Kathopnishad Book (कठोपनिषद् पुस्तक) : It is an important book, Kathopnishad Book is not easily available, this book is written by Dr. Pushpa Gupta, this book is published by Chaukhamba Prakashan, Varanasi, Uttar Pradesh, in 2018, this book has 173 pages.
Kathopnishad Book Content list:
According to the content list of the Kathopnishad Book, the contents are duly expresses in a simple language for the convenience of the readers. The matters are mention here under. The meaning of the word Upanishads, Upanishads, the emergence of Upanishads. Number and composition of Upanishads, the subject matter of Upanishads, the philosophy of Upanishads, the philosophy of Kathopanishad, Kathopanishad. The form of soul mention in Kathopanishad, knowledge, divine or Brahma, soul, soul, life-formulation. First chapter- First Valli, Second Valli, Third Valli. Second Chapter- First Valli, Second Valli. Third Valli, Mantranam alphabetical Is describes in more in detail, is an important part of which Kathopnishad Book.
Kathopnishad Book Description:
Many commentaries have been written on the Kathopanishad, but after reading them. There is no feeling that they are not fully able to calm all the curiosities of the curious. Presumably, there has been a belief in the minds of those writer scholars that such a thing will be known to the inquisitors already. So to interpret it again would be a revelation. And for that reason that curiosity remaines curiosity. In the Upanishads, again, it has been re-emphasizes that the attainment of nectar is from knowledge ‘Vidya Vindatemritam’, it is inaccessible by the Brahma senses, etc. But what is the intention of attaining ‘nectar’.
When can it be said that this person has become knowledgeable, what is called knowledge. Why cannot Brahma be achieve through the senses, how the glands of the heart are opens on the attainment of knowledge. All these questions remain un answers. Even if answers, indirectly which is beyond the comprehension of ordinary human beings. Until these doubts are resolve, how will the curious reach the Brahman destination. Answers to all these questions are clearly given in this book in very simple and interesting language.
Kathopnishad Book Benefits:
Reading the Kathopnishad Book provides important information about life. By reading the Kathopnishad Book, you can understand the importance of attaining immortality of knowledge. By reading the Kathopnishad Book, all the curiosities of the curious about life are relaxes.
कठोपनिषद् पुस्तक/Kathopnishad Book
यह कठोपनिषद् एक महत्वपूर्ण पुस्तक है, कठोपनिषद् पुस्तकआसानी से उपलब्ध नही होती, यह पुस्तक डॉ. पुष्पा गुप्ता जी के द्वारा लिखी हुई है, इस कठोपनिषद् पुस्तक को चौखम्बा प्रकाशन, वाराणसी, उत्तर प्रदेश, ने सन् 2018 में प्रकाशित किया है, इस पुस्तक में 173 पृष्ठ(पेज) है।
कठोपनिषद् पुस्तक (Kathopnishad Book) की विषय सूचि:
इस पुस्तक में विषय सूचि अनुसार- उपनिषद्, उपनिषद् शब्द का अर्थ, उपनिषदों का प्रादुर्भाव, उपनिषदों की संख्या व रचनाकाल, उपनिषदों के वर्ण्य विषय, कठोपनिषद्, कठोपनिषद् का दर्शन, कठोपनिषद् में वर्णित आत्मा का स्वरुप, ज्ञान, परमात्मा अथवा ब्रह्म, आत्मा, जीवात्मा, जीवन्मुक्तावस्था, प्रथम अध्याय- प्रथम वल्ली, द्वितीय वल्ली, तृतीय वल्ली, द्वितीय अध्याय- प्रथम वल्ली, द्वितीय वल्ली, तृतीय वल्ली, मन्त्राणां वर्णानुक्रमणिका के बारे में विस्तार रूप से बताया गया है, जोकि कठोपनिषद् पुस्तक के महत्वपूर्ण अंग है।
कठोपनिषद् पुस्तक का विवरण:
इस कठोपनिषद् पर अनेकानेक भाष्य लिखे जा चुके है परन्तु उन्हें पढ़कर ऐसा आभास नहीं होता कि जिज्ञासुओं की समस्त जिज्ञासाएं शांत कर पाने में वे पूर्णतया समर्थ नहीं है। सम्भवत: उन लेखक विद्वानों के मन में यह धारणा रही हो कि अमुक बात तो जिज्ञासुओं को पहले से ही ज्ञात होगी अत: पुन: उसकी व्याख्या करना पिष्टपेषण ही होगा। और इसी कारण वह जिज्ञासा जिज्ञासा ही रह गई। यथा उपनिषदों में पुन: पुन: इस बात पर बाल दिया गया है कि अमृतत्व प्राप्ति ज्ञान से होती है ‘विद्यया विन्दतेऽमृतम’, वह ब्रह्म इन्द्रियों के द्वारा अप्राप्य है इत्यादि परन्तु ‘अमृतत्व प्राप्त करने का क्या अभिप्राय है।
कब यह कहा जा सकता है कि अब यह व्यक्ति ज्ञानी हो गया, ज्ञान किसे कहते है। ब्रह्मप्राप्ति इन्द्रियों के द्वारा क्यों नहीं हो सकती, ज्ञान प्राप्ति होने पर ह्रदय की ग्रन्थियां किस प्रकार खुल जाती है, ये सब प्रश्न अनुत्तरित ही रह जाते है। यदि उत्तर दिया भी गया है तो अप्रत्यक्ष रूप से जो साधारण मनुष्यों की समझ से परे है। जब तक इन शंकाओं का समाधान नहीं होता तब तक जिज्ञासु ब्रह्म रूपी मंजिल तक कैसे पहुँच पाएंगे। इन सब प्रश्नों के उत्तर स्पष्ट रूप से अत्यंत सरल और रोचक भाषा में इस पुस्तक में दिए गये है।
कठोपनिषद् पुस्तक/Kathopnishad Book के लाभ:
कठोपनिषद् पुस्तक को पढ़ने से जीवन के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है।
इस पुस्तक को पढ़कर आप ज्ञान की अमृत्व प्राप्ति के महत्व को समझ सकते है।
कठोपनिषद् पुस्तक को पढ़कर जीवन के बारे में जिज्ञासुओं की समस्त जिज्ञासाएं शांत होती है।
Kathopnishad Book Details:
Book Publisher: Chaukhamba Prakashan
Book Author: Dr. Pushpa Gupta
Language: Sanskrit
Weight: 0.216 gm Approx.
Pages: 173 Pages
Size: “21” x “13” x “1.5” cm
Edition : 2018
Shipping: Within 4-5 Days in India
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