Saubhagya Lakshmi Book/सौभाग्यलक्ष्मी पुस्तक : This is an important book of Tantra, in which information about almost all rare Tantra.
Saubhagya Lakshmi Book About:
The person who is the worshiper, the conqueror of the senses, the scholar, the humble, the ego free, shows grace to all beings and who does not impose any kind of pain in other human beings, O God! I always live here in that man’s place. Only this one verse reveals the significance of this text completely. In this very simple and eloquent language, it is said that which man, what substance and in what place is the dwelling of Lakshmi. Which symptoms of the woman and the man can attain Lakshmi ji, and by which ignorance and misuse, Lakshmi leaves the place. It has also been mentioned in this text that it is impossible to get Lakshmi if acquainted with the type people of bad character, and the evil minded, in this case the attained Lakshmi also becomes angry and she goes away. – Saubhagya Lakshmi Book.
In the end, the nature of Lakshmi Devi, its way of pleasing, psalms, armor, glory and worship have been highlighted in many ways and the mantras have been stored. The book has been concluded with the description of Purush with enlightens of Lord Jagdishwar Sacheedanand and beautiful praise of Shri Krishna. It would not be superficial to say that there is special help in achieving Lakshmi through the text, meditation of this text. The person’s duty is that he must observe this scripture to accumulate Lakshmi, and make it as permanent as possible. According to the method described in the scripture, man will definitely achieve siddhi, after doing Sadhana, I firmly believe it. Only by the mantra scientifically action, the early Brahmin-Rishis had achieved paramount importance by showing supernatural power. -Saubhagya Lakshmi Book.
सौभाग्यलक्ष्मी पुस्तक/Saubhagya Lakshmi Book
सौभाग्यलक्ष्मी, यह एक महत्वपूर्ण पुस्तक है, जिसमे तंत्र शास्त्र के बारे में जानकारी दी गई है।।
सौभाग्यलक्ष्मी पुस्तक के बारे में..
जो मनुष्य धर्मपरायण, जितेन्द्रिय, अर्थात् इन्द्रियों को जीतने वाला, विद्वान्, विनय सम्पन्न, अहंकार रहित है, सब प्राणियों के प्रति अनुराग दिखाता है और जो दूसरे मनुष्यों के हृदय में किसी प्रकार का क्लेश नहीं पहुँचाता, हे सुखनन्द भगवान्! मैं सदैव उस पुरुष के यहाँ वास करती हूँ। केवल मात्र इस एक श्लोक से ही इस ग्रन्थ का महत्व पूर्णतया प्रगट हो जाता है। इसमें अत्यन्त सरल ओर ललित भाषा में बताया गया है कि किस पुरुष, किस पदार्थ और किस स्थान में लक्ष्मी का निवास रहता है। किन लक्षणों से युक्त स्त्री और पुरुष, पुरुषार्थ द्वारा लक्ष्मी जी को प्राप्त कर सकते है तथा किन दुर्लक्षणों से और दुरुपयोगों से लक्ष्मी का विनाश होता है। इस ग्रन्थ में यह भी बताया गया है कि किस कोटि के मनुष्यों के संसर्ग, व्यक्तियों की कुसंगति तथा किन दुर्वासनाओं से लक्ष्मी का प्राप्त होना असम्भव होता है और प्राप्त की हुई लक्ष्मी भी कुपित होकर चली जाती है। -Saubhagya Lakshmi Book.
अन्त में लक्ष्मी देवी का स्वरूप, उसके प्रसन्न करने की विधि, स्तोत्र, कवच, माहात्म्य और पूजा पर अनेक प्रकार से प्रकाश डाला गया है और मंत्रो को संगृहीत किया ग्या है। परमपिता जगदीश्वर सच्चीदानंद स्वरूप ज्योतिरूप पुरुष का वर्णन और श्री कृष्ण की सुंदर स्तुति साथ पुस्तक की समाप्ति की गयी है। यह कहना अत्युक्ति न होगा कि इस ग्रन्थ के पाठ, मनन तथा ध्यान से लक्ष्मी प्राप्ति में विशेष सहायता मिलती है। व्यक्ति का यह धर्म है कि वह लक्ष्मी को संचित करने के लिए, और उसको यथासंभव स्थायी बनाने के लिए इस ग्रन्थ का अवश्य अवलोकन करे। ग्रन्थ में वर्णित पद्धति के अनुसार साधना करने पर मनुष्य अवश्यमेव सिद्धि प्राप्त करेगा, यह मुझे दृढ़ विश्वास है। मंत्र शास्त्रोक्त क्रिया द्वारा ही पूर्वकालीन ब्राह्मण-ऋषियों ने अदभुत शक्ति दिखाकर सर्वोपरि प्रधानता प्राप्त की थी। -Saubhagya Lakshmi Book.
Saubhagya Lakshmi Book Details:
Book Publisher : Khemraj Books
Book Author: Khemraj Shree Krishna Das
Language: Hindi
Pages: 80 Pages Book
Size: “18” x “12” cm.
Weight : 60 gm Approx
Edition : 2008
Shipping: Within 4-5 Days in India
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