Avadhut Geeta Book(अवधूतगीता पुस्तक) : The Avadhut Geeta is an important book, in which information about Geeta.
About Avadhut Geeta Book:
Who will be the wise and great saint in the world, who will not know the name of Shri Swamy Dattatreya. Although the name of Swami Dattatreya is known to many women men in this country. However, there is very little known about his discontentment and discouragement. I have done this in the book, showing his life story first and then the Avdhoot Geeta by Swami Dattatreya. In which the meaning of each word and its meaning is also shown. -Avadhut Geeta Book.
Resurrection is the main instrument of complete salvation for the loss of life in the world. Because as long as the man does not have restlessness. The person’s mind does not change the mind from the carnal pleasure and remove it from the mind. Without removing the carnal pleasure from the mind by any means, the means of salvation is not successful. Because all the jivanmukta mahatmas that have been present today are all done by resentment. -Avadhut Geeta Book.
Quietness is of three types: one is the Slow mortification. Other is the second fastest, and the third is the fastest stoicism. The person who has lost his wife and offspring and got the quietude is called a slow quietude. Because it is destroyer after a short period of time. It means that, in which period. When a person’s wealth or son, woman or any other favorite object is destroy then. The man begins to condemn himself and the world by condemning him and Behind the him. His mind moves towards other things of the world, then even the monogamy forgets it. – Avadhut Geeta Book.
The name of this is slow quietude and the desire for renunciation of parts of the subject without any suffering is the name of fastest quietude. According to the desire being present every one if anyone goes for the sacrifice of all the worldly material things and woman son etc. The desire to be create is called a more intense quietude. The person, who is so sacrificing is Lord Dattatreya who roam as Avdhoot, all over the world made Avadhoot Geeta. Which is explain in this book. Now let’s first show his life story. This dialogue is known to all the Hindus, from Satyayug, TretaYug, Dwapar and Kaliyug, all four eras in its own right.
अवधूतगीता पुस्तक (Avadhut Geeta Book)
यह अवधूतगीता, एक महत्वपूर्ण पुस्तक है, जिसमे गीता के बारे में बताया गया है।
अवधूतगीता पुस्तक के बारे में..
संसार में कौन सा ऐसा पण्डित और महात्मा संन्यासी होगा जोकि, श्रीस्वामी दत्तात्रेयजी के नाम को न जानता होगा, यद्यपि स्वामी दत्तात्रेयजी के नाम को तो इस भारतखण्ड में अनेक स्त्री पुरुष जानते हैं, तथापि उनके त्याग और वैराग्य के वृतान्त को बहुत ही कम पुरुष जानते हैं, मैंने इस ग्रन्थ में उनके जीवन वृतान्त को प्रथम दिखाकर के फिर स्वामी दत्तात्रेयजी की बनाई हुई जो ”अवधूतगीता” है उसके प्रत्येक शब्द के अर्थ को और फिर उसके भावार्थ को भी दिखाया है। -Avadhut Geeta Book.
संसार में जन्म मरण रूपी बन्धन से छूटने के लिए सम्पूर्ण मोक्ष के साधनों से वैराग्य ही प्रधान साधन है क्योंकि जब तक पुरुष को वैराग्य नहीं होता है तब तक पुरुष का मन विषय भोगों की तरफ से नहीं हटता है और मन के भोगों की तरफ से हटाये बिना कोई भी मोक्ष का साधन सफल नहीं होता है। क्योंकि आजतक जितने जीवन्मुक्त महात्मा हुए हैं वह सब वैराग्य करके ही हुए हैं।
वैराग्य तीन प्रकार का है एक तो मन्द वैराग्य है दूसरा तीव्र है तीसरा तीव्रतर वैराग्य है, स्त्री पुत्रादिकों में से किसी एक के नष्ट हो जाने से जो वैराग्य होता है वह मन्द वैराग्य कहा जाता है। क्योंकि वह थोड़े काल के पीछे नष्ट हो जाता है तात्पर्य यह है कि, जिस काल में किसी का धन या पुत्र स्त्री या कोई दूसरी प्रिय वस्तु नष्ट हो जाती है तब पुरुष अपने को और संसार को दुःखी होकर धिक्कार देने लगता है और कुछ काल के पीछे जबकि उसका मन संसार के दूसरे पदार्थो की तरफ लग जाता है तब वह वैराग्य भी उसको भूल जाता है।
इसी का नाम मन्द वैराग्य है और बिना ही किसी दुःख की प्राप्ति के विषय भागों के त्याग की इच्छा का उत्पन्न होना जो है इसका नाम तीव्र वैराग्य है और अपनी अभिलाषा के अनुकूल समस्त राज्यादिक सांसारिक पदार्थ तथा स्त्री पुत्र आदि के वर्तमान होने पर भी उनके त्याग की इच्छा का जो उत्पन्न होना है उसे तीव्रतर वैराग्य कहते हैं, जो ऐसे वैराग्यवान् अर्थात् ज्ञान वैराग्य की मूर्ति श्रीस्वामी दत्तात्रेयजी हुए हैं और जिस वजह से वह अवधूत होकर संसार में विचरे है। इसी वास्ते उन्होंने “अवधूतगीता” भी बनाई है उन्हीं की “अवधूतगीता” के अर्थों को हम भाषाटीका में दिखाएँगे। अब प्रथम उनके जीवन वृतांत को दिखाते हैं इस वार्ता को तो हिन्दूमात्र जानते है जो सत्ययुग त्रेता द्वापर कलियुग यह चारों युग बराबर ही अपनी अपनी पारी से आते जाते रहते है।
Avadhut Geeta Book Details:
Book Publisher: Khemraj Books
Book Author: Khemraj Shri Krishna das
Language: Hindi
Weight: 0.255 gm Approx.
Pages: 256 Pages
Size: “22” x “14” x “1.5” cm
Edition : 2009
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