Kenopnishat Book (केनोपनिषत् पुस्तक) : It is an important book, Kenopnishat Book is not easily available, this book is written by Swami Tribhuvan Das Ji. This Kenopnishat Book is published by Chaukhamba Prakashan, Varanasi, Uttar Pradesh, in 2015, this book has 70 Pages.
Kenopnishat Book Content list:
According to the content list of the Kenopnishat Book, the contents are duly expressed in a simple language for the convenience of the readers. The matters are mentioned here under. Peace, questions about inspiring God, preaching of inspiring God, the fruit of the interview of inspiring God, from the learned and unknowable to eccentric Brahman, Pratikopasana, Apratikopasana, Mantra, Supernaturalism of Brahma Gyan. Realism of Brahmism, Sravana, Manan, Nididhyasana, Theology Moksha, theology early, the triumph of God and arrogance of the gods, grace on the gods, gods. The communion of Agni, the dialogue of Agni and Yaksha, the overcoming of the god of fire.
The dialogue of the gods of Vayu, the dialogue of Vayu and Yaksha, the overcoming of Vayu, the overthrow of Indra. the emergence of Uma, the preaching of Indra by Uma, Agni, Vayu and Indra’s superiority. Indra’s superiority, divine meditation difficult, divine meditation simple, types of worship of Brahma. Seeker of Bhagavadnugrah Upanishad, origin and persistence of theology Because of this. The fruit of Theosophy, is describes in more detail about Mantranukramnika, Sanketakshranukrmnika, is an important part of which Kenopanishat book.
Kenopnishat Book Description:
After the mantra, the meaning of the words of Anvaya and Mantra is present in the interpretation presents by Kenopanishat. So that the general readers can also get the heart of the chant very easily. The meaning is follows by a serious, detailed and touching interpretation. It has been equips with appropriate headings to convey the content. With its study, the subject goes on imprinting on the heart, the readers will experience it themselves. Our interpreter Swamiji is intend to understand the meaning of the mantra as soon as possible. Yet in some places other opinions have been criticized, which is relevant. Appendices are also given at the end of the book, so that this book has become collectible for researchers as well.
Kenopnishat Book Benefits:
Reading a Kenopanishat book provides information about important topics from the didactic text.
You can understand the importance of preaching by reading the Kenopnishat Book.
केनोपनिषत् पुस्तक/Kenopnishat Book
यह केनोपनिषत् एक महत्वपूर्ण पुस्तक है, केनोपनिषत् पुस्तक आसानी से उपलब्ध नही होती, यह पुस्तक स्वामी त्रिभुवन दास जी के द्वारा लिखी हुई है, इस केनोपनिषत् पुस्तक को चौखम्बा प्रकाशन, वाराणसी, उत्तर प्रदेश, ने सन् 2015 में प्रकाशित किया है, इस पुस्तक में 70 पृष्ठ(पेज) है।
केनोपनिषत् पुस्तक/Kenopnishat Book की विषय सूचि:
इस पुस्तक में विषय सूचि अनुसार- शान्तिपाठ, प्रेरक परमात्मा के विषय में प्रश्न, प्रेरक परमात्मा का उपदेश, प्रेरक परमात्मा के साक्षात्कार का फल, विदित और अविदित से विलक्षण ब्रह्म, प्रतीकोपासना, अप्रतीकोपासना, मन्त्र, ब्रह्मज्ञान की अलौकिकता, ब्रह्मस्वरुप का यथार्थज्ञान, श्रवण, मनन, निदिध्यासन, ब्रह्मविद्या से मोक्ष, ब्रह्मविद्या शीघ्र सम्पाद्य, परमात्मा की विजय और देवताओं का अहंकार, देवताओं पर अनुग्रह, देवताओं का अग्नि से सम्वाद, अग्नि और यक्ष का संवाद, अग्नि देवता का पराभव, देवताओं का वायु से संवाद, वायु और यक्ष का संवाद, वायु का पराभव, इंद्र का पराभव, उमा का आविर्भाव, उमा द्वारा इंद्र को उपदेश, अग्नि, वायु और इंद्र की श्रेष्ठता, इंद्र की सर्वश्रेष्ठता, परमात्मा का ध्यान कठिन, परमात्मा का ध्यान सरल, ब्रह्म की उपासना के प्रकार, भगवद्नुग्रह की साधक उपनिषत, ब्रह्मविद्या की उत्पत्ति तथा दृढ़ता के कारण, ब्रह्मविद्या का फल, मन्त्रानुक्रमणिका, संकेताक्षरानुक्रमणिका के बारे में विस्तार रूप से बताया गया है, जोकि केनोपनिषत् पुस्तक के महत्वपूर्ण अंग है।
केनोपनिषत् पुस्तक/Kenopnishat Book का विवरण:
इसकी प्रस्तुत व्याख्या में मन्त्र के पश्चात अन्वय और मन्त्र के पदों का अर्थ प्रस्तुत है, जिससे सामान्य पाठकों को भी मंत्रार्थ अत्यंत सरलता से ह्रदयंगम हो सके। अर्थ के बाद गम्भीर, विस्तृत और मर्मस्पर्शी व्याख्या सन्निविष्ट है। विषयवस्तु को अवगत कराने के लिए इसे यथोचित शीर्षकों से सुसज्जित किया गया है। इसके अध्ययन से विषय अनायास ही ह्रदयपटलपर अंकित होता चला जाता है, पाठकगण इसका स्वयं अनुभव करेंगे। मन्त्र के यथाश्रुत अर्थ का बोध कराना ही हमारे व्याख्याकार स्वामीजी को अभीष्ट है, फिर भी कुछ स्थलों में अन्य मतों की समालोचना हुई है, जोकि प्रासंगिक है। ग्रन्थ के अंत में परिशिष्ट भी दिए गये है, जिससे यह ग्रन्थ शोधकर्ताओं के लिए भी संग्राह्य हो गया है।
केनोपनिषत् पुस्तक के लाभ:
इस पुस्तक को पढ़ने से उपदेशात्मक पाठ से महत्वपूर्ण विषयों की जानकारी मिलती है।
केनोपनिषत् पुस्तक को पढ़कर उपदेश के महत्व को समझ सकते है।
Kenopnishat Book Details:
Book Publisher: Chaukhamba Prakashan
Book Author: Swami Tribhuvan Das
Language: Sanskrit
Weight: 0.262 gm Approx.
Pages: 70 Pages
Size: “23” x “15” x “1.5” cm
Edition : 2015
Shipping: Within 4-5 Days in India
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