Sampurna Navkhand Indrajaal Book | संपूर्ण नवखंड इंद्रजाल पुस्तक
The original ancient Sampurna Navkhand Indrajaal Book (संपूर्ण नवखंड इंद्रजाल पुस्तक) of the year 1818 contains the ancient teachings of India on Tantra-Mantra-Yantra. The purpose of Tantra is to awaken the power centers present in the body. It is a well-known fact that every work requires positive energy and Tantra is the main medium for it.
The best description of Tantra-Mantra practices, which are many paths to accomplishment, is found in the book Indrajal. In this book it is said that Lord Shiva is triune and Mother Bhagwati is Shaktirupa. Considering Bhagwati as Shakti, the arrow of that Shakti is worshiped by Tantriks. Linga is the cause of ecstasy, which gives birth to Pranava and Jyoti respectively.
That is why there is a special description about Shivalinga in Tantra Shastra. In this world, any ordinary book can talk about ordinary Sadhanas, sorcery, Damar Mantra, Chamar Mantra, but miraculous, instantly effective Sadhanas can be obtained only from the real ancient book called Indrajal.
It is a fact that as much as one has faith in, same result is obtained. Presenting, a wonderful book collected by Tantrik Bahal which will introduce you to the real ancient Indrajal. A unique, amazing original ancient Indrajal presented by Tantrik Bahal which you were waiting for years. This is a treatise on Tantra written by an accomplished Tantrik, which will change your life.
संपूर्ण नवखंड इंद्रजाल पुस्तक | Sampurna Navkhand Indrajaal Book
वर्ष 1818 का असली प्राचीन इंद्रजाल नवखण्ड इंद्रजाल पुस्तक में तंत्र-मंत्र-यंत्र भारत की प्राचीन विद्याएं हैं। तंत्र का उदेश्य शरीर में मौजूद शक्ति केंद्रों को जाग्रत करना है। यह जाना माना तथ्य है कि हर कार्य के लिए सकारात्मक ऊर्ज्वा की आवश्यकता होती है और तंत्र इसका प्रमुख माध्यम है। तंत्र-मंत्र साधनाएँ, जो सिद्धि के अनेक मार्ग हैं, उनका सबसे अच्छा विवरण इंद्रजाल पुस्तक में मिलता है।
इस पुस्तक में कहा गया है कि भगवान शिव त्रिगुणात्मक हैं और माँ भगवती शक्तिरूपा हैं। भगवती को शक्ति मानकर उस शक्ति के बाण की पूजा तांत्रिकों द्वारा की जाती है। लिंग परमानन्द का कारण है, जिससे क्रमशः प्रणव और ज्योति की उत्पति हुई है। इसलिए तंत्र शास्त्र में शिवलिंग के बारे में विशेष वर्णन मिलता है।
इस दुनिया में साधारण साधनाएँ, टोने-टोटके, डामर मंत्र, चामर मंत्र तो कोई भी साधारण पुस्तक बता सकती है, लेकिन चमत्कारी, तुरंत प्रभावी साधना केवल असली प्राचीन इंद्रजाल नामक ग्रंथ से ही प्राप्त हो सकती है, जिसकी जैसी श्रद्धा होती है उसको उतना ही फल प्राप्त होता है।
प्रस्तुत है, तांत्रिक बहल द्वारा संग्रहीत एक अद्भुत ग्रंथ जो आपका परिचय वास्तविक प्राचीन इंद्रजाल से कराएगा। तांत्रिक बहल द्वारा प्रस्तुत एक अनूठी, अद्भुत असली प्राचीन इंद्रजाल जिसकी प्रतीक्षा आपको वर्षों से थी। यह तंत्र पर एक सिद्धहस्त तांत्रिक द्वारा संग्रहीत ग्रंथ है, जो आपके जीवन को बदल देगा।
Sampurna Navkhand Indrajaal Book Details:
Book Publisher: Randhir Prakashan
Book Author: Tantrik Bahal
Language: Sanskrit, Hindi
Weight: 1.649 gm Approx.
Pages: 1546 Pages
Size: “22.5” x “15” x “8” cm
Shipping: Within 4-5 Days in India
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