के द्वारा मानवोचित विविधकर्मों की विधि निरूपित की गयी है। इन्हीं दो विषयों के विभाग को ज्ञानकाण्ड तथा कर्मकाण्ड के नाम से जाना जाता है। संक्षेप में कहा जाय तो-विविध दार्शनिकतत्वों का विवेचन ज्ञानकाण्ड में एवं विभिन्न कामनाओं की पूर्ति के उपक्रम को कर्मकाण्ड में कहा गया है।
Paurohitya Karma Prashikshak Book:
Book Publisher: Uttar Pardesh Sankrit Santhan
Book Author: Dr. Sacchidanand Pathak
Language: Hindi
Pages: 344Pages
Size: “24” x “16” cm
Weight: 658 gm Approx
Shipping: Within 4-5 Days in India
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