Yogini Tantra Book | योगिनी तंत्र पुस्तक
The book “Yogini Tantra” (योगिनी तंत्र पुस्तक) is written by Pt. Harihar Prasad Tripathi. This book was published in Varanasi in the year 2018. There have been Tantric practitioners in our country since ancient times. They used to stun people by doing many supernatural works on the basis of his spiritual practice.
In the Buddhist era, there was a great abundance of Tantra practitioners. Such seekers were spread in countries like China, Tibet, Lanka, Bhutan, Nepal etc. and their number was innumerable. All the scriptures of Hindus are considered to be prepared by Devadhidev Shiva, but the author of Buddhist Tantra texts is said to be Vajrasattva Shuddha.
Varahi Tantra, Kriya Kalpadrum, Kriya Samuchaya, Guha Siddhi, Tatvagyan Siddhi etc. are considered important in Buddhist texts. Apart from these, there are many such texts which are now inaccessible. The authenticity of Hindu scriptures is accepted by all the followers like Shaiva, Shakta and Vaishnav.
Even today, Assam state is considered to be the center of Tantric practitioners where they attain Siddhi as a result of worshiping Goddesses like Kali, Tara etc. In earlier eras, Satya Yuga, Treta and Dwapar, humans used to achieve their desired results through penance and Yajna rituals, but in this Kaliyuga, only Tantrashastra is left to rely on.
In the presented book ‘Yogini Tantra’, the methods of mantra chanting, Pushcharan and Havanadi for all types of achievements are given in very simple and understandable language, which every reader can easily complete. In this, the obsolete words appearing in their original form have been explained in the Parenthesis, so that no inconvenience is created for the readers.
In the last part of the book, the importance of sacred and ancient pilgrimage places and the rules related to compliance with rituals are also mentioned, which will prove to be very useful for the readers. In the book, special attention has been paid to the simplicity and purity of the language, yet having some errors is a natural weakness of human beings.
योगिनी तंत्र पुस्तक | Yogini Tantra Book
‘’योगिनी तंत्र’’ पुस्तक ‘’पं. हरिहर प्रसाद त्रिपाठी’’ द्वारा रचित है। इस पुस्तक का प्रकाशन वाराणसी में सन 2018 ईo में हुआ है। पुरातन काल से ही हमारे देश में तांत्रिक-साधक होते आये हैं। वे अपनी साधना के बल पर अनेक अलौकिक कार्य कर लोगों को स्तब्ध कर दिया करते थे।
बौद्धकालीन युग में तो तन्त्र-साधकों की अत्यधिक प्रचुरता देखने में आती है। ऐसे साधक चीन, तिब्बत, लंका, भूटान, नेपाल आदि देशों में फैले हुए थे जिनकी संख्या अगणित थी। हिन्दुओं के सभी आगम-ग्रन्थ देवाधिदेव शिव के द्वारा निर्मित माने जाते हैं परन्तु बौद्धतन्त्र ग्रन्थों के रचयिता वज्रसत्त्व शुद्ध कहे गये हैं।
बौद्ध ग्रन्थों में वाराही तंत्र, क्रिया कल्पद्रुम, क्रिया समुच्चय, गुहा सिद्धि, तत्त्वज्ञान सिद्धि आदि प्रमुख माने जाते हैं। इनके अतिरिक्त ऐसे भी अनेक ग्रन्थ हैं जो अब अलभ्य हो चुके हैं। हिन्दू ग्रन्थों की प्रामाणिकता को शैव, शाक्त तथा वैष्णव आदि सभी मतावलंबी स्वीकार करते हैं। असम प्रदेश आज भी तांत्रिक साधकों का केन्द्रस्थल माना जाता है
जहाँ वे काली, तारा आदि देवियों की उपासना के परिणामस्वरूप सिद्धि प्राप्त किया करते हैं। इससे पूर्व के युगों, सत्ययुग, त्रेता एवं द्वापर में मानव तपश्चर्या तथा यज्ञादि कर्मों के द्वारा मनोभिलषित फल की प्राप्ति किया करता था परन्तु इस कलियुग में केवल तंत्रशास्त्र का अवलंबन करना ही शेष रह गया है।
प्रस्तुत पुस्तक ‘योगिनी तन्त्र’ में समस्त प्रकार की सिद्धियों के लिए उनके मंत्रजाप, पुश्चरण तथा हवनादि की विधियाँ अत्यन्त सरल एवं बोधगम्य भाषा में दी गयी हैं जिन्हें प्रत्येक पाठक सुगमतापूर्वक सम्पन्न कर सकता है। इसमें अपने मूल रूप में आने वाले अप्रचलित शब्दों का कोष्ठक के रूप में स्पष्टीकरण कर दिया गया है ताकि पाठकों के लिए किसी प्रकार की असुविधा उत्पन्न न हो।
पुस्तक के अंतिम भाग में पवित्र एवं प्राचीन तीर्थस्थलों के माहात्म्य तथा कर्मकाण्ड से सम्बन्धित अनेक नियमों के अनुपालन का विधान भी उल्लिखित है जो पाठकों के लिए अत्यन्त उपयोगी सिद्ध होगा। पुस्तक में भाषा की सरलता एवं शुद्धता पर भी विशेष ध्यान रखा गया है, फिर भी कुछ त्रुटियों का होना मानवमात्र की स्वाभाविक दुर्बलता होती है।
Yogini Tantra Book Details:
Book Publisher: Chaukhamba Prakashan
Book Author: Pt. Harihar Prasad Tripathi
Language: Sanskrit, Hindi
Weight: 0.402 gm Approx.
Pages: 433 Pages
Size: “22” x “13.5” x “2.5” cm
Edition: 2018
ISBN No: 978-81-218-0143-5
Shipping: Within 4-5 Days in India
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