Rudrayamalam Book | रुद्रयामलम् पुस्तक
Rudrayamalam Book/रुद्रयामलम् पुस्तक: Shakti Upasana is known as Kundalini Jagran in Tantrashastra. In this there is an incredible harmony of Shiva Shakti. Kundalini is believed to be a great power. When it is awakened, Ritambhara Shakti manifests divine knowledge. Usimapaka is endowed with divine knowledge and bestows universal bliss.
The Sattvic Upasana-Vidhi of Kundalini is described in the Ruyamatantra. Dhabhar, Veerbhav and Divya Bhar are steps of this method. By chanting Kundalini, Shatnam, Kumari Sahastranam Stotra and Kavacha etc., the psyche becomes like the deities. In fact, the Chichakhti of the Almighty Lord is referred to as ‘Shakti’.
They are worshiped in the forms of Fali, Tara, Shodshi, Bhuvaneshwari etc. Shakti is worshiped in many ways. In this non-violent method, in which no tamasi or impure objects are used, is the best sadhana. The worship of Kali, Tara, Chipura etc. is also especially fruitful.
Description of Rudrayamalam Book:
This non-violent method is known as ‘Sambachar’. In the Rudrayagat Tantra, all this is explained in the dialogue between Anand Bhairav and Anand Bhairavi. In the 60 panels of Qayamat, various hymns, hymns and poets, vimana, pashyachara, salik gudhachan. All process of Puja, main worship, veneration are above all the processes.
Bhaven sabhyate Sarva Bhaven Devdarshanam. Bhaven Param Gyanam Tasmad Bhavalamban.
This is how the prayer for deliverance from Abulini has been done
That machitya nara prajanti Sahasa Vaikunthakailasayi: Anandaikvilasini sasishtanandana karanam.
Mata Srimulkunthati Priyankare Kali Kuloddipane Tatyanam Pranamami Akhusate Mamuddhar Pashum.
रुद्रयामलम् पुस्तक | Rudrayamalam Book
तन्त्रशास्त्र में शक्ति उपासना कुण्डलिनी जागरण के नाम से प्रसिद्ध है। इसमें शिव शक्ति अभूत सामरस्य होता है। कुण्डलिनी की ही महाशक्ति माना गया है। यह जाग्रत होने पर ऋतम्भरा शक्ति या दिव्य ज्ञान को प्रकट कर देती है। उसीमापक को दिव्य ज्ञान से सम्पन्न कर देती है और लोकोतर विश्व आनन्द प्रदान करती है।
कुण्डलिनी की सात्विक उपासना-विधि रुयामतान्त्र में वर्णित है। धभार, वीरभाव और दिव्य भार इस विधि के सोपान है। कुण्डलिनी, शतनाम, कुमारी सहस्त्रनाम स्तोत्र एव कवच आदि के पाठ से सायक देवताओं के समान चन जाता है। वस्तुत सर्वशक्तिमान परमेश्वर की चिच्छक्ति की ‘शक्ति’ के नाम से अभिहित किया गया है।
इनकी फाली, तारा, षोडशी भुवनेश्वरी आदि दमानिया के रूपों में उपासना की गाली है। शक्ति की उपासना कई प्रकार से होती है। इनमे अहिंसात्मक पद्धति, जिसमें किसी तामसी या अपवित वस्तुओं का प्रयोग नहीं होता, सर्वोत्तम साधना है।
रुद्रयामलम् पुस्तक विवरण:
इसी पद्धति से काली, तारा, चिपुरा आदि की उपासना भी विशेष फलवती होती है। यह अहिंसामक पद्धति समबाचार’ के नाम से प्रसिद्ध है। रुद्रयागत तन्त्र में इस सभी का विवेचन आनन्द भैरव एवं आनन्द भैरवी के संवाद के मध्य हुआ है। कयामत के ६० पटलों में विभिन्न सहस्रनामी, स्तोत्रों एवं कवयों का विमान कर पश्यचार का सालिक गुढाचं प्रतिपादित कर सभी पुजाविधान प्रधान उपासना को सर्वोपरि बताया गया है৷
भावेन सभ्यते सर्व भावेन देवदर्शनम् । भावेन परमं ज्ञानं तस्माद् भावावलम्बन।
अबुलिनी से उद्धार की प्रार्थना इस प्रकार की गई है৷
त्यामाचित्य नरा प्रजन्ति सहसा वैकुण्ठकैलासयीः आनन्दैकविलासिनी शशिशतानन्दानना कारणाम्।
मातः श्रीमुलकुण्ठती प्रियंकरे काली कुलोद्दीपने तत्यानं प्रणमामि ध्वनिते मामुद्धर पशुम्।।
Rudrayamalam Book Details:
Book Publication: Chaukhamba Prakashan
Book Author: Dr. Sudhakar Malaviya
Weight: 1575 gm
Size: 22.5 x 14.5 x 8 cm
Book Language: Hindi, Sanskrit
Pages: 622, 664 Pages
Edition: 2022
Shipping: Within 4-5 Days in India
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