Tantrokt Dev-Puja Rahasya Book/तंत्रोक्त देव-पूजा रहस्य पुस्तक
Tantrokt Dev-Puja Rahasya (तंत्रोक्त देव-पूजा रहस्य पुस्तक) is an important book, Tantrokt Dev-Puja Rahasya Book is not easily available, this book has been written by Pt. Ramesh Chandra Sharma Ji, this Tantrokt Dev Puja Rahasya Book was published by Mayuresh Publication, Kishangarh, Rajasthan, 2002. In this book, there are 728 pages.
Tantrokt Dev-Puja Rahasya Book Content:
According to the table of contents in the Tantrokt Dev-Puja Rahasya Book, the role of Tantra, Ganesha Tantram, Vishnu Tantram, Shiva Tantram, Sharabh Tantram, Hanuman Tantram, Bhairav Tantram, Mishra Tantram are explained in detail, which is the important part of Tantrokt Dev-Puja Rahasya Book.
Tantrokt Dev-Puja Rahasya Book Benefits:
- Reading the Tantrokt Dev Puja Rahasya Book gives information about important topics of Tantrokt Dev Puja.
- You can understand the importance of worshiping Gods by reading the Tantrokt Dev Puja Rahasya Book.
- With the Tantrokt Dev Puja Rahasya Book, you can know the events that happen in your life.
Tantrokt Dev Puja Rahasya Book Description:
Mental power is very important in the medium of attaining God. Mantra Science has been originated by Lord Shiva and our Sage Munis have made a continuous research on it and have propounded it in the Agum scriptures for the welfare of the beings. Among the Yamal texts, Brahmayamal, Vishnuyamal, Krishnayamal, Rudrayamal are the main. There is a special literature of mantras in the Damar texts too. There are representations of 192 texts in Tantra, Ashwakranta, Vishnukranta, Rathkranta etc. Apart from this, many other scriptures like Dattatreyantantra, Vishvasara Tantra, Garuditantra, Shardatilaka, Sankhyanatantra, Shabartantra, etc. Many texts are rendered by the teachers and personalities of different sects.- Tantrokt Dev-Puja Rahasya Book.
Acharya has stored the basic experiments of the texts in his texts. The composition of Srividyaranava Tantra has a rasa of about 150 texts. Srimanmidharbhatta wrote the Mantramahodadhi book in 1645, for which he observed many texts and presented them for the benefit of the scholars. The creator of Mantramaharnava also has Siddhishrartantra, Mahatantra, Kalitantra, Phetkaratintra, Varahitantra, Chamundantantra, Kularnavtantra, Varaheetantra, Nirutattartantra, Gyanarnavatantra, Niltantra, Devyagamtantra, Malini Vijayatantra, Samyachartantra, Bhootaramaratantra, Kubjatantra, etc. 94 sages and Kalivilasadi Ashwakrantadi texts have been published in a very meaningful way which became a pathfinder.- Tantrokt Dev-Puja Rahasya Book.
तंत्रोक्त देव-पूजा रहस्य पुस्तक/Tantrokt Dev-Puja Rahasya Book
तंत्रोक्त देव पूजा रहस्य एक महत्वपूर्ण पुस्तक है, तंत्रोक्त देव पूजा रहस्य पुस्तक/Tantrokt Dev Puja Rahasya Book आसानी से उपलब्ध नहीं होती, यह पुस्तक पं. रमेश चन्द्र शर्मा जी के द्वारा लिखी हुई है, इस तंत्रोक्त देव पूजा रहस्य पुस्तक को मयूरेश प्रकाशन किशनगढ़, राजस्थान, ने सन् 2002 में प्रकाशित किया है, इस पुस्तक में 728 पृष्ठ(पेज) है।
तंत्रोक्त देव-पूजा रहस्य पुस्तक की विषय सूचि:
तंत्रोक्त देव पूजा रहस्य पुस्तक में विषय सूचि अनुसार- तन्त्र की भूमिका, गणेश तन्त्रम, विष्णु तन्त्रम, शिव तन्त्रम, शरभ तन्त्रम, हनुमान तन्त्रम, भैरव तन्त्रम, मिश्र तन्त्रम के बारे में विस्तार रूप से बताया गया है, जोकि तंत्रोक्त देव पूजा रहस्य पुस्तक के महत्वपूर्ण अंग है।
तंत्रोक्त देव पूजा रहस्य पुस्तक के लाभ:
- तंत्रोक्त देव पूजा रहस्य पुस्तक को पढ़ने से तंत्रोक्त देव पूजा के महत्वपूर्ण विषयों की जानकारी मिलती है।
- तंत्रोक्त देव पूजा रहस्य पुस्तक को पढ़कर आप देवों की पूजा के महत्व को समझ सकते है।
- तंत्रोक्त देव पूजा रहस्य पुस्तक से आप अपने जीवन में होने वाली घटनाओं को जान सकते है।
तंत्रोक्त देव पूजा रहस्य पुस्तक का विवरण:
ईश्वर को प्राप्त करने के माध्यम में मंत्रात्मक शक्ति का बहुत महत्व है। मन्त्र विज्ञान की उत्पत्ति भगवान शिव के द्वारा की गई है एवं हमारे ऋषि मुनियों ने उस पर सतत् अनुसंधान करके प्राणियों के कल्याण हेतु आगम शास्त्रों में प्रतिपादित किया है। उनमें यामलग्रन्थों में ब्रह्मयामल, विष्णुयामल, कृष्णयामल, रूद्रयामल, मुख्य है। डामरग्रन्थों में भी मन्त्रों का विशेष साहित्य है। अश्वक्रान्ता, विष्णुक्रान्ता, रथक्रान्ता आदि तंत्रों में 192 ग्रन्थों का निरूपण है। इसके अलावा अन्य तन्त्र ग्रन्थ दत्तात्रेयतन्त्र, विश्वसार तन्त्र, गारुडीतन्त्र, शारदातिलक, सांख्यायनतन्त्र, शाबरतन्त्र, इत्यादि अनेकानेक ग्रन्थों का प्रतिपादन विभिन्न सम्प्रदाय के आचार्यो व मनीषियों के द्वारा किया जाता है।
तन्त्रग्रन्थों के सारभूत प्रयोगों को आचार्यो ने अपने ग्रन्थों में संग्रहीत किया है। श्रीविद्यार्णव तन्त्र की रचना में करीब 150 ग्रन्थों का रससार है। श्रीमन्महीधरभट्ट ने सन् 1645 में मन्त्रमहोदधि ग्रन्थ की रचना की उसके लिए उन्होंने बहुत से ग्रन्थों का अवलोकन कर विद्वानों के हितार्थ प्रस्तुत किया। मन्त्रमहार्णव के रचनाकार ने भी सिद्धिश्र्वरतन्त्र, महातन्त्र, कालीतन्त्र, फेत्कारीतन्त्र, वाराहीतन्त्र, चामुण्डातन्त्र, कुलार्णवतन्त्र, वाराहीतन्त्र, निरूत्तरतन्त्र, ज्ञानार्णवतन्त्र, नीलतन्त्र, देव्यागमतन्त्र, मालिनी विजयतन्त्र, समयाचारतन्त्र, भूतड़ामरतन्त्र, कुब्जातन्त्र, इत्यादि 94 तंत्रों व कालीविलासादी अश्वक्रांतादि ग्रन्थों का सारभूत जनहितार्थाय रचकर साधकों का मार्गप्रदर्शन किया है।
Tantrokt Dev Puja Rahasya Book Details:
Book Publisher: Mayuresh Prakashan
Book Author: Pt. Rameshchandra Sharma
Language: Hindi
Books Pages: 728 Pages
Books Size: “22” x “14” cm
Weight: 932 gm Approx
Edition: 2016 Edition
Shipping: Within 4-5 Days in India
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