Siddh Shri Baglamukhi Book/सिद्ध श्री बगलामुखी पुस्तक
Siddh Shri Baglamukhi (सिद्ध श्री बगलामुखी पुस्तक) is an important book, It is not easily available, this book is written by Kali Panditji, this Siddh Shri Baglamukhi Book is published by Puja Prakashan, Delhi, there are 320 pages in this book.
Siddh Shri Baglamukhi Book Content list:
According to the content list of the book, the contents are duly expressed in a simple language for the convenience of the readers. The matters are mentioned here under. Shri Bagala morning remembrance, 21 things about Bagalamukhi origins, enemy obstacle prevention and Bagalamukhi, Bagalamukhi mantra for enemy destruction, unprecedented in ten Mahavidyas, superpower Bagalamukhi, worship of Mahavidya Bagalamukhi, general legislation of Bagalamukhi worship, Ganesha worship Dhyan Mantra Namaskar Mantra, Brief Shodashopchar Puja, Ganesha Kavach Sankalp, Puja Graha Pravesh Vastu Puja, Main Lamp Installation, Following the elaboration of directions from the mantras is explained in detail, which is an important part of Siddh Shri Baglamukhi Book.
Siddh Shri Baglamukhi Book Benefits:
- Reading this Book provides important information about Bagalamukhi.
- By reading the Siddh Shri Baglamukhi Book, you can understand the importance of Bagalamukhi.
- With the Siddh Shri Baglamukhi Book, you can bring changes in your life.
Siddh Shri Baglamukhi Book Description:
Sri Bagalamukhi is one of the ten Mahavidyas. They are worshiped and practiced both in the south and north by the Amna system. This is one such goddess who is worshiped by the seekers of the left and south paths. His Bhairav is Anand Bhairav and Ganesha Haridra Ganesha. His Shiva is a Mukhi Maharudra and the night is Veeraratri. In his practice, both heroic and divine expressions are predominant. Atharvasutra form Shakti is called Vulgamukhi, Vulga is the Vedic name. This Vedic Vulga name is called Bagala in Agam i.e. Tantra. Therefore there is no difference between Vulgamukhi or Bagalamukhi, both are same. Often seekers have been seen to be confused with the name.-Siddh Shri Baglamukhi Pushtak.
Bagalamukhi is also known as Srividya, theosophy. He was first worshiped by Lord Vishnu. It is a superpower to suppress the enemy and serve the seeker. Therefore, seekers should never practice their misogyny. It is also necessary to tell them that they should be cultivated in the company of the Guru and according to their instructions.- Siddh Shri Baglamukhi Pushtak.
सिद्ध श्री बगलामुखी पुस्तक/Siddh Shri Baglamukhi Book
सिद्ध श्री बगलामुखी एक महत्वपूर्ण पुस्तक है, सिद्ध श्री बगलामुखी पुस्तक आसानी से उपलब्ध नही होती, यह पुस्तक काली पण्डित जी के द्वारा लिखी हुई है, इस सिद्ध श्री बगलामुखी पुस्तक को पूजा प्रकाशन दिल्ली, ने प्रकाशित किया है, इस पुस्तक में 320 पृष्ठ(पेज) है।
सिद्ध श्री बगलामुखी पुस्तक/Siddh Shri Baglamukhi Book की विषय सूचि:
सिद्ध श्री बगलामुखी पुस्तक में विषय सूचि अनुसार – श्री बगला प्रात: स्मरणम्, बगला उत्पत्ति, बगलामुखी के विषय में 21 बातें, शत्रु बाधा निवारण व बगलामुखी, शत्रु नाश के लिए बगलामुखी मन्त्र, दस महाविद्याओं में अभूतपूर्व, महाशक्ति बगलामुखी, महाविद्या बगलामुखी की उपासना, बगलामुखी पूजन का सामान्य विधान, गणेश पूजा ध्यान मन्त्र नमस्कार मन्त्र, संक्षिप्त षोडशोपचार पूजा, गणेश कवच संकल्प, पूजा ग्रह प्रवेश वास्तु पूजा, मुख्य दीप स्थापना, निम्न मन्त्रों से दिशाओं का बन्धन के बारे में विस्तार रूप से बताया गया है, जोकि सिद्ध श्री बगलामुखी के महत्वपूर्ण अंग है।
सिद्ध श्री बगलामुखी पुस्तक/Siddh Shri Baglamukhi Book के लाभ:
- सिद्ध श्री बगलामुखी पुस्तक को पढ़ने से बगलामुखी के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है।
- सिद्ध श्री बगलामुखी पुस्तक को पढ़कर आप बगलामुखी के महत्व को समझ सकते है।
- सिद्ध श्री बगलामुखी पुस्तक से आप अपने जीवन में परिवर्तन ला सकते है।
सिद्ध श्री बगलामुखी पुस्तक/Siddh Shri Baglamukhi Book का विवरण:
श्री बगलामुखी दस महाविद्याओं में से एक है। इनकी उपासना या साधना दक्षिण व उत्तर दोनों ही आम्ना पद्धति से की जाती है। यही एक ऐसी देवी है जो वाम व दक्षिण मार्ग के साधकों द्वारा आराधित है। इनके भैरव आनंद भैरव व गणेश हरिद्रा गणेश है। इनके शिव एक मुखी महारुद्र है तथा रात्रि वीररात्रि है। इनकी साधना में वीर व दिव्य दोनों ही भावों की प्रधानता है। अथर्वासूत्र रूप शक्ति वल्गामुखी कहलाती है, वल्गा वैदिक नाम है। यही वैदिक वल्गा नाम आगम अर्थात तन्त्र में बगला कहलाता है। इसलिए वल्गामुखी या बगलामुखी में कोई अंतर नहीं है, दोनों एक ही है। प्राय: साधकजन नाम के फेर से भ्रमित होते भी देखे गए है। बगलामुखी को श्रीविद्या, ब्रह्मविद्या भी कहा जाता है। इनकी सर्वप्रथम आराधना भगवान विष्णु ने की थी। ये शत्रु का दमन करने वाली व साधक का हित साधने वाली महाशक्ति है। अत: साधकों को इनकी साधना द्वेषवश कभी नहीं करनी चाहिए। इतना भी बता देना आवश्यक है कि इनकी साधना गुरु के सान्निध्य में और उनके निर्देशानुसार ही करनी चाहिए।
Siddh Shri Baglamukhi Book Details:
Book Publisher: Pooja Prakashan
Book Author: Kaali Pandit
Language: Hindi
Pages: 320 Pages
Size: “18” x “12” cm
Weight: 361 gm Approx
Shipping: Within 4-5 Days in India
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